Putrada Ekadashi 2022: साल 2022 में श्रावण पुत्रदा एकादशी कब है, जानें इसका दिन और तारीख, शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

Putrada Ekadashi 2022: श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को श्रावण पुत्रदा एकादशी के रुप में मनाया जाता है। धर्मग्रंथो की मानें तो इस व्रत की कथा सुनने मात्र से वाजपेयी यज्ञ का फल प्राप्त होता है। मान्यताओं के अनुसार, संतान सुख की इच्छा रखने वाले लोगों को इस व्रत का पालन करना होता है।;

Update: 2022-08-06 06:16 GMT

Putrada Ekadashi 2022: श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को श्रावण पुत्रदा एकादशी के रुप में मनाया जाता है। धर्मग्रंथो की मानें तो इस व्रत की कथा सुनने मात्र से वाजपेयी यज्ञ का फल प्राप्त होता है। मान्यताओं के अनुसार, संतान सुख की इच्छा रखने वाले लोगों को इस व्रत का पालन करना होता है और उनके द्वारा विधिपूर्वक इस व्रत का पालन करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।

श्रावण पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त 2022

श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत तिथि

 08 अगस्त 2022, दिन सोमवार

एकादशी तिथि प्रारंभ 

07 अगस्त रात्रि 11:50 बजे से

एकादशी तिथि समापन

 08 अगस्त रात्रि 09:00 बजे

एकादशी व्रत पारण का समय

09 अगस्त को सुबह 06:15 बजे से सुबह  08:49 बजे तक

यदि निसंतान व्यक्ति इस व्रत का पालन करें और पूर्ण विधि विधान से और श्रद्धा से करे तो उसे संतान सुख अवश्य ही मिलता है और श्रावण पुत्रदा एकादशी का श्रवण एवं पालन करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है और वंश में वृद्धि होती है। तथा मनुष्य सभी सुख भोगकर परलोक में स्वर्ग को प्राप्त करता है।

एकादशी के दिन रात्रि जागरण का बड़ा महत्व होता है। एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

द्वादशी तिथि को ब्राह्मण भोजन कराकर स्वयं भोजन करना चाहिए।

श्रावण पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें।

इस दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने गाय के घी का दीपक जलाएं।

श्रावण पुत्रदा एकादशी की पूजा में तुलसी, ऋतुफल और तिल का प्रयोग अवश्य करें।

पुत्रदा एकादशी का व्रत निराहार रखकर किया जाता है।

एकादशी के दिन शाम को पूजा करने के बाद आप फल ग्रहण कर सकते हैं।

इस दिन श्रीविष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से ठभगवान विष्णु अति प्रसन्न होते हैं और भक्तों को उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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