Diwali 2022 : दिवाली मनाने के मुख्य कारण क्या हैं, जानें...

Diwali 2022: भारत संस्कृतियों से भरा पूरा देश है। भारत में प्रत्येक महीने में कई त्योहार लोग जरुर ही मनाते हैं। हिन्दू सनातन धर्म के अनुसार, भारत में कई कोटि देवी-देवता हैं और इसी वजह से हमारे देश में हर महीने किसी ना किसी त्योहार का माहौल बना ही रहता है।;

Update: 2022-10-11 06:18 GMT

Diwali 2022: भारत संस्कृतियों से भरा पूरा देश है। भारत में प्रत्येक महीने में कई त्योहार लोग जरुर ही मनाते हैं। हिन्दू सनातन धर्म के अनुसार, भारत में कई कोटि देवी-देवता हैं और इसी वजह से हमारे देश में हर महीने किसी ना किसी त्योहार का माहौल बना ही रहता है। उन्हीं त्योहारों में से एक त्योहार है दिवाली, जोकि बुराई पर सच्चाई की जीत की खुशी के पर्व के रुप में मनाते हैं। दीपावली की काली अंधेरी रात्रि में आपको हर स्थान पर रोशनी ही रोशनी नजर आएगी। क्योंकि हम लोग मानते हैं इस दिन अंधकार पर प्रकाश ने विजय प्राप्त की थी। दीपावली के दिन लोग अपने परिजनों के साथ घर में पूजा करते हैं और घर में हर स्थान पर दीप जलाते हैं। वहीं अपने मित्रों और शुभचिंतकों को मिठाई और शुभकामनाओं का पिटारा भी भेंट करते हैं। तो आइए जानते हैं वे कौन से कारण हैं जिसके लिए हम लोग दीपावली को इतने धूमधाम से मनाते हैं और खुशियों का इजहार करते हैं।

दीपावली मनाने क मुख्य कारण

श्रीराम का अयोध्या वापस आना

श्रीराम जी के वनवास से अयोध्या लौटने की खुशी में भी दीपावली का पर्व मनाया जाता है और यह वहीं कारण है जोकि प्रत्येक भारतीय जानता और समझता भी है कि, हम लोग दिवाली को भगवान श्रीराम जी के वनवास से लौटने की खुशी में मनाते हैं। मंथरा के गलत विचारों से पीड़ित होकर श्रीराम की दूसरी माता केकैई ने श्रीराम को उनके पिता महाराज दशरथ से वनवास भेजने के लिए वचनबद्ध कर दिया था और भगवान श्रीराम ने अपने पिता के आदेश का सम्मान करते हुए अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वन में 14 साल गुजारे और रावण समेत सभी राक्षसों का वध किया।

रावण ने जानकी जी का अपहरण कर लिया था, उसके बाद भगवान राम ने वानरराज सुग्रीव की सेना और हनुमान जी के साथ मिलकर लंका पर चढ़ाई कर दी और रावण का वध कर दिया। रावण वध के दिन को दशहरे के रुप में मनाया जाता है और जब श्रीराम लंका से अपने घर अयोध्या आए तो अयोध्या के नागरिक उनके आने की खुशी में दीपोत्सव मनाते हैं और अपनी खुशी का इजहार करते हैं। तभी से उस दिन का नाम दीपावली पड़ गया।

पांडवों का अपने राज्य लौटना

महाभारत की कहानी से तो सभी लोग परिचित ही हैं। कौरवों ने गान्धार नरेश मामा शकुनि की चालों की मदद से जुए में पाण्डवों से उनका सबकुछ हथिया लिया था और उन्हें अपने राज्य से वंचित होकर 13 साल का समय वनों और अज्ञातवास में गुजारना पड़ा। पौराणिक कथाओं की मानें तो इसी कार्तिक अमावस्या के दिन पांचों पाण्डव 13 साल के वनवास से अपने राज्य लौटे थे। कहा जाता है कि, उनके लौटने की खुशी में भी वहां के लोगों ने दीप जलाकर अपनी खुशी का इजहार किया था। इसीलिए यह भी दीपावली मनाने का एक प्रमुख कारण माना जाता है।

राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक

प्राचीन काल में राजा विक्रमादित्य भारत के एक महान राजाओं में से एक थे। वे अपने काल के एक आर्दश राजा माने जाते थे और उन्हें लोग उनकी उदारता, साहस और विद्वानों के संरक्षण के कारण हमेशा जाना जाता है। कहा जाता है कि, इसी कार्तिक अमावस्या के दिन उनका राज्याभिषेक हुआ था।

मां महालक्ष्मी का अवतार

हिन्दी कैलेंडर के अनुसार, प्रत्येक वर्ष दिवाली का पर्व कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। क्योंकि कहा जाता है कि, इसी दिन पौराणिक काल में समुद्र मंथन के दौरान मां महालक्ष्मी जी प्रकट हुईं थीं। मां महालक्ष्मी जी को धन और समृद्धि की देवी कहा जाता है। इसीलिए इस दिन दीपोत्सव के साथ ही लक्ष्मी-गणेश का पूजन किया जाता है।

नरकासुर का वध

पौराणिक कथाओं की मानें तो दीपावली के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का संहार किया था। नरकासुर उस दौरान प्रराग ज्योतिषपुर जोकि वर्तमान में नेपाल देश है, वहां का राजा था। वह इतना क्रूर था कि, उसने देवमाता अदीति के कुण्डल और छत्र आदि तक को भी छीन लिया था और 16 हजार कन्याओं को अपनी कैद में बंद कर लिया था। वहीं श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा ने नरकासुर का वध कर दिया था और सभी कन्याओं को उसके चंगुल से छुड़ा लिया। तभी से यह भी दिवाली मनाने का एक मुख्य कारण माना जाता है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।) 

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