Tulsi Vivah 2021: तुलसी जी का विवाह घर में कैसे करें, जानें संपूर्ण विधि

Tulsi Vivah 2021: तुलसी विवाह के लिए घर के सारे परिवार को उसी तरह तैयार हो जाना चाहिए जिस प्रकार विवाह या शादी समारोह में तैयार होते हैं। उसके बाद आप तुलसी का पौधा एक पटिया पर आंगन या घर की छत अथवा पूजाघर में बिलकुल बीचों बीच रख दें। तुलसी के गमले के ऊपर गन्ने का मण्डप सजाएं। जिस प्रकार आप छठ पूजा के दौरान गन्ने का मण्डप चारों ओर से सजाया जाता है, उसी प्रकार गन्ने का मण्डप तुलसी को घेर कर सजा देना चाहिए।;

Update: 2021-11-10 05:34 GMT

Tulsi Vivah 2021: शास्त्रों में तुलसी पूजा का विशेष महत्व है। वैसे तो साल भर ही तुलसी जी की पूजा होती है लेकिन कार्तिक मास में किया गया तुलसी पूजन और तुलसी के सामने दीपदान मनचांछित फल प्रदान करने वाला और भगवान विष्णु की कृपा दिलाने वाला होता है। यदि आप कार्तिक माह के किसी भी दिन भगवान श्रीहरि को तुलसी चढ़ा देते हैं तो इसका फल गोदान के फल से कई गुना अधिक हो जाता है। शास्त्रों की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन तुलसी विवाह कराने की परंपरा बेहद प्राचीन है। कुछ लोग एकादशी के दिन तुलसी विवाह कराते हैं तो वहीं कुछ लोग द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह कराते हैं। तुलसी विवाह के लिए देव उठने का यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस साल तुलसी विवाह गुरुवार के शुभ संयोग में 15 नवंबर को किया जाएगा।

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तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त

देवउठनी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आती है। इस बार यह 14 नवंबर 2021 को सुबह 05:48 बजे शुरू होगी और 15 नवंबर 2021 की सुबह 06:39 बजे समाप्त होगी। तुलसी विवाह 15 नवंबर 2021 को संपन्न होगा। देवउठनी एकादशी के दिन व्रत करने वाली महिलाएं 15 नवंबर को दोपहर 01:10 से 03:19 बजे की बीच व्रत का पारण कर सकेंगी।

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तुलसी विवाह विधि

तुलसी विवाह के लिए घर के सारे परिवार को उसी तरह तैयार हो जाना चाहिए जिस प्रकार विवाह या शादी समारोह में तैयार होते हैं। उसके बाद आप तुलसी का पौधा एक पटिया पर आंगन या घर की छत अथवा पूजाघर में बिलकुल बीचों बीच रख दें।

तुलसी के गमले के ऊपर गन्ने का मण्डप सजाएं। जिस प्रकार आप छठ पूजा के दौरान गन्ने का मण्डप चारों ओर से सजाया जाता है, उसी प्रकार गन्ने का मण्डप तुलसी को घेर कर सजा देना चाहिए।

वहीं तुलसी जी पर समस्त सुहाग की सामग्री के साथ लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं। गमले में शालिग्राम जी रखें और शालिग्राम जी पर चावल बिलकुल भी नहीं चढ़ाते हैं, इसीलिए उनपर तिल चढ़ाया जा सकता है, अत: आप उन पर तिल चढ़ाएं।

तुलसी और शालिग्राम जी पर दूध में भीगी हुई हल्दी लगाएं और गन्ने के मण्डप पर हल्दी का लेप कर स्वास्तिक का चिन्ह लगाएं और उसका पूजन करें।

विवाह के समय बोला जाने वाला मंगलाष्टक का पाठ इस दौरान अवश्य करें। इसके साथ ही कुछ खाद्य वस्तुओं का सेवन करना आप आरंभ कर सकते हैं। इसमें आप भाजी, मूली, सेब और आंवला जैसी सामग्री का उपयोग कर सकते हैं।

बाजार से पूजन सामग्री लेकर आप तुलसी विवाह की पूजन सामग्री में अवश्य प्रयोग करें। इसके बाद आप कपूर से आरती करें और ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।। मंत्र का कम से कम 24 बार जाप करें।

इसके बाद 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें और प्रसाद को मुख्य आहार के साथ ग्रहण करें। उसके बाद प्रसाद का वितरण करें।

पूजा समाप्ति के बाद घर के सभी लोग चारों तरफ से पटरियों को उठाकर भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें। साथ ही आपकी जो भी मनोकामना है, उसे तुलसी माता के सामने प्रकट करें।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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