Vastu Shastra: घर के मंदिर से हटा दें ये चीज और लाकर रखें ऐसी वस्तुएं, बन जाएंगे धनवान
Vastu Shastra: घर का मंदिर या पूजाघर घर में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है। घर के मंदिर में नियमानुसार ही प्रतिमा, पूजन सामग्री समेत अन्य वस्तुएं रखनी चाहिए। वहीं अगर आपके घर में मौजूद मंदिर या पूजाघर में कुछ ऐसी चीजें हैं जोकि मंदिर या पूजाघर में नहीं रखनी चाहिए तो उन्हें तुरन्त वहां से हटा देना चाहिए।;
Vastu Shastra: घर का मंदिर या पूजाघर घर में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है। घर के मंदिर में नियमानुसार ही प्रतिमा, पूजन सामग्री समेत अन्य वस्तुएं रखनी चाहिए। वहीं अगर आपके घर में मौजूद मंदिर या पूजाघर में कुछ ऐसी चीजें हैं जोकि मंदिर या पूजाघर में नहीं रखनी चाहिए तो उन्हें तुरन्त वहां से हटा देना चाहिए। तो आइए जानते हैं घर के मंदिर और पूजाघर से किन वस्तुओं को फौरन ही हटा देना चाहिए और किन वस्तुओं को घर के मंदिर में स्थान देना चाहिए।
अगर आपके पूजाघर में कोई खंडित प्रतिमा या तस्वीर रखी है तो उसे वहां से तुरन्त हटा देना चाहिए। साथ ही घर के मंदिर में अंगुठे के बड़े आकार का बड़ा शिवलिंग कभी नहीं रखना चाहिए। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
वहीं पूजाघर में आप पंचदेव की प्रतिमा रख सकते हैं। पंचदेव अर्थात गणेश, शिव, विष्णु, दुर्गा और सूर्यदेव। किसी भी देवी अथवा देवता का रौद्र रूप वाली तस्वीर को घर में नहीं रखना चाहिए। वहीं ऐसी प्रतिमा को घर के मंदिर में भी नहीं रखना चाहिए।
ऐसी मूर्ति या प्रतिमा अथवा फोटो को अनिष्टकारी माना जाता है। वहीं हनुमान जी का रौद्र रूप हो या नटराज का रौद्र रूप वाली प्रतिमा हो तो अपने घर से या घर के पूजाघर से तुरन्त हटा दें। अपने घर में सभी देवों की सौम्य रूप वाली प्रतिमा ही लगाएं।
वहीं घर में एक से अधिक शंख भी नहीं रखने चाहिए। घर में या घर के पूजाघर में रखे गए ज्यादा शंख अशुभ माने जाते हैं। वहीं घर में खंडित शंख भी नहीं होना चाहिए। इसीलिए अगर आपके घर में एक से अधिक शंख है तो आप एक शंख को बचाकर बाकी अन्य शंख को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें।
वहीं घर में या घर के पूजाघर में आपको कटी-फटी और धार्मिक पुस्तकें भी नहीं रखनी चाहिए।
घर के मंदिर में बासी फूल, हार या अनुपयोगी पूजा सामग्री को तुरन्त ही वहां से हटा दें। क्योंकि इन चीजों से घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है।
पीली कौड़ियों को देवी मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। एक-एक पीली कौड़ी को अलग-अलग लाल कपड़े में बांधकर रखें।
जल से भरा कलश देवताओं का आसन माना जाता है। कांसे या ताम्र कलश में जल भरकर उसमें कुछ आम के पत्ते डालकर उसके मुख पर नारियल रख दें। कलश पर रोली स्वास्तिक का चिह्न बनाकर उसके गले पर मौली बांध दें।
वहीं कलश में पान और सुपारी भी डाला जाता है। तांबे में सात्विक लहरें उत्पन्न करने की क्षमता अन्य धातुओं की अपेक्षा अधिक होती है। कलश में उठती हुई लहरें वातावरण में प्रवेश कर जाती हैं। अगर कलश में तांबे के सिक्के डालते हैं तो उससे घर में शांति और समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
वहीं चंदन शांति और सफलता का प्रतीक है, इसीलिए पूजाघर में चंदन जरुर रखना चाहिए। वहीं चावल को अक्षत कहा जाता है, अक्षत अर्पित करने का मतलब है कि, आपका श्रम आपने अपने वैभव के लिए नहीं बल्कि मानव मात्र की सेवा के लिए किया जाएगा।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)