Amalaki Ekadashi 2020 Date : आमलकी एकादशी 2020 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और भगवान विष्णु की कथा

Amalaki Ekadashi 2020 Date : आमलकी एकादशी पर आंवले के वृक्ष की विशेष रूप से पूजा की जाती है, क्योंकि आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास माना गया है, इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करके उसे ग्रहण करने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है तो चलिए जानते हैं आमलकी एकादशी 2020 में कब है ( Amalaki Ekadashi 2020 Mai Kab Hai),आमलकी एकादशी का शुभ मुहूर्त (Amalaki Ekadashi Shubh Muhurat), आमलकी एकादशी का महत्व (Amalaki Ekadashi Importance), आमलकी एकादशी की पूजा विधि (Amalaki Ekadashi Puja Vidhi) और भगवान विष्णु की कथा (Lord Vishnu Story);

Update: 2020-02-08 02:35 GMT

Amalaki Ekadashi 2020 Date : आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन आंवले का उपयोग करने से भगवान श्री हरि विष्णु (Shri Hari Vishnu) अत्यंत प्रसन्न होते हैं तो चलिए जानते हैं आमलकी एकादशी 2020 में कब है, आमलकी एकादशी का शुभ मुहूर्त, आमलकी एकादशी का महत्व, आमलकी एकादशी की पूजा विधि और भगवान विष्णु की कथा


आमलकी एकादशी 2020 तिथि (Amalaki Ekadashi 2020 Tithi)

6 मार्च 2020

आमलकी एकादशी 2020 शुभ मुहूर्त (Amalaki Ekadashi 2020 Shubh Muhurat)

सर्वार्थ सिद्धि योग - सुबह 6 बजकर 41 मिनट से सुबह 10 बजकर 39 मिनट तक

अमृत काल - सुबह 8 बजकर 20 मिनट से सुबह 9 बजकर 52 मिनट तक

एकादशी तिथि प्रारम्भ - दोपहर 01 बजकर 18 मिनट से (5 मार्च 2020)

एकादशी तिथि समाप्त - सुबह 11 बजकर 47 मिनट तक (6 मार्च 2020)


आमलकी एकादशी का महत्व (Amalaki Ekadashi Ka Mahatva)

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में आंवला के श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है।माना जाता है कि जब भगवान श्री हरि विष्णु ने जब सृष्टि की रचना के लिए जब ब्रह्मा जी को जन्म दिया था। उस समय से ही आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति भी हुई थी। आवंले के वृक्ष को भगवान विष्णु ने आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है। माना जाता है कि आवलें के वृक्ष के अंदर स्वंय श्री हरि विष्णु का वास है।

इसी कारण से आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है और आंवले के वृक्ष की परिक्रमा की जाती है इस दिन आंवले का सेवन भी किया जाता है।आंवले का सेवन करने से मनुष्य के जीवन के सभी पाप कट जाते हैं। इसी कारण से इस दिन भगवान विष्णु को प्रसाद के रूप में भी आंवला चढ़ाया जाता है। आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करन से सभी सुखों की प्राप्ति तो होती ही है। इसके साथ ही मरने के बाद बैकुंठ धाम की प्राप्ति भी होती है।


आमलकी एकादशी की पूजा विधि (Amalaki Ekadashi Puja Vidhi)

1. आमलकी एकादशी के दिन साधक को सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करना चाहिए और उसके बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

2.इसके बाद आपको किसी आंवले के वृक्ष के समीप जाकर पूजा करनी चाहिए। आपको आवंले के वृक्ष के पास भूमि को साफ कर लेना चाहिए।

3. भूमि को साफ करने के बाद वहीं पर कलश की स्थापना करें और उस पर भगवान श्री हरि विष्णु की फोटो या मूर्ति रखें।

4. इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र समर्पित करें।

5. वस्त्र अर्पित करने के बाद उनका चंदन से तिलक करें और उन्हें द्रव्य, सुंगधित फूल, माला,नैवेद्य भी चढ़ाएं।

6. इसके बाद भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें और उनकी कथा पढ़े या सुनें

7. कथा सुनने के बाद भगवान विष्णु की धूप व दीप से आरती उतारें।

8. भगवान विष्णु की आरती उतारने के बाद उन्हें पीले रंग की मिठाई और आंवले का भोग लगाएं।

9. इसके बाद आंवले के वृक्ष की 11,21,51 या 101 बार परिक्रमा करें।

10. अंत में भगवान विष्णु से पूजा में हुई किसी भी प्रकार की भूल के लिए क्षमा याचना अवश्य करें।


आमलकी एकादशी की कथा (Amalaki Ekadashi Story)

पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन सृष्टि के पालनकर्ता श्री विष्णु जी की नाभि से उत्पन्न हुए ब्रह्मा जी के मन में सालाव उठा कि वह कौन हैं और उनकी उत्पत्ति कैसे हुई। तब ब्रह्मा जी अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए परब्रह्म की तपस्या करने लगे। ब्रह्म जी की तपस्या से प्रसन्‍न होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और भाव विव्हल ब्रह्मा जी के आंसू उनके चरणों पर गिरे और उनसे आंवले का वृक्ष उत्पन्न हुआ।

 ब्रह्मा जी की भक्ति से भगवान ने कहा कि इन आंसुओं से उत्पन्न ये वृक्ष और इसके फल मुझे अति प्रिय रहेंगे। जो भी आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करेगा उसके सारे पाप समाप्त हो जाएंगे और वह मोक्ष प्राप्ति का अधिकारी होगा। इसी कारण से आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष को अधिक महत्व दिया जाता है। इस दिन आंवला के वृक्ष की पूजा करके खाने से सभी प्रकार के दोषों का शमन होता है।

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