Sunday Special : नवदुर्गा शक्ति मंदिर में मौजूद मां की ऐसी प्रतिमा पूरे भारत में दूसरी नहीं, जानें भगवती के भवन की ये सच्चाई

  • जानें, खुर्जा के देवी मंदिर के बारे में।
  • जानें, कितनी विलक्षण है देवी मंदिर की प्रतिमा
  • जानें किस धातु की बनी है मां की प्रतिमा
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Update: 2021-06-06 02:13 GMT

Sunday Special : हिन्दू धर्म में मां दुर्गा की उपासना प्रत्येक परिवार में होती है। देशभर में अनेक स्थानों पर मां दुर्गा के प्रसिद्ध शक्तिपीठ और भव्य मंदिर स्थित हैं। ऐसा ही एक मां का मंदिर देश की राजधानी दिल्‍ली से करीब 80 किलोमीटर दूर उत्‍तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद की खुर्जा तहसील में स्थित है।


मां भगवती का यह दिव्‍य मंदिर नेशनल हाईवे- 91 पर स्थिति है। वहीं इस मंदिर के लिए रेल और सड़क मार्ग द्वारा देश के अनेक स्थानों से पहुंचा जा सकता है। नवदुर्गा का यह प्रसिद्ध मंदिर देवी मां के अनेकों चमत्‍कारों के लिए प्रसिद्ध है।


ऐसी मान्‍यता है कि इस देवी मंद‍िर की 108 परिक्रमाएं पूरी करने वाले श्रद्धालु की हर मनोकामना पूरी होती है। यहां पर भक्‍त मंदिर परिसर में स्थित मनोकामना स्‍तंभ पर चुनरी से गांठ लगाते हैं और मंद‍िर की परिक्रमाएं करते हैं। 

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मां की ऐसी प्रतिमा किसी अन्य मंदिर में नहीं है। इस मंदिर में मौजूद देवी दुर्गा की प्रतिमा में महामाई के नौ रूप नजर आते हैं। माता की यह भव्‍य प्रतिमा चार टन अष्‍टधातु से बनी है जिसके 27 खंड हैं।


ऐसी मान्‍यता है कि मां दुर्गा की इतनी भव्‍य और विलक्षण मूर्ति पूरे भारतवर्ष में नहीं है। दो हजार वर्गफीट में बना यह मंदिर अद्वितीय मूर्ति कला का नमूना है जहां माता की प्रतिमा अट्ठारह भुजाओं वाली है। इस मूर्ति को 100 से अधिक मूर्तिकारों ने तैयार किया था। यह दिव्‍य मूर्ति 14 फीट ऊंची और 11 फीट चौड़ी है। मां की प्रतिमा के दाईं ओर हनुमान जी और बाईं ओर भैरों जी की प्रतिमा है। रथ के शीर्ष पर भगवान शंकर और रथ के सारथी श्रीगणेश जी हैं।


इस मंदिर में मां भगवती अपने भवन में कमल के आसन पर विराजमान हैं। साल 1993 में इस मंदिर का निर्माण हुआ था और 13 फरवरी 1995 को इस मंद‍िर में मां दुर्गा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्‍ठा हुई थी। मां दुर्गा की इस चमत्‍कारी प्रतिमा में ऐसा आकर्षण है कि भक्‍त आते हैं और देखते रह जाते हैं। मंद‍िर की ऊंचाई 30 फीट है और इसका शिखर 60 फीट ऊंचा है।

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मंदिर सुबह चार बजे खुलता है और पांच बजे मंगला आरती होती है। वहीं शाम के समय मंदिर चार बजे भक्‍तों के लिए खोल दिया जाता है और सात बजे भव्‍य आरती होती है। आरती के समय हजारों भक्‍त जुटते हैं और घंटे भर तक पीतल के भव्‍य घंटों की ध्‍वनि सुनाई देती है। मंदिर पर अष्‍टमी के दिन एक हजार किलो हलवे का भोग लगाया जाता है।


इस मंद‍िर में देवी दुर्गा के अलावा 16 फीट ऊंची हनुमान जी की मूर्ति आकर्षण का विशेष केंद्र है। हनुमान जी की मूर्ति के सीने में भगवान राम और माता सीता विराजमान हैं। खासबात ये है कि इस मूर्ति में दो करोड़ राम नाम समाहित हैं। हरिहर बाबा के नेतृत्‍व में इस मंदिर में दिन रात महामंत्र (हरे राम हरे कृष्‍ण) का जाप हुआ था।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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