Guru Purnima 2019 / Chandra Grahan 2019 चंद्र ग्रहण और गुरु पूर्णिमा एक साथ, जानें कैसे करें गुरु पूजन

16 जुलाई 2019 को चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) और गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का पर्व एक साथ पड़ रहा है। जिसके कारण गुरु पूजन का समय भी घट गया है। चंद्र ग्रहण के सूतक काल से गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन बंद हो जाएगा। इसलिए आप जान लीजिये कैसे चंद्र ग्रहण के सूतक काल से पहले आपको गुरु का पूजन करना है।;

Update: 2019-07-16 09:35 GMT

Guru Purnima 2019/ Chandra Grahan 2019 गुरु पूर्णिमा पूजन विधि जानना बेहद आवश्यक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया भी पड़ रहा है। गुरु पूर्णिमा का पर्व आज यानी 16 जुलाई 2019 के दिन मनाया जा रहा है। चंद्र ग्रहण की वजह से गुरु पूर्णिमा की पूजा अवधि पर भी इसका असर पड़ा है। आज आप अपने गुरु का पूजन (Guru Pujan) सिर्फ कुछ ही घंटे कर सकते हैं। क्योंकि चंद्र ग्रहण का सूतक काल 4 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ हो रहा है और चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) के सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। शास्त्रों के अनुसार अगर चंद्र ग्रहण के सूतक काल (Chandra Grahan Sutak Kaal) में अगर कोई शुभ कार्य किया जाता है तो उसका शुभ परिणाम प्राप्त नही होता।


चंद्र ग्रहण 2019 सूतक काल का समय (Chandra Grahan 2019 Sutak Kaal Timing )

सूतक काल का समय - 4 बजकर 31 मिनट (16 जुलाई 2019)


क्या है चंद्र ग्रहण का समय ( Kya Hai Chandra Grahan Ka Samay)

चंद्र ग्रहण 16 जुलाई 2019 को मध्य रात्रि 1 बजकर 31 मिनट को शुरु होगा और अगले दिन 17 जुलाई 2019 को 4 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। चंद्र ग्रहण की यह समय अवधि लगभग 3 घंटे की रहेगी। 16 जुलाई 2019 के दिन चंद्रमा का उदय 6 से 7 बजे के बीच में उदय हो जाएगा। यह चंद्र ग्रहण पूरे देश भर में देखा जा सकता है। चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं , बच्चे , बूढ़े और रोगी व्यक्ति को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। चंद्र ग्रहण को नग्न आखों से बिल्कुल भी न देखें न हीं तो आपकी खराब हो सकती हैं।


गुरु पूर्णिमा पूजन विधि (Guru Purnima Pujan Vidhi)

1. गुरु पूर्णिमा के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठें। उसके बाद घर की अच्छी तरह से सफाई फिर स्नान करें। स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।

2.इसके बाद किसी साफ चौकी पर गंगा जल छिड़क कर उसे शुद्ध कर लें। इसके बाद व्यास पीठ का निर्माण करेंष

3. इसके बाद व्यास जी के मंत्र गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये'. का जाप करके व्यास जी का स्मरण करें।

4.उसके बाद अपने गुरु की फोटो की फोटो स्थापित करें। अगर आपके पास अपने गुरु की फोटो न हो तो उनकी मिट्टी की मूर्ति भी बना सकते हैं।

5.इसके बाद गुरु के पैसर धोएं और उन्हे हल्दी या केसर का तिलक लगांए।

6. इसके बाद अपने गुरु को पीले फूल अर्पित करें।

7.इसके बाद ऊं गुरुवे नम: मंत्र का जाप करें।

8. इसके बाद अपने गुरु को भोजन कराएं । अगर आपके गुरु न हो तो उनके नाम का भोजन निकाल किसी ब्राह्मण को दे दें।

9.भोजन कराने के बाद अपने गुरु को उपहार दें और उनका आर्शीवाद प्राप्त करें।

10. अगर आपके गुरु इस दुनिया में न हो तो किसी भी ब्राह्मण को वस्त्र आदि देकर उनका आर्शीवाद प्राप्त करें। 

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