Dev Uthani Ekadashi 2019 : देवउठनी एकादशी पर गन्ने की पूजा का महत्व
Dev Uthani Ekadashi 2019 देवउठनी एकादशी को देवउठनी ग्यारस और तुलसी विवाह के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन गन्ने की पूजा को भी विशेष महत्व दिया जाता है , तो आइए जानते हैं कि किस कारण से देवउठनी एकादशी के दिन गन्ने की पूजा की जाती है।;
Dev Uthani Ekadashi 2019 देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के जागने के बाद से ही धरती पर सभी शुभ और मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाता हैं। देवउठनी एकादशी इस साल 2019 में 9 नवंबर 2019 (9 November 2019) के दिन मनाई जाएगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के दिन गन्ने की भी पूजा की जाती है तो आइए जानते हैं क्यों कि जाती है देवउठनी एकादशी के दिन गन्ने की पूजा
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देवउठनी एकादशी के दिन क्यों की जाती है गन्ने की पूजा (Dev Uthani Ekadashi Ke Din Kyu ki Jati Hai Ganne Ki Puja)
देवउठनी एकादशी के दिन आजकल सभी लोग गन्ने की पूजा करने लगे हैं। लेकिन सनातन धर्म के अनुसार जो किसान गन्ने की फसल उगाते है। वह लोग देवउठनी एकादशी के दिन से ही गन्ने की फसल की कटाई करते थे। कटाई से पहले किसान गन्ने की पूजा करते हैं और उसके बाद ही गन्न की फसल को काटते हैं। देवउठनी एकादशी से पहले गन्ने के एक भी पौधे को हाथ नहीं लगाया जाता।इसी के अलावा इस दिन से ही नए गुड़ का भी सेवन किया जाता है। गन्ना अत्यंत ही मीठा होता है और किसी भी शुभ काम की शुरुआत मीठे से ही किया जाता है।
गन्ने को सेहत की लिए भी अत्यंत ही फायदेमंद माना जाता है। जिस समय गन्न की कटाई शुरु होती है। उस समय कार्तिक मास का प्रारंभ हो चुका होता है और तब ही ठंड का आगमन भी होता है। गन्न से गुड़ भी बनाया जाता है और माना जाता है कि गुड़ का सेवन करने से सर्दी नहीं सताती। इस कारण से भी गन्ने की कटाई से पहले किसान गन्न की पूजा करते हैं और उन्हें काटते है। इसके अलावा तुलसी विवाह पर भी गन्ने का मंडप बनाकर माता तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराया जाता है और भगवान विष्णु की पूजा में उन्हें गन्ना अर्पित करके उसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
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देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा में सिंघाड़ा, बेर, मूली, गाजर और बैंगन भी जैसे ऋतु फल भी पूजा में रखे जाते हैं। भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी पर चार माह की निद्रा के बाद जागते हैं और अपने लोक बैकुंठ में जाते हैं। इससे पहले वे देवश्यनी एकादशी के दिन निद्रा अवस्था में पाताल लोक में जाकर निवास करते हैं। इसके बाद देवउठनी एकादशी पर जब वह जागते हैं तब तो धरती पर सभी मांगलिक और शुभ कार्यों का भी प्रारंभ हो जाता है। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में गन्ने का प्रयोग किया जाता है।
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