Navratri Special Story: चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के बीच क्या है संबंध, क्यों हैं एक-दूसरे से अलग

Navratri Special Story: जब चैत्र और शारदीय नवरात्रि दोनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, तो फिर ये दोनों एक-दूसरे से क्यों अलग हैं। 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि पर्व शुरू हो रहा है। इस अवसर पर जानिए चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के बीच अंतर क्या है।;

Update: 2023-10-06 11:05 GMT

Navratri Special Story: नवरात्रि के पर्व पर माता रानी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। चाहे वह चैत्र माह की नवरात्रि या फिर आश्विन माह की नवरात्रि हो। आपको बता दें कि चैत्र माह में पड़ने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि और आश्विन यानी शरद माह में पड़ने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं। भारत वर्ष में इन दो नवरात्र के अलावा भी दो नवरात्रि पड़ती हैं यानि साल में चार नवरात्रि मनाई जाती हैं। 

पारिवारिक जीवन जीने वाले लोगों के लिए साल में दो बार नवरात्रि (Navratri) का पर्व आता है। पहली नवरात्रि चैत्र के महीने में, इस नवरात्रि पर्व के साथ हिंदू नव वर्ष (Hindu New Year) की भी शुरुआत होती है। वहीं दूसरी नवरात्रि आश्विन माह में मनाई जाती है, जिसे शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।

इन दो नवरात्रि के अलावा पौष और आषाढ़ के महीने में भी नवरात्रि का पर्व आता है, जिसे गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि को लेकर कहा जाता है, इस नवरात्रि में तंत्र साधना की जाती है। गृहस्थ जीवन जीने वाले लोगों के लिए केवल चैत्र और शारदीय नवरात्रि शुभ होती है।

चैत्र नवरात्रि मनाने के पीछे  का कारण

चैत्र नवरात्रि को लेकर ऐसा कहा जाता है कि जब धरती लोक पर म​हिषासुर दानव का आतंक बढ़ गया था और उसे हारना देवताओं के लिए मुश्किल हो गया था, क्योंकि महिषासुर को वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता उसे परास्त नहीं कर पाएगा। ऐसी स्थिति में देवताओं ने माता पार्वती को प्रसन्न कर उनसे रक्षा करने की प्रार्थना की। देवताओं की बात सुन माता पार्वती ने अपने अंश से नौ स्वरूप प्रकट किए, जिन्हें सभी देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न बनाया। ये क्रम चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर 9 दिनों तक चला, जिसके कारण चैत्र माह के नौ दिनों तक चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है।

शारदीय नवरात्रि मनाने के पीछे की वजह 

आश्विन के महीने में माता दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका सर्वनाश कर दिया। इसी वजह से आश्विन माह के नौ दिनों को शक्ति की आराधना के लिए समर्पित कर दिया गया। शारदीय नवरात्रि के नाम के पीछे का कारण यह है कि आश्विन माह में शरद ऋतु का आरंभ होता है।

चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि क्यों हैं अलग

चैत्र नवरात्रि में कठिन साधना और कठिन व्रत को महत्तव दिया जाता है, जबकि शारदीय नवरात्रि के दौरान सात्विक साधना, नृत्य, उत्सव आदि का आयोजन किया जाता है। ये दिन शक्ति स्वरूप माता दुर्गा की आराधना के दिन माने जाते हैं। चैत्र नवरात्रि का अत्यधिक महत्व महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में देखने को मिलता है। वहीं शारदीय नवरात्रि का महत्व गुजरात,बंगाल में देखने को मिलता है। शारदीय नवरात्रि के मौके पर बंगाल वासी माता के शक्ति की आराधना यानी दुर्गा पूजा का पर्व मनाते हैं, तो वहीं गुजरात में गरबा, डांडिया जैसे कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन विजयदशमी का आयोजन किया जाता है।

चैत्र नवरात्रि के अंत में राम नवमी का पर्व मनाया जाता है। रामनवमी को लेकर ऐसी मान्यता है, कि भगवान श्री राम का जन्म राम नवमी के दिन ही हुआ था। विजय दशमी के दिन माता दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था।

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