Ganesha Chaturthi 2019: गणेश जी का प्रिय भोग लड्डू की उत्पत्ति की कहानी
Ganesha Chaturthi 2019 गणेश जी समेत अनेक देवी-देवताओं को प्रसाद भोग के रूप में लड्डू ही अर्पित किया जाता है। मिठाइयों में अलग पहचान वाले लड्डू के उत्पत्ति और लोकप्रियता की कहानी इसी की तरह मीठी-अनोखी है। ज्योतिष के जानकार शिखर चंद जैन बता रहे हैं गणेश जी का प्रिय भोग लड्डू की उत्पत्ति की कहानी...;
Ganesha Chaturthi Festival गणेश चतुर्थी का पर्व आज देशभर में मनाया जा रहा है, कोई भी खुशी का मौका हो, घर में धार्मिक अनुष्ठान हों या शादी-ब्याह का अवसर हो, एक मिठाई ऐसी है जिसका जिक्र किए बिना कोई नहीं रहता और वह है लड्डू। विघ्नविनाशक, सन्मतिदायक गणपति जी को भी लड्डू का भोग (Lord Ganesha favourite Food
) अत्यंत प्रिय है। लड्डू शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द लड्डू का से हुई है, जिसका मतलब है छोटी गेंद।
उत्पत्ति और प्रचलन
लड्डू की उत्पत्ति और इसके प्रचलन को लेकर कई तरह के मत प्रचलित हैं। एक मत के अनुसार ईसा पूर्व चौथी सदी में इसका आविष्कार हमारे प्राचीन चिकित्सक सुश्रुत ने किया था। उन्होंने तिल, गुड़ और मूंगफली के गोल आकार पिंड बनाए, जिनका इस्तेमाल वे मरीजों के इलाज के लिए करते थे। दक्षिण भारत में चोल वंश के शासन के दौरान नारियल के लड्डू का भी खूब प्रचलन था। यह लड्डू ज्यादातर इसलिए पसंद किए जाते थे क्योंकि युद्ध के मैदान में जाने वाले सैनिक या दूर-दूर तक यात्राएं करने वाले व्यापारी इन लड्डुओं को आसानी से अपने साथ ले जा सकते थे. यह कई दिनों तक खराब नहीं होने के कारण सबकी पसंद और जरूरत बन गए थे।
बदलती गई बनाने की विधि
खाद्य विशेषज्ञों की राय में लड्डू शुरुआती दौर में मिठाई के तौर पर नहीं बल्कि दवाई के रूप में खाए जाते थे। मानव इतिहास का अध्ययन करने वाले बताते हैं कि लड्डू के बनाने की विधि में लगातार बदलाव आने की वजह उन दिनों होने वाले युद्ध और दूर से आने वाले व्यापारी थे। इससे बाहरी दुनिया से लोगों का संपर्क बढ़ता गया और नए आइडिया आते गए। हर कोई अपने स्वाद, जरूरत या सामग्री की उपलब्धता के अनुसार लड्डू की रेसिपी में बदलाव लाता गया। जैसे भारत में पारसियों ने इसमें खजूर, अंजीर, सूखे फल, सब्जियों के बीज आदि डाले। इसी तरह पहले लड्डुओं को मीठा बनाने के लिए गुड़ का प्रयोग होता था लेकिन फिर ब्रिटिश जमाने में चीनी के प्रचलन के कारण लड्डुओं में भी मिठास के लिए इसका इस्तेमाल होने लगा।
ये भी है खास
दुनिया का सबसे बड़ा लड्डू बनाने का रिकॉर्ड आंध्र प्रदेश स्थित तपेश्वर के निवासी वीवीएस मल्लिकार्जुन राव के नाम से दर्ज है। उन्होंने 29,465 किलो का एक लड्डू बनाकर हर किसी को हैरान कर दिया। 6 सितंबर 2016 को बनकर तैयार हुआ यह लड्डू रिफाइंड तेल, काजू, चीनी, बादाम, इलायची और पानी के साथ मिलाकर बनाया गया था।
दुनिया भर में प्रसिद्ध आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति मंदिर में हर साल 10 करोड़ से ज्यादा लड्डू प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाते हैं। यहां के लड्डू को जीआई टैग भी मिल चुका है। यहां लड्डू का प्रसाद चढ़ाने की परंपरा 2 अगस्त 1715 से जारी है। ये लड्डू देश में ही नहीं विदेश में भी खूब पसंद किए जाते हैं।
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