Somvati Amavasya 2020 Date : सोमवती अमावस्या 2020 में कब , जानिए शुभ मुहूर्त महत्व पूजा विधि और कथा
Somvati Amavasya 2020 Date सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। जो साल 2020 में मार्गशीष मास के कृष्ण पक्ष में पड़ रही है। शास्त्रों में इस अमावस्या का बहुत अधिक महत्व बताया गया है तो चलिए जानते हैं सोमवती अमावस्या 2020 में कब है (Somvati Amavasya 2020 Mein Kab Hai), सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त (Somvati Amavasya Shubh Muhurat),सोमवती अमावस्या का महत्व (Somvati Amavasya Importance),सोमवती अमावस्या की पूजा विधि (Somvati Amavasya Ki Puja Vidhi) और सोमवती अमावस्या की कथा।;
Somvati Amavasya 2020 Date : सोमवती अमावस्या पर कोई भी धार्मिक कार्य करना बहुत ही शुभ माना जाता है। सभी अमावस्या की तरह ही इस अमावस्या पर स्नान और दान करने से कई गुना लाभ की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) पर पितरों का तर्पण (Pitru Tarpan) करके यदि उनके नाम से जो भी दान किया जाए वह उन तक पुण्यफल के रूप में अवश्य ही पहुंचता है। इसके अलावा क्या है सोमवती अमावस्या से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें आइए जानते हैं...
सोमवती अमावस्या 2020 तिथि (Somvati Amavasya 2020 Tithi)
14 दिसंबर 2020
सोमवती अमावस्या 2020 शुभ मुहूर्त (Somvati Amavasya 2020 Shubh Muhurat)
सोमवती अमावस्या प्रारम्भ - रात 12 बजकर 44 मिनट से (14 दिसम्बर 2020)
सोमवती अमावस्या समाप्त - रात 9 बजकर 46 मिनट तक (14 दिसम्बर 2020)
सोमवती अमावस्या का महत्व (Somvati Amavasya Ka Mahatva)
सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन स्नान और दान को अधिक महत्व दिया जाता है। जो भी व्यक्ति इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करता है। उसके सभी पापों का अंत होता है। वहीं इस दिन दान दिया गया दान कई जन्मों तक पुण्यफल के रूप में प्राप्त होता रहता है। सोमवती अमावस्या के दिन पित्तरों के तर्पण को विशेष महत्व दिया जाता है। माना जाता है कि सोमवती अमावस्या के दिन पित्तरों का तर्पण करने से उन्हें मुक्ति मिलती है।
वहीं इस दिन पितरों के नाम से दिया गया दान उन्हें पुण्यफल के रूप में प्राप्त होता है। मार्गशीष मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली यह अमावस्या शीत ऋतु में पड़ रही है। इसलिए इस दिन किसी भी निर्धन व्यक्ति को कंबल का दान देना काफी शुभ माना जाता है।इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने के बाद सूर्य देवता को जल अवश्य अर्पित करें और गायत्री मंत्र का जाप करें। इससे आपको गौ दान का फल प्राप्त होगा।
सोमवती अमावस्या की पूजा विधि (Somvati Amavasya Puja Ki Vidhi)
1.सोमवती अमावस्या के दिन ब्रह्ममुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए और उसके बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
2. इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसलिए एक साफ चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
3. इसके बाद उन्हें चंदन का तिलक लगाएं और उन्हें पीले फूलों की माला, पीले फूल और ऋतुफल आदि अर्पित करके उनकी विधिवत पूजा करें।
4.भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के सोमवती अमावस्या की कथा पढ़े या सुनें और भगवान विष्णु की धूप व दीप से आरती उतारें।
5.इसके बाद भगवान विष्णु को पीली मिठाई का भोग लगाएं और अपने पितरों का तर्पण भी करें। इसके साथ ही उनके नाम से दान दक्षिणा भी दें।
सोमवती अमावस्या की कथा (Somvati Amavasya Ki Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार देवस्वामी नाम का ब्राह्मण काँचीपुर नगरी में अपनी पत्नी और सात पुत्रों के साथ रहा करता था। उसने अपने सभी पुत्रों का विवाह कर दिया था। उस ब्राह्मण की एक पुत्री भी थी। जिसके लिए लह सुयोग्य वर तलाश कर रहा था।इसके लिए उसने उसकी जन्मपत्री एक ब्राह्मण को दिखाई। कुंडली देखने के बाद देवस्वामी ने बताया कि उसकी पुत्री में दोष है। जिसकी वजह से उसकी पुत्री विवाह के बाद विधवा हो जाएगी।
इसके बाद देवस्वामी ने इसका उपाय पूछा तो पंडित ने बताया कि सिंहलद्वीप पर सोमा नाम कि धोबिन रहती है उसकी विधिवत पूजा करने से यह दोष दूर हो जाएगा। जिसके बाद उसका छोटा बेटा और उसकी पुत्री सोमा धोबिन को लेने के लिए निकल पड़े। दोनो भाई बहन समुद्र के पास पहुंचकर उसे पार करने का उपाय सोचने लगे। लेकिन कई कोशिश करने के बाद भी वह समुद्र पार नहीं कर सके। जिसके बाद वह एक पेड़े के नीचे बैठ गए। उस पेड़ पर ही एक गिद्ध का घोंसला भी था। जिसमें गिद्ध का परा परिवार रहता था। जब गिद्धों के मां शाम को खाना लेकर आई और उसने वह खाना बच्चों को दिया तो उन्होंने कुछ भी नहीं खाया।
जब उनकी मां ने इसका कारण पूछा तो गिद्ध के बच्चों ने कहा कि हम तब तक कुछ नहीं खाएंगे जब तक पेड़ के नीचे बैठे भखे लोग कुछ नहीं खाएंगे। तब उस गिद्धनी ने उन दोनों भाई बहनों के पास जाकर इसका कारण पूछा तो दोनों ने गिद्धनी को सारा वृतांत सुना दिया। इसके बाद उस गिद्धनी ने कहा कि मैं तुम्हें यह समुद्र पार करा दूंगी तुम दोनो भोजन कर लो। इसके बाद दोनों ने भोजन कर लिया और सुबह होने पर गिद्धनी ने दोनो को सोमा के घर पहुंचा दिया।