Dhanteras 2019 : धनतेरस पर जानिए वैद्य धनवंतरी की पूजा विधि, जीवन के सभी रोग हो जाएंगे दूर
Dhanteras 2019 धनतेरस की पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi) अनुसार करने से धन की कमी नहीं होती इसके साथ ही यदि देवताओं के वैद्य धनवंतरी की पूजा विधि (Dhanteras Dhanvantri Puja Vidhi) अनुसार करने से घर परिवार के सभी रोग समाप्त हो जाते हैं, धनतेरस पर पूर्व दिशा को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए, क्योंकि धनतेरस की पूजा पूर्व दिशा में ही की जाती है, आइए जानते हैं जीवन के सभी रोग दूर करने के लिए कैसे करें धनतेरस पर वैद्य धनवंतरी की पूजा...;
Dhanteras 2019 कार्तिक मास कार्तिक मास की त्रयोदशी (Kartik Maas Triyodashi) के दिन भगवान धनवंतरी का जन्म (Dhanvantri Birth) हुआ था अतः इस दिन को धनतेरस (Dhanteras) के नाम से जाना जाता है। धनतरेस पर देवताओं के वैद्य धनवंतरी (Dhanvantri) की पूजा (Dhanvantri Puja Vidhi) का विधान है। यदि आप इस दिन भगवान धनवंतरी की पूजा विधि विधान (Dhanvantri Puja Vidhi Vidhan) से करते हैं तो आपको आपके जीवन में कोई भी रोग (Health And Wealth) नहीं सताएगा और न ही आपके जीवन में धन की कोई कमीं रहेगी। यदि आप भगवान धनतेरस की पूजा विधि के बारे में नहीं जानते तो हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं धनतेरस की पूजा विधि...
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धनतेरस पर भगवान धनवंतरी की पूजा विधि (Dhanteras Per Bhagwan Dhanvantri Ki Puja Vidhi)
1.धनतेरस के दिन घर के पूर्व दिशा या घर के मंदिर के पास साफ सुथरी जगह पर गंगा जल का छिड़काव करें।
2.इसके बाद एक लकड़ी के पीढे पर रोली के माध्यम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं उसके पश्चात एक मिट्टी के दीए को उस पीढे पर रखकर प्रज्जवलित करें।
3. इसके बाद दिए के आसपास तीन बारी गंगाजल का छिड़काव करें और दिए पर रोली का तिलक लगाएं
4.उसके पश्चात तिलक पर चावल रखें इसके पश्चात एक रुपए का सिक्का दिए में डालें।
5.इसके बाद दिए पर थोड़े पुष्प अर्पित कर दिए को प्रणाम करें।
6.इसके बाद परिवार के सभी सदस्यों को तिलक लगाएं अब उस दिए को अपने घर के प्रवेश द्वार के समीप रखें उसे दाहिने और रखे तथा ध्यान दें की दिए की लौं दक्षिण दिशा की तरफ हो
7.इसके पश्चात यम देव की पूजा हेतु मिट्टी का दीया जलाएं तथा भगवान धनवंतरी की पूजा घर में करें तथा आसन पर बैठकर धनवंतरी मंत्र ओम धन धनवंतरी नमः मंत्र का 108 बार यथासंभव जप करें।
8. इसके बाद ध्यान लगाकर यह धनवंतरी देवता मैं यह मंत्र का उच्चारण आपके चरणों में अर्पित करता हूं
9. धनवंतरी पूजा के पश्चात भगवान गणेश तथा माता लक्ष्मी की पंचोपचार पूजा करने अनिवार्य है भगवान श्री गणेश तथा माता लक्ष्मी हेतु मिट्टी के दीए प्रज्वलित करें तथा उनकी पूजा करें।
10.भगवान गणेश माता लक्ष्मी के चरणों में फूल चढ़ाएं तथा मिठाईयों का भोग लगाएं
11.इसके पश्चात शुभ मुहूर्त में घर की तिजोरी में दीपक जलाकर कुबेर जी का पूजन करना चाहिए ध्यान करते हुए भगवान कुबेर को फूल चढ़ाएं तथा उनका ध्यान लगाकर आह्वान करें।
12. हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले आभा वाले दोनों हाथों में गदा धारण करनेवाले सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृत शरीर वाले भगवान शिव के प्रिय मित्र का में ध्यान करता हूं
