होलाष्टक में शुभ कार्यों का नहीं होता है मुहूर्त, चैत्र नवरात्र 22 से होंगे शुरू: शास्त्री

मार्च के माह में होलाष्टक में विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन जैसे शुभ कामों के लिए कोई मुहूर्त नहीं है। अभी होलाष्टक चल रहे हैं।;

Update: 2023-03-02 06:44 GMT

हरिभूमि न्यूज. रेवाड़ी

मार्च के माह में होलाष्टक में विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन जैसे शुभ कामों के लिए कोई मुहूर्त नहीं है। अभी होलाष्टक चल रहे हैं। मार्च महीने में 3 मार्च को एकादशी व्रत, 4 मार्च को प्रदोष व्रत, 7 मार्च को होलिका दहन व 8 मार्च को होली उत्सव धुल्हेंडी मनाई जाएगी। 11 मार्च को चतुर्थी व्रत,15 मार्च को शीतलाष्टमी, 18 मार्च को पापमोचनी एकादशी व्रत, 19 मार्च को प्रदोष व 21 मार्च को अमावस्या है।

ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री ने कहा...

ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री ने बताया कि चैत्र नवरात्रि की शुरूआत 22 मार्च से हो रही है। इस दिन से नव संवत्सर का प्रारंभ होगा। हर साल यह दिन हिंदू नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इन 9 दिनों में मां के दिव्यरूपा की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना की जाती है। इस बार नवरात्रि 9 दिन की है। प्रतिपदा 22 मार्च, अष्टमी 29 मार्च व राम नवमी 30 मार्च को मनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि चैत्र नवरात्रि के दौरान घटस्थापना उत्तर या पूर्व दिशा की ओर करनी चाहिए। बसंत नवरात्र में दुर्गा आराधना विशेषकर श्रेष्ठ है।

नवरात्रि में दुर्गासप्तशती का पाठ, दुर्गा चालीसा, देवी मंत्र, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का जप करने से सारी इच्छाओं की पूर्ति होती है। दुर्गा सप्तशती व्यास की ओर से रचित मार्कंडेय पुराण से ली गई है, इसमें 700 श्लोक व 13 अध्यायों का समावेश होने के कारण इसे सप्तशती का नाम दिया गया है। तंत्र शास्त्रों में इसका सर्वाधिक महत्व प्रतिपादित है और तांत्रिक क्रियाओं का इसके पाठ में बहुधा उपयोग होता है। दुर्गा सप्तशती में 360 शक्तियों का वर्णन है।

ज्योतिषाचार्य ने बताया है कि शक्ति पूजन के साथ भैरव पूजन भी अनिवार्य है। दुर्गा सप्तशती का हर मंत्र ब्रह्मवशिष्ठ विश्वामित्र ने साबित किया है, शापोद्धार के बिना पाठ का फल नहीं मिलता दुर्गासप्तशती के 6 अंगों सहित पाठ करना चाहिए। कवच, अर्गला, कीलक और तीनों रहस्य महाकाली महालक्ष्मी और महासरस्वती का रहस्य बताया गया है। दुर्गा सप्तशती के चरित्र का क्रमानुसार पाठ करने से शत्रुनाश और लक्ष्मी की प्राप्ति व सर्वदा विजय होती है।

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