Dhanteras 2019 : धनतेरस पर जानिए एक चोर कैसे बना धन का देवता कुबेर
Dhanteras 2019 दिवाली का त्योहार (Diwali Festival) धनतेरस (Dhanteras) से ही प्रारंभ हो जाता है, कुबेर भगवान की पूजा से धन प्राप्ति होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुबेर भगवान को यह पद कैसे प्राप्त हुआ तो आइए जानते हैं कैसे एक चोर बना धन का देवता कुबेर...;
Dhanteras 2019 : धनतेरस और दिवाली पर भगवान कुबेर की पूजा का भी विधान है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान कुबेर (Kuber) अपने पिछले जन्म में कौन थे और कैसे वह धन के देवता बन गए। अगर नहीं तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे। धनतेरस का त्योहार (Dhanteras Festival) इस साल 2019 में 25 अक्टूबर 2019 के दिन मनाया जाएगा। इस दिन भगवान धनवंतरि के साथ- साथ धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है तो आइए जानते हैं कैसे एक चोर बना धन का देवता कुबेर
कौन थे भगवान कुबेर पिछले जन्म में (Kon Tha Bhagwan Kuber Pichle Janam Mai)
भगवान कुबेर पूर्वजन्म में एक गुणनिधी नाम के गरीब ब्राह्मण थे। बचपन में उन्होंने अपने पिता से धर्म शास्त्र की शिश्रा ली। लेकिन गलत संगत में आने के कारण उन्हें जुआ खेलने और चोरी की लत लग गई। गुणनिधी की इन हरकतों से परेशान होकर उनके पिता ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया। घर से निकाले जाने के बाद उनकी हालत दयनीय हो गई और वह लोगों के घर जाकर भोजन मांगने लगे। एक दिन गुणनिधि भोजन की तलाश में गांव- गांव भटक रहे थे। लेकिन उन्हें उस दिन किसी ने भोजन नहीं दिया। इसके बाद गुणनिधि भूख और प्यास से परेशान हो गए।
भूख और प्यास के कारण गुणनिधि भटकते-भटकते जंगल की और निकल पड़े। जंगल में उन्हें कुछ ब्राह्मण भोग की सामग्री ले जाते हुए दिखाई दिए। भूख की सामग्री को देख गुणनिधि की भूख और भी ज्यादा बढ गई और खाने के लालच में वह ब्राह्मणों के पीछे- पीछे चल दिए। ब्राह्मणों का पीछा करते- करते गुणनिछि एक शिवालय आ पहुंचे। जहां उन्होंने देखा की ब्राह्मण भगवान शिव की पूजा कर रहे थे और भगवान शिव को भोग अर्पित कर भजन कीर्तन में मग्न हो गए। गुणनिधि शिवालय में भोजन चुराने की ताक में बैठे हुए थे।
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उन्हें भोजन चुराने का मौका रात में तब मिला। जब भजन कीर्तन समाप्त कर सभी ब्राह्मण सो गए थे। गुणनिधि दबें पांव भगवान शिव की प्रतिमा के पास जा पहुंचे । लेकिन वहां पर इतना अंधेरा था कि उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। इसलिए उन्होंने एक दीपक जलाया। लेकिन वह दीपक हवा के कारण बुझ गया और यह क्रम बार- बार चलता रहा। अंत में वह वहां से भोग प्रसाद चुराकर भागने कि कोशिश करने लगे। भागते समय एक ब्राह्मण ने उन्हें देख लिया और चोर - चोर चिल्लाने लगा। गुणनिधि वहां से जान बचाकर भाग निकले लेकिन वह नगर के रक्षकों का निशाना बन गए।
भोजन चुराकर भागते समय गुणनिधि की मौत हो गई। लेकिन अनजाने में उनसे महाशिवरात्रि के व्रत का पालन हो गया था। जिसके कारण वह उस व्रत के शुभ फल के हकदार बन गए थे। अनजाने में महाशिवरात्रि के व्रत का पालन हो जाने की वजह से गुणनिधि अपने अगले जन्म में कलिंग देश के राजा बने। अपने इस जन्म में गुणनिधि भगवान शिव के परम भक्त हुए थे। वह सदैव भगवान शिव की भक्ति में खोए रहते थे। उनकी इस कठिन तपस्या और भक्ति को देखकर भगवान शिव उन पर प्रसन्न हुए। यह भगवान शिव की ही माया थी। जिसके कारण एक गरीब ब्राह्मण धन के देवता कुबेर कहलाए और संसार में पूजनीय बन गए।
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