Guru Purnima 2019 Date and Story : गुरु पूर्णिमा पर जानें महार्षि वेद व्यास जी की कहानी
गुरु पूर्णिमा 2019 (Guru Purnima 2019): Guru Purnima 2019 16 में जुलाई को मनाई जाएगी। वेद व्यास के पिता का नाम महार्षि पराशर और माता का नाम सत्यवती था। महर्षि वेद व्यास का पूरा नाम कृष्णद्वैपायन है। शास्त्रों के अनुसार वेद व्यास जी को अमृत्व प्राप्त है। आइये जतने हैं क्या है वेद व्यास जी की कहानी (Veda Vyas Kahani);
Guru Purnima 2019 गुरु पूर्णिमा को महार्षि वेद व्यास जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। महार्षि वेद व्यास कई वेदों और पुराणों के रचयिता थे। गुरु पूर्णिमा जीवन में गुरु की महिमा को समझाने के लिए मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा का पर्व साल 2019 में 16 जुलाई 2019 के दिन मनाया