Sunday Special : जानें, वनवास काल के दौरान कहां-कहां रहे भगवान राम
सिंगरौर भगवान श्रीराम के वनवास का पहला पड़ाव था जोकि इलाहाबाद से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान गंगा नदी के तट पर स्थित है। यही पर भगवान राम की मुलाकात केवट से हुई थी।;
Sunday Special : पौराणिक कथा के अनुसार, अयोध्या के राजा दशरथ से उनकी पत्नी कैकई द्वारा अपने दो वरदान मांगे जाने पर भरत को राज्य का अधिकार और दूसरे वरदान में भगवान श्रीराम को 14 साल का वनवास मिला था। इस दौरान भगवान श्रीराम ने 14 साल वनों में व्यतीत किए थे। तो आइए जानते हैं इस वनवास काल की अवधि में प्रभु श्रीराम अपनी पत्नी माता सीता और भाई लक्ष्मण समेत कहां-कहा रहें।
1.सिंगरौर
सिंगरौर भगवान श्रीराम के वनवास का पहला पड़ाव था जोकि इलाहाबाद से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान गंगा नदी के तट पर स्थित है। यही पर भगवान राम की मुलाकात केवट से हुई थी।
2. कुरई
सिंगरौर में गंगा पार करके भगवान श्रीराम कुरई नामक स्थान पर कुछ देर के लिए रुके थे और उन्होंने यहां विश्राम किया था।
3. प्रयाग
कुरई से आगे चलकर श्रीराम माता जानकी और भाई लक्ष्मण समेत प्रयाग पहुंचे। प्रयाग हिन्दुओं का बहुत बड़ा तीर्थस्थल है।
4. चित्रकूट
श्रीराम के वनवास काल का दूसरा पड़ाव चित्रकूट था। भरत जी अपने भ्राता श्रीराम को मनाने के लिए इसी स्थान पर आए थे।
5. सतना
सतना में महर्षि अत्रि आश्रम के पास प्रभु श्रीराम ने तीसरा पड़ाव डाला था और यहां पर उन्होंने कई राक्षसों का वध किया।
6. दंडकारण्य
अत्रि आश्रम में कुछ दिन निवास करने के बाद भगवान राम ने छत्तीसगढ़ के घने जंगलों (दंडकारण्य) को अपना आश्रय स्थल चुना और यहां पर करीब 10 साल तक रहे।
7. पंचवटी
भगवान राम की यात्रा का अगला पड़ाव नासिक में गोदावरी नदी के तट पर स्थित पंचवटी था और इसी स्थान पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी।
8. सर्वतीर्थ
भगवान श्रीराम की यात्रा का अगला पड़ाव नासिक से 56 किलोमीटर दूर सर्वतीर्थ नामक स्थान था। यह वहीं स्थान है जहां माता सीता का हरण हुआ था और यहीं पर श्रीराम ने जटायु का अंतिम संस्कार किया था। इसके बाद वे तुंगभद्रा और कावेरी नदी की तरफ सीता माता की खोज में गए।
9. केरल
भगवान श्रीराम महात्मा जटायु के बाद कबंध राक्षस का अंतिम संस्कार करने के पश्चात पंपा सरोवर के पास केरल स्थित मां शबरी के आश्रम पहुंचे थे।
10. ऋष्यमूक पर्वत
भगवान श्रीराम मां शबरी से मिलने के बाद ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे और यहीं पर उन्होंने हनुमान और सुग्रीव से भेंट की तथा यहीं पर उन्होंने मां सीता के आभूषणों को देखा था। तथा वानरराज बाली का वध किया था।
11. कोडीकरई
श्रीराम ने कोडीकरई में अपनी सेना का गठन किया और यहीं से रामेश्वरम की ओर कूच किया।
12. रामेश्वरम
यहां पर भगवान श्रीराम ने भगवान शिव की पूजा की और रामेश्वरम शिवलिंग की स्थापना की।
13. धनुषकोडी
यह वह स्थान है जहां से श्रीलंका के लिए आसानी से पहुंचा जा सकता था और यहीं पर रामसेतु का निर्माण किया।
14. नुवारा एलिया
पहाड़ियों के बीच से सुरंगों और गुफाओं को पार कर श्रीराम अपने सेना के साथ नुवारा एलिया से होकर गुजरे थे।
15. श्रीलंका
श्रीलंका भगवान श्रीराम का अंतिम पड़ाव था। श्रीलंका पर विजय और रावण का उसकी सेना और परिजनों समेत संहार करने के बाद उन्होंने विभीषण को यहां का राजा बनाया और उसे निर्देषित किया था।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)