Dussehra 2019 Facts : इन जगहों पर मौजूद है रामायण काल के प्रमाण

Dussehra 2019 Facts दशहरे का त्योहार इस साल 2019 में 8 अक्टूबर 2019 के दिन मनाया जाएगा। दशहरे पर कई जगहों पर रामलीला का आयोजन किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्री लंका में कई ऐसी जगह है जहां पर अब भी रामायण काल के प्रमाण मौजूद हैं,;

Update: 2019-09-21 13:02 GMT

Dussehra 2019 दशहरा का त्योहार बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। श्रीलंका (Sri Lanka) में आज भी रामायण काल (Ramayan Period) के कई निशान मौजूद है। जिसमें रावण वध (Ravan Death) से लेकर रामायण काल की गुफा और सुंरग के प्रमाण है। दशहरे को विजयदशमी (Vijaydashmi) के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। दशहरे के त्योहार (Dussehra Festival) पर रावण, कुभकर्ण और मेघनाद का पुतला बनाकर उन्हें फूंका जाता है तो आइए जानते हैं किन जगहों पर मौजूद है रामायण काल के प्रमाण

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इस जगह हुआ था रावण का वध (Ravan Ka Vadha)

श्री लंका के सिन्हाला शहर में वेरदानटोटा नामक जगह स्थित है। वेरदानटोटा को विमान के उतारने की जगह भी कहा जाता था। क्योंकि यहीं पर रावण अपना पुष्पक विमान उतारा करता था। शोधकर्ताओं के अनुसार रामभक्त हनुमान के भी उत्तर दिशा में नागदीप पर निशान प्राप्त हुए हैं। शोधकर्ताओं के द्वारा वह जगह भी ढुंढ निकाली गई है जहां पर राम और रावण का युद्ध हुआ था। श्री लंका में उस स्थान को युद्घागनावा नाम से जाना जाता है। शोधकर्ताओं के अनुसार यही वह जगह जहां पर भगवान श्री राम के द्वारा रावण का वध किया गया था।


श्री लंका की इस जगह पर है हनुमानजी के पैरों के निशान (Lord Hanuman Sri Lanka)

रामायण के अनुसार रावण ने माता सीता का हरण करके उन्हें अशोक वाटिका में बंदी बनाकर रखा था। श्री लंका में अब इस जगह को सेता एलीया कहा जाता है जो नूवरा एलिया नाम की जगह पर स्थित है। इस जगह पर माता सीता का एक मंदिर भी है और इस मंदिर के पास एक झरना भी है। मान्यताओं के अनुसार यहीं पर माता सीता स्नान किया करती थीं और इसी झरने के पास ही हनुमान जी के पैरों के चिह्न प्राप्त हुए हैं। इसी जगह पर वह पर्वत भी है जिस पर हनुमान जी ने पहली बार अपने कदम रखें थे। इस पर्वत को पवाला मलाई कहा जाता है। श्री लंका में पवाला मलाई पर्वत लंकापुरा और अशोक वाटिका के बीच में स्थित है।


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यहां गिरे थे मां सीता के आंसू (Maa Sita ke Aansu)

श्री लंका में सीता टियर तालाब के अंदर ही मां सीता के आंसू गिरे थे। यह तालाब कैंडी से 50 किलोमीटर दूर नम्बारा एलिया मार्ग पर स्थित है। माना जाता है कि यह तालाब कभी भी नहीं सूखता । जब यहां पर अत्याधिक गर्मी होती है तो यहां के सभी तालाब सूख जाते हैं। लेकिन इस तालाब का पानी वैसा ही रहता है। इसके अलावा इस जगह पर सभी तालाबों का पानी मीठा है लेकिन यहां का पानी खारा है। रामायण के अनुसार जब रावण माता सीता का हरण करके उन्हें यहां लेकर आया था तो इसी तालाब में मां सीता के आंसू गिरे थे।


रामायण काल की गुफा और सुरंग (Ramayan kaal Ki Gufa Surang)

श्री लंका में एक जगह है रावनागोड़ा। यह एक ऐसी जगह है जहां पर कई गुफाएं और सुरंगे मौजूद हैं। ये सुरंगे इस जगह को अंदर ही अदंर जोड़ती थी। इन सुरंगों में आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से जाया जा सकता था। कुछ लोगों का मानना है कि इसमें से कई सुरंगे साउथ अफ्रीका तक गई है। इन्हीं गुफाओं में रावण अपनी मूल्यवान वस्तुएं, सोना और खजाना छुपाया करता था। इन सुरंगों को रावण ने अपने विशेष कामों के लिए बनवाया था।


यहां दी थी मां सीता ने अग्नि परीक्षा (Mata Sita Agani Pariksha)

श्री लंका की वेलीमड़ा जगह में डिवाउरूम्पाला मंदिर है शोधकर्ताओं के अनुसार यही वह जगह है जहां पर मां सीता ने अपनी अग्नि परिक्षा दी थी। यहां के निवासी इसी स्थान पर किसी दोषी को सजा देते थे और न्याय करते थे। इस जगह के लोग मानते हैं जैसे माता सीता ने अपनी अग्नि परीक्षा देकर अपनी सच्चाई साबित की थी । उसी प्रकार यहां पर लिया जाने वाला फैसला भी सही होता है। यहां पर दोषी को सजा मिलती है और निर्दोष व्यक्ति को उस इल्जाम से मुक्ति जो उस लगाया गया है।  

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