Dussehra 2019 : माता सीता की वजह से नहीं, इन छ: श्रापों के कारण हुई थी रावण की मृत्यु

Dussehra 2019 दशहरा इस साल 2019 में 8 अक्टूबर 2019 के दिन मनाया जाएगा, रावण काम वासना में इतना अधिक लिप्त था कि उसने पुत्रवधू रंभा के साथ भी दुष्कर्म किया था, जिसके बाद कुबेर के पुत्र नलकुबेर ने उसे श्राप दिया कि अगर वह किसी भी स्त्री को बिना उसकी मर्जी के स्पर्श करेगा तो उसके सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे।;

Update: 2019-09-30 07:12 GMT

Dussehra 2019 दशहरे पर रावण , कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले फूंके जाते हैं। लोगों में यह बात प्रचलित है कि रावण की मृत्यु का कारण माता सीता थीं।लेकिन यह बात बहुत ही कम लोग जानते हैं कि माता सीता (Mata Sita) के अपहरण से पहले भी उसे छ: श्राप मिले थे। जो उसकी मृत्यु का कारण बने थे। रावण (Ravan) एक महाज्ञानी,पराक्रमी और महापंडित था फिर भी अपने जीवन में उसने इतने पाप किए थे। जिसके कारण न केवल उसका बल्कि उसके समस्त कुल का अतं हो गया तो आइए जानते हैं किन छ: श्रापों के कारण हुई थी रावण की मृत्यु हुई थी।


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रावण का पहला श्राप (Ravan Ka Pahla Srap)

रावण को पहला श्राप रघुवंश के राजा अनरण्य ने दिया था। अनरण्य बहुत ही पराक्रमी और प्रतापी राजा हुआ करते थे। जब रावण विश्व विजय पर निकला तो उसका श्री राम के वंशज अनरण्य से बहुत ही भयंकर युद्ध हुआ था। जिसमें अनरण्य की मृत्यु हो गई। लेकिन मरने से पहले उन्होंने रावण का श्राप दिया कि मेरे ही वंश मे उत्पन्न और मेरा ही वंशज तेरी मृत्यु का कारण बनेगा। रामायण के अनुसार भगवान श्री राम ने रघुवंश में ही जन्म लिया था और भगवान श्री राम ने ही रावण को वध किया था।

रावण का दूसरा श्राप (Ravan Ka Dusra Srap)

एक बार रावण भगवान शिव से मिलने कैलाश पर्वत पर गया। जहां जाकर उसने भगवान शिव के वाहन नंदी का मजाक उड़ाते हुए। उन्हें वानर के मुख वाला कहा। तब भगवान शिव के वाहन नंदी ने रावण को श्राप दिया कि अंहकारी रावण जिस तरह से तूने आज मेरा उपहास करके मुझे वानर के मुख वाला कहा है। याद रख तेरे और तेरे समस्य कुल का सर्वनाश भी वानरों के कारण ही होगा। इस प्रकार लंका पर चढ़ाई करने और रावण की पूरी सेना का सर्वनाश वानरों के द्वारा ही किया गया था।

रावण का तीसरा श्राप (Ravan Ka Tisra Srap)

रावण को उसके जीवन का तीसरा श्राप मंदोदरी की बड़ी बहन माया ने दिया था। रावण की पत्नी के बड़ी बहन माया के पति का नाम शंभर था और वह वैजयंतपुर के राजा थे। एक बार रावण वैजयंतपुर राजा शंभर के यहां गया वहां जाकर उसने माया को अपने जाल में फंसा लिया। इस बात का पता जब राजा शंभर को लगा तो उन्होंने रावण को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया। जब राज शंभर ने रावण को बंदी बना लिया तो उसी समय राजा दशरथ ने भी शंभर पर आक्रमण कर दिया।

जिसमें राजा शंभर मृत्यु को प्राप्त हो गए। शंभर की मृत्यु के बाद जब माया ने सती होना चाहा तो रावण ने उसे अपने साथ लंका चलने के लिए कहा। तब माया ने क्रोधित होकर कहा कि तुम ने अपनी वासना के कारण मेरा सतित्व भगं करने की कोशिश की है। इसी कारण से ही मेरे पति की मृत्यु हुई है। इसलिए रावण तुम भी सती स्त्री की वासना के कारण ही मारे जाओगे।


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रावण का चौथा श्राप (Ravan Ka Chutha Srap)

रावण को चौथा श्राप एक तपस्विनी से मिला था। एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से भ्रमण के लिए निकला। भ्रमण करते समय उसे रास्ते में एक सुंदर स्त्री दिखाई दी। जो एक तपस्विनी थी और भगवान विष्णु को पति के रूप में पाने के लिए उनकी तपस्या कर रही थी। रावण ने उस स्त्री के पास पहुंचकर उसके साथ र्दुव्यवहार करना शुरु कर दिया। रावण ने उस स्त्री को बालों से पकड़कर घसीटना शुरू कर दिया और उसे अपने साथ लंका चलने के लिए कहा। उस तपस्विनी ने रावण को श्राप दिया कि तेरी मृत्यु का कारण एक स्त्री ही होगी और अपना शरीर त्याग दिया।

रावण का पांचवा श्राप (Ravan Ka Panchva Srap)

रावण तीनों लोकों को जीतने की इच्छा से जब स्वर्ग लोक पहुंचा तो उसकी नजर रंभा पर पड़ गई जो एक अप्सरा थी। रावण ने अपनी काम वासना की इच्छा से रंभा को पकड़ लिया। जब रावण ने रंभा को पकड़ा तो रंभा ने रावण से कहा कि मुझे इस तरह न पकड़ो मैं तुम्हारे भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर के लिए आरक्षित हूं। इसी वजह मैं तुम्हारी पुत्रवधू की तरह हूं। लेकिन रावण ने रंभा की एक न सूनी और उसके साथ दुष्कर्म किया। जब इस बात का पता नलकुबेर को चला तो उसने रावण को श्राप देते हुए कहा कि आज के बाद रावण किसी भी स्त्री को उसकी मर्जी के बिना नहीं छू सकेगा और यदि वह ऐसा करता है तो उसके सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे।

रावण का छठा श्राप (Ravan Ka Chata Srap)

रावण को यह श्राप उसी की बहन शूर्पणखा ने दिया था। रावण की बहन शूर्पणखा का पति विद्युतजिव्ह कालकेय नामक राजा के यहां सेनापति था। रावण जब अपने विश्वविजय अभिायान पर निकला तो उसका सामना विद्युतजिव्ह से हुआ। विद्युतजिव्ह रावण से युद्ध में हार गया और रावण ने उसका वध कर दिया। तब शूर्पणखा ने रावण को अपने मन में ही श्राप दिया कि हे रावण मेरी ही कारण तेरा और तेरे कुल का सर्वनाश होगा और जब लक्ष्मण जी ने शूर्पणखा की नाक काटी उसके बाद रावण ने माता सीता का हरण कर लिया और भगवान राम ने रावण का वध कर दिया।  

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