Diwali par Rangoli ka Mahatva : दिवाली पर क्यों बनाए जाते हैं माता लक्ष्मी के पदचिन्ह, जानिए रंगोली का खास महत्व

दिवाली पर रंगोली का महत्व बहुत अधिक होता है। दिवाली पर घरों में रंगोली बनाई जाती है जिसमें माता लक्ष्मी के पदचिन्हों का महत्व है। रंगोली के ये चिह्न समृद्धि और मंगलकामना का संकेत हैं।;

Update: 2018-10-30 11:48 GMT

दिवाली पर रंगोली का महत्व बहुत अधिक होता है, दिवाली के दिन घर में रंगोली इसलिए बनाई जाती है ताकि मां लक्ष्मी का घर में आगमन हो।  

दिवाली के लिए जोरों शोरो से तैयारियां चल रही हैं। दिवाली के दिन लोग घरों में रंगोली अवश्य बनाते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि दिवाली पर रंगोली में माता लक्ष्मी के पैर क्यं बनाए जाते हैं..? आखिर रंगोली घरों में क्यों बनाई जाती है..?

तो आज हम आपको बताएंगे कि आखिर दिवाली पर रंगोली किसलिए बनाई जाती है। साथ ही माता लक्ष्मी के पदचिन्हों का महत्व भी बताएंगे। रंगोली को त्यौहार, व्रत, पूजा, उत्सव, विवाह आदि शुभ अवसरों पर बनाया जाता है। रंगोली हमेशा लाल गेरू, चावल, आटा या सूखे और प्राकृतिक रंगों से बनाई जाती है। रंगोली कुछ घरों में अब पेंट से भी बनाई जाती है।

दिवाली पर रंगोली का महत्व

रंगोली में लोग साधारण चित्र और आकृतियां बनाते हैं। या फिर देवी-देवताओं की आकृतियां। रंगोली में स्वस्तिक, कमल का फूल, लक्ष्मी जी के पदचिह्न भी बनाए जाते हैं। खासतौर पर दिवाली पर तो लक्ष्मी जी के पैर अवश्य बनाए जाते हैं।

रंगोली के ये चिह्न समृद्धि और मंगलकामना का संकेत हैं। दिवाली पर घरों में लक्ष्मी पैर उकेरना शुभ माना जाता है।  ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन मां लक्ष्मी सबके घरों में विचरण करती हैं। इसलिए लक्ष्मी के पैरों को घरों में माता के विचरण के तौर पर देखा जाता है।

इसीलिए घरों, देवालयों में हर दिन रंगोली बनाई जाती है। घर की महिलाएं बडे़ प्रेम के साथ इस भावना से रंगोली बनाती हैं कि यह भी ईश्वर की पूजा है। 

कहां से शुरू हुई रंगोली

रंगोली शब्द संस्कृत के एक शब्द 'रंगावली' से लिया गया है। इसे अल्पना भी कहा जाता है। भारत में इसे सिर्फ त्योहारों पर ही नहीं, बल्कि शुभ अवसरों, पूजा आदि पर भी बनाया जाता है। इससे जहां आने वाले मेहमानों का स्वागत होता है, वहीं भगवान के प्रसन्न होने की कल्पना भी की जाती है। 

रंगोली के बारे में एक प्राचीन कथा है। एक बार शंकर जी हिमालय दर्शन के लिए चल पड़े। जाते समय पार्वती जी से कहा- जब मैं घर वापस लौटूं तो मुझे घर और आंगन मन को प्रसन्न करने वाला मिलना चाहिए। अगर ऐसा ना हुआ तो मैं दुबारा हिमालय लौट जाऊंगा। यह सुन कर माता पार्वती चौंकी। उधर शंकर जी हिमालय की ओर चले गए। 

पार्वती जी ने घर में साफ-सफाई की और उसे स्वच्छ-सुंदर बनाने के लिए पूरा आंगन गोबर से लीपा भी। घर अभी पूरी तरह से सूखा भी नहीं था कि शंकर भगवान के आने की सूचना उनके पास पहुंची। पार्वती जी फूल हाथ में लिए उनके स्वागत के लिए जल्दी-जल्दी चलने के कारण वहीं फिसल गईं और उनके महावर लगे पैरों की सुंदर आकृति की छाप वहां बन गई। लाल रंग के महावर पर गिरे फूलों ने वहां का दृश्य अद्भुत बना दिया। 

तभी भगवान शंकर वहां आ पहुंचे और उसे देख कर मंत्रमुग्ध हो उठे। बड़ी प्रसन्नता से उन्होंने कहा कि जिन-जिन घरों में रंगोली से सुंदरता उत्पन्न होगी, वहां-वहां मेरा वास रहेगा और हर प्रकार की समृद्धि वहां हमेशा विराजमान रहेगी।

और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App 

Tags:    

Similar News