Chaitra Navratri 2020 Kab Hai : 25 मार्च से शुरू होगी चैत्र नवरात्रि, मां दुर्गा का होगा पंचक में आगमन
Chaitra Navratri 2020 Kab Hai : एस्ट्रो गुरु प्रमोद परियालजी के अनुसार चैत्र नवरात्रि 25 मार्च 2020 (Chaitra Navratri 25 March 2020) से प्रारंभ हो रही है, नवरात्रि (Navratri) में मां दूर्गा की विशेष पूजा अर्चना की जाती है, लेकिन इस बार मां दूर्गा का आगमन पंचकों में होने जा रहा है, आखिर क्या कहता है इसके बारे में ज्योतिष शास्त्र आइए जानते हैं।;
Chaitra Navratri 2020 Kab Hai : चैत्र नवरात्रि का पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन मनाया जाता है। नवरात्रि पर मां दूर्गा (Goddess Durga) के नौ अलग- अलग रूपों की पूर्जा अर्चना की जाती है। चैत्र नवरात्रि का इस साल पंचक ( Panchak) में शुरू होने जा रही है और शास्त्रों के अनुसार पंचकों को सबसे ज्यादा अशुभ माना जाता है। ऐसे में कैसा मिलेगा पंचकों में चैत्र नवरात्रि के शुरू होने का फल
पंचक का नवरात्रि से पहले आरंभ (Panchak Ka Navratri Se Pahle Aarambh)
चैत्र मास की नवरात्रि बुधवार यानी 25 मार्च से शुरू होने जा रही है। लेकिन इसके पांच दिन पहले ही यानी 21 मार्च से पंचक प्रारंभ हो जाएंगे। 21 मार्च शनिवार के दिन ही सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर धनिष्ठा नक्षत्र से ही पंचक प्रारंभ हो जाएंगे और इनकी समाप्ति 26 मार्च गुरुवार को रेवती नक्षत्र में सुबह 7 बजकर 16 मिनट पर होगी। यदि शनिवार के दिन से पंचक शुरू हो तो वह मृत्यु पंचक कहलाते हैं। मत्यु पंचक को काफी अशुभ और घातक माना जाता है। जिनकी शुरुआत नवरात्रि से ही हो रही है।
पंचक क्या होते हैं (Panchak Kya Hote Hai)
एस्ट्रो गुरु प्रमोद परियाल जी के अनुसार पांच नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहा जाता है। इस बार पंचग धनिष्ठा नक्षत्र से प्रारंभ होकर रेवती नक्षत्र पर समाप्त हो रहे हैं। पंचको में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। यदि कोई ऐसा करता है तो भी है तो इसे इसके शुभफल प्राप्त नहीं होते।
पंचक को लेकर मान्यतांए (Panchak Ko Lekar Manyataye)
ज्योतिष के अनुसार पंचको को एक अशुभ समय माना जाता है। लोगो के मन में पंचको को लेकर अक्सर यह भ्रांतियां होती है कि इनमें कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। लेकिन शुभ कार्यों के लिए पंचक को वर्जित नहीं माना गया है। नवरात्रि का त्योहार मां दूर्गा की आराधना का समय होता है। इस समय में मां दूर्गा के नौ अलग- अलग रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। इस समय में मां दूर्गा को घर में विराजित किया जाता है और उनकी पूरी विधि विधान से पूजा - अर्चना की जाती है। मां दूर्गा की आराधना के लिए पंचक मान्य नहीं है। इसलिए पंचक की वजह से मां दूर्गा की पूजा आराधना में किसी भी प्रकार का कोई विघ्न नहीं पड़ेगा।
ज्योतिषाचार्य एस्ट्रोगुरु प्रमोद परियालजी के अनुसार नवरात्रि का पंचकों में शुरू होना कोई नई बात नहीं है। लेकिन लोगों के मन में इसको लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां है। लोगो को पंचको से डरने की कोई भी आवश्यकता नहीं है। बुधवार को नवरात्रि का प्रारंभ होना काफी शुभ है। क्योंकि बुधवार का दिन बुध ग्रह का दिन माना जाता है। बुध को वित और बौद्धिक क्षमता का कारक ग्रह माना जाता है। नवरात्रि का पहला दिन चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा का दिन होता है और इसी दिन हिंदू नववर्ष का भी प्रारंभ होता है। इसलिए इस दिन यदि लोग अपने बुद्धि और बल का ठीक प्रकार से उपयोग करें तो काफी धन अर्जित कर सकते हैं।
पंचक में कौन से काम नहीं किए जाते (Panchak Mai Kon Se Kaam Nahi Kiye Jate)
एस्ट्रोगुरु प्रमोद परियालजी के अनुसार पंचकों में लकड़ी की कोई भी वस्तु बनवाना शुभ नहीं माना जाता। जब भी पंचक घनिष्ठा नक्षत्र से प्रारंभ हो उस समय में घास, लकड़ी आदि जैसी जलने वाली वस्तुओं को भी इकट्ठा करना अशुभ माना जाता है। इस समय में भूलकर भी दक्षिण दिशा में यात्रा बिल्कुल भी न करें। क्योंकि यह दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है। जिस समय पंचकों में रेवती नक्षत्र चल रहा हो उस समय घर की छत का कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही पंचक के समय में शव का अंतिम संस्कार करना भी वर्जित माना गया है।