Basant Panchami Kab Hai 2020 / बसंत पंचमी कब है 2020 में, बसंत पंचमी पर क्यों की जाती है कामदेव की पूजा
Basant Panchami Kab Hai 2020 /बसंत पंचमी कब है 2020: बसंत पंचमी सरस्वती पूजा कब है 2020 में नहीं पता तो बता दें कि 29 जनवरी को है, बसंत पंचमी पर माता सरस्वती की पूजा के साथ साथ कामदेव की भी पूजा की जाती है, हिन्दू शास्त्र के अनुसार जहां जहां कामदेव होते हैं वहां पर बसंत ऋतु भी होती है, तो चलिए जानते हैं क्यों की जाती है बसंत पंचमी पर कामदेव की पूजा...;
Basant Panchami 2020 बसंत ऋतु को बहुत ही मनमोहक ऋतु माना जाता है। माघ मास की पंचमी के दिन बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। बसंत पचंमी पर विद्या की देवी और वीणा वादिनी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन मां सरस्वती के साथ- साथ प्रेम के देवता कामदेव की भी पूजा की जाती है। बसंत पंचमी का त्योहार (Basant Panchami Festival) साल 2020 में 29 जनवरी 2020 (29 January 2020) के दिन मनाया जाएगा तो आइए जानते हैं क्यों की जाती है बसंत पंचमी पर कामदेव की पूजा...
बसंत पंचमी पर कामदेव की पूजा (Basant Panchami Kamdev Ki Puja)
बसंत पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन कई जगहों पर वीणा वादिनी विद्या की देवी मां सरस्वती की आराधना की जाती है। इस दिन विद्यार्थीयों के साथ आम लोगो भी मां सस्वती की पूजा करके विद्या, बुद्धि और ज्ञान अर्जित करने की प्रार्थना करते हैं। लेकिन इस दिन मां सरस्वती के साथ- साथ प्रेम के देवता कामदेव की भी पूजा की जाती है। वहीं इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा का बहुत महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार बसंत ऋतु को कामदेव की ऋतु माना जाता है। कामदेव बसंत ऋतु को मादकता से भर देते हैं। जिसके कारण मनुष्य के शरीर में विभिन्न प्रकार के बदलाव होते हैं।
वहीं दूसरी और बसंत ऋतु को प्रेम का मौसम भी माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बसंत और कामदेव काफी घनिष्ठ मित्र थे। इसी कारण से बसंत पंचमी पर कामदेव की पूजा की जाती है। इस दिन सिर्फ न केवल कामदेव की बल्कि रती की पूजा भी की जाती है। रति जो कामदेव की पत्नी भी हैं। बसंत पंचमी के दिन कामदेव और रति की पूजा एक साथ करने से पति और पत्नी के बीच में प्रेम बढ़ता है। बसंत ऋतु में सारा वातारवरण शुद्ध हो जाता है। इसी कारण से इन दिन किसी भी मंगल कार्य को बिना मुहूर्त के भी किया जा सकता है।
बसंत पंचमी और कामदेव की कथा (Basant Panchami Kamdev Ki Katha)
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शिव के गुफा में तपस्या कर रहे थे। उस गुफा में सिर्फ भगवान शिव के अलावा कोई और नहीं था। तब उस सुनसान सी गुफा में मादकता लाने और भगवान शिव का ध्यान भंग करने के लिए कामदेव बसंत ऋतु को बुलाते हैं। जैसे ही कामदेव उस गुफा में जाते हैं तब उस गुफा में बसंत भी आ जाती है और चारो तरफ मौसम में मादकता छा जाती है। उस गुफा में अचानक ही पक्षियों की आवाज सुनाई देने लगती है।
चारों और पुष्पों की खुशबू फैल जाती है। जिसके बाद भगवान शिव कामदेव पर क्रोधित हो गए थे और उन्हें भस्म कर दिया था। लेकिन रति के प्रार्थना करने पर भगवान शिव रति को वरदान देते हैं कि द्वापर युग में कामदेव भगवान श्री कृष्ण के पुत्र बनकर पैदा होंगे और फिर से रति और कामदेव का मिलन होगा। कामदेव के इस बलिदान के कारण ही बसंत ऋतु में बसंत पंचमी के दिन उनकी पूजा की जाती है।
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