यहां जानें यजुर्वेद की संपूर्ण जानकारी, जिसमे है यज्ञ-कर्म और विधि-विधान का नियम
Yajurveda in Hindi: यजुर्वेद चारों वेदों (यजुर्वेद, अथर्वेद, सामवेद, ऋगवेद) में से एक है। यह हिंदू धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रथं है, जिसमें यज्ञ की पूजा-पाठ की सारी प्रक्रिया के लिए गद्य और पद्य मंत्र दिए गए हैं। तो आइये यजुर्वेद के बारे में विस्तार से जानते हैं।;
Yajurveda in Hindi: यजुर्वेद चारों वेदों (यजुर्वेद, अथर्वेद, सामवेद, ऋगवेद ) में से एक है। यह हिंदू धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रथं है, जिसमें यज्ञ की पूजा-पाठ की सारी प्रक्रिया के लिए गद्य और पद्य मंत्र दिए गए हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऋग्वेद को पहला वेद और उसके बाद यजुर्वेद को दूसरा वेद माना जाता है। इस वेद में ऋग्वेद के 663 मंत्र उपलब्ध होने के बावजुद भी इस वेद को ऋग्वेद से अलग माना गया है। ऐसा इसलिए कि इस ग्रंथ में मुख्य रूप से गद्यात्मक ग्रंथ का रूप है। ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार, यज्ञ में कहे जाने गद्यात्मक मंत्रों को यजुस कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यजुर्वेद के पद्यात्मक मंत्र ऋग्वेद या अथर्ववेद से लिया गया है। ग्रंथों के अनुसार, यजुर्वेद में पद्यात्मक मंत्र बहुत ही कम हैं।
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जानें यजुर्वेद की शाखाएं
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यजुर्वेद की दो शाखाएं हैं। पहला दक्षिण भारत में प्रचलित कृष्ण यजुर्वेद और दूसरा उत्तर भारत में प्रचलित शुक्ल यजुर्वेद। कहा जाता है कि जिस स्थान पर ऋग्वेद की रचना सप्त-सिंधु क्षेत्र में हुई थी, वहीं पर यजुर्वेद की रचना कुरुक्षेत्र में मानी जाती है। कुछ लोगों का मनाना है कि यजुर्वेद की रचना 1400 से 1000 ई.पू. में हुई थी।
कैसे रखा गया यजुर्वेद का नाम
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यजुर्वेद को यजुस के नाम पर रखा गया है। यजुर्वेद का संधि यजुस+वेद =यजुर्वेद होता है। अगर दोनों की अर्थ की बात करें तो यजुस का शाब्दिक अर्थ यज्ञ होता है। इस ग्रंथ का मूलत: कर्मकाण्ड में प्रयोग किया जात है। धार्मक मान्यताओं के अनुसार, यजुर्वेद मंत्र का उच्चारण अध्वुर्य नामक पुरोहित ने किया था।
क्या है यजुर्वेद
यजुर्वेद कर्मकाण्ड का धार्मिक ग्रंथ है, जिसमें अधिकांशत यज्ञों और हवनों के नियमों और विधानों के बार में बताया गया है। यजुर्वेद ग्रंथ से आर्य समाज के सामाजिक और धार्मिक जीवन पर प्रकाश डालता है। इसके साथ ही इस ग्रंथ में वर्ण-व्यवस्था तथा कई तरह की वर्णाश्रम की झांकिया भी उपस्थित है। यानी कह सकते हैं कि यजुर्वेद एक मंत्रों का संग्रह हैं, जिसमें कर्मकांड के कई सारे यज्ञों की जानकारी विस्तार से दिए गए हैं।
यजुर्वेद में यज्ञों की जानकारी
अग्निहोत्र
अश्वमेध
वाजपेय
सोमयज्ञ
राजसूय
अग्निचयन
जानें यजुर्वेद का प्रमुख दो भाग
शुक्ल यजुर्वेद
कृष्ण यजुर्वेद
जानें शुक्ल यजुर्वेद की संपूर्ण जानकारी
यजुर्वेद के शुक्ल भाग में केवल दर्शपोर्मासादि यानी अनुष्ठान हैं। यानी कि शुक्ल यजुर्वेद में अनुष्ठान के मंत्रों का संकलन हैं। इस यजुर्वेद के अंतर्ग उपनिषद भी आते हैं। जो इस प्रकार है।
अध्यात्मोपनिषद
आद्यैतारक उपनिषद
भिक्षुकोपनिषद
बृहदारण्यकोपनिषद
ईशावास्योपनिषद
हंसोपनिषद
जाबालोपनिषद
मंडल ब्राह्मण उपनिषद
मन्त्रिकोपनिषद
मुक्तिका उपनिषद
निरालम्बोपनिषद
पैंगलोपनिषद
परमहंसोपनिषद
सत्यायनी उपनिषद
सुबालोपनिषद
तारासार उपनिषद
त्रिशिखिब्राह्मणोपनिषद
तुरीयातीतोपनिषद
अद्वयतारकोपनिषद
याज्ञवल्क्योपनिषद
शाट्यायनीयोपनिषद
शिवसंकल्पोपनिषद
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जानें शुक्ल यजुर्वेद की मुख्य शाखाएं
यजुर्वेद के इस भाग की मुख्य शाखाएं माध्यन्दिन और काण्व हैं।
कृष्ण यजुर्वेद की संपूर्ण जानकारी
यजुर्वेद के इस भाग में तंत्रियोजक ब्राह्मणों के साथ-साथ मंत्रों का सम्मिश्रण हैं। यानी कह सकते हैं कि कृष्ण यजुर्वेद मंत्रों और ब्राह्मण का एकत्र मिश्रण होता है। इस यजुर्वेद में मंत्रों का विशुद्ध एवं अमिश्रित रूप होता है जिसे शुक्त यजुष् के शुक्लत्व का कारक होता है। कृष्ण यजुर्वेद में भी उपनिषद होते हैं, जो इस प्रकार है।
कृष्ण यजुर्वेद में ये हैं उपनिषद
अक्षि उपनिषद
अमृतबिन्दु उपनिषद
अमृतनादोपनिषद
अवधूत उपनिषद
ब्रह्म उपनिषद
ब्रह्मविद्या उपनिषद
दक्षिणामूर्ति उपनिषद
ध्यानबिन्दु उपनिषद
एकाक्षर उपनिषद
गर्भ उपनिषद
कैवल्योपनिषद
कालाग्निरूद्रोपनिषद
कर उपनिषद
कठोपनिषद
कठरूद्रोपनिषद
क्षुरिकोपनिषद
नारायणो
पंचब्रह्म
प्राणाग्निहोत्र
रुद्रहृदय
सरस्वतीरहस्य
सर्वासार उपनिषद
शारीरिकोपनिषद
स्कन्द उपनिषद
शुकरहस्योपनिषद
श्वेताश्वतरोपनिषद
तैत्तिरीयोपनिषद
तेजोबिन्दु उपनिषद
वराहोपनिषद
योगकुण्डलिनी उपनिषद
योगशिखा उपनिषद
योगतत्त्व उपनिषद
कलिसन्तरणोपनिषद
चाक्षुषोपनिषद
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कृष्ण यजुर्वेद की प्रमुख शाखाएं
तैत्तिरीय,
मैत्रायणी,
कठ
कपिष्ठल
वाजसनेयी
Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।