Somvati Amavasya: सोमवती अमावस्या पर शिव को प्रसन्न करने के लिए बन रहा ये शुभ संयोग, जानें मुहूर्त, पूजा की उत्तम विधि और उपाय
Somvati Amavasya: साल 2022 में कुल 13 अमावस्या तिथि हैं। जिनमें केवल दो ही सोमवती अमावस्या है। साल की पहली सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को है और दूसरी ज्येष्ठ मास में 30 मई को। पंचांग गणना के अनुसार 31 जनवरी को दोपहर में 2 बजकर 19 मिनट तक चतुर्दशी तिथि है। इसके बाद से अमावस्या तिथि लग जाएगी। शास्त्रों में कहा गया है कि सोमवार को कुछ समय के लिए ही अमावस्या तिथि होने पर इसे बेढ़ी और सोमवती अमावस्या मानते हैं। 1 फरवरी को अमावस्या तिथि सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक है इसलिए 31 जनवरी को भी पितृ कार्य के लिए अमावस्या मान्य है।;
Somvati Amavasya: साल 2022 में कुल 13 अमावस्या तिथि हैं। जिनमें केवल दो ही सोमवती अमावस्या है। साल की पहली सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को है और दूसरी ज्येष्ठ मास में 30 मई को। पंचांग गणना के अनुसार 31 जनवरी को दोपहर में 2 बजकर 19 मिनट तक चतुर्दशी तिथि है। इसके बाद से अमावस्या तिथि लग जाएगी। शास्त्रों में कहा गया है कि सोमवार को कुछ समय के लिए ही अमावस्या तिथि होने पर इसे बेढ़ी और सोमवती अमावस्या मानते हैं। 1 फरवरी को अमावस्या तिथि सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक है इसलिए 31 जनवरी को भी पितृ कार्य के लिए अमावस्या मान्य है। तो आइए जानते हैं सोमवती अमावस्या पूजा विधि और उपाय के बारे में...
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सोमवती अमावस्या
31 जनवरी को दोपहर 2: 20 से शुरू
1 फरवरी को सुबह 11:16 पर समाप्त
पूजा विधि
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन स्नान का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है, पर अगर आप नदी में स्नान नही कर सकते तो घर पर नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इसका भी वही फल मिलता है, जो नदी में स्नान करने से प्राप्त हाेता है। स्नान के बाद तांबे के लोटे में पवित्र जल लेकर सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें और जरूरतमंदो को दान-दक्षिणा दें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुहागिन स्त्रियों को सोमवती अमावस्या के दिन स्नान आदि करने के बाद पीपल के पेड़ की विधि-विधान के साथ पूजा करना चाहिए। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने का भी विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन सुखी होता है। इसके साथ ही जिन जातकों के विवाह में विलंब हो रहा हो तो इस व्रत के प्रभाव से शीघ्र विवाह होने के योग बनते हैं।
उपाय
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सोमवती अमावस्या पर चतुर्दशी यानी मास शिवरात्रि का संयोग भी कुछ समय के लिए बना हुआ है। इस दिन 10 बजकर 25 मिनट से सिद्धि योग भी लग जाएगी। ऐसे में इस दिन सुबह पैरों के नीचे आक के पत्ते सिर और माथे पर रखकर भगवान शिव का ध्यान करते हुए स्नान कीजिए। शिवालय जाकर जल में दूध मिलाकर शिवजी का अभिषेक कीजिए। बेलपत्र और धतूरे को शिवजी को अर्पित करें। अगर शिवालय न जा पाएं तो घर पर ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर इनका अभिषेक कीजिए। जो लोग घर में पारद शिवलिंग स्थापित करना चाहते हैं वह इस शुभ संयोग का लाभ उठा सकते हैं। घर पर पारद शिवलिंग की पूजा करना भी उत्तम रहेगा। सोमवती अमावस्या के दिन अन्न का दान भी करना चाहिए। आप अपनी श्रद्धा अनुसार चावल दाल, नमक तिल का दान कर सकते हैं। जिनके माता या पिता देह त्याग कर परलोक चले गए हैं उन्हें सोमवती अमावस्या के दिन पितरों का ध्यान करते हुए जल में तिल मिलाकर दक्षिण दिशा की ओर तिल जल अर्पित करना चाहिए।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)