13.इसके पश्चात धूप दीप नैवेद्य से पूजन करके इस मंत्र का उच्चारण करें यक्षाय कुबेराय है वैष्णवणाय धन-धान्य अधिपतये धन-धान्य समृद्धि मे देही दापय स्वाहा
14. इसके पश्चात धान गेहूं उड़द चावल तथा मसूर के साथ भगवती का पूजन करना लाभकारी माना गया है पूजन सामग्री में विशेष रूप से पुष्पा के पुष्प का प्रयोग करना उचित हैं।
15.इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिए के सफेद मिष्ठान का प्रयोग करें जिससे आपको स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
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धनतेरस का महत्व (Dhanteras Ka Mahatva)
धनतेरस की पूजा शुभ मुहूर्त में करना श्रेष्ठ माना गया है 5 दिनों तक चलने वाले महापर्व दीपावली का प्रारंभ धनतेरस के त्योहार से होता है। धनतेरस शुभ धन तथा समृद्धि का त्योहार माना जाता है। इस दिन चिकित्सा के देवता धनवंतरी की पूजा की जाती है तथा अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है पुराण के अनुसार देवताओं तथा राक्षसों के बीच समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु देवताओं को अमर करने हेतु भगवान धन्वंतरी के रूप में प्रकट होकर कलश में अमृत लेकर समुद्र से निकले थे।
भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से मां लक्ष्मी जी अत्यंत प्रसन्न होती है। भगवान धन्वंतरी की चार भुजाएं हैं जिनमें से दो भुजाओं में वे संघ तथा चक्र धारण किए हुए हैं तथा दूसरे दो भुजाओं में औषधि के साथ अमृत का कलश धारण किए हुए हैं। समुद्र मंथन के समय अत्यंत दुर्लभ वस्तुओं के अलावा शरद पूर्णिमा का चंद्रमा कार्तिक द्वादशी कामधेनु गायत्रयोदशी के दिन धनवंतरी कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को भगवती मां लक्ष्मी जी का समुद्र से अवतरण हुआ था।
धनतेरस के दिन लक्ष्मी मां की पूजा प्रदोष काल के समय करनी श्रेष्ठ मानी गई है प्रदोष काल सूर्यास्त के पश्चात प्रारंभ होता है तथा 2 घंटे 22 मिनट तक व्याप्त रहता है। धनतेरस के दिन चांदी खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि चांदी चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है तथा चंद्रमा शीतलता का प्रतीक है चांदी खरीदने से मन में संतोष रूपी धन का वास होता है जिसके पास संतोष है।
वह व्यक्ति स्वस्थ सुखी तथा धनवान है ऐसा माना जाता है कि पीतल भगवान धनवन्तरि की प्रिय धातु है क्योंकि अमृत का कलश पीतल का ही बना हुआ था। इसलिए धनतेरस के दिन पीतल खरीदना शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु शुभ प्रदान करती है तथा लंबे समय तक कार्यरत रहती है तथा शुभ एवं मंगल दायक फल प्रदान करती है। मान्यता है यह भी है कि सूखे धनिए के बीज घर में रखना भी परिवार की धनसंपदा में वृद्धि करता है।
धनतेरस के पर्व पर देवी लक्ष्मी जी तथा धन के देवता कुबेर के पूजन की परंपरा के साथ-साथ देवता यम की पूजा करने का भी विधान है माना जाता है कि धनतेरस के त्यौहार पर यम देव की पूजा करने से असमय मृत्यु का भय भी नष्ट हो जाता है। इसलिये यम देव की पूजा करने के पश्चात घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर एक मुख वाला एक दीपक पूरी रात्रि जलाना चाहिए।
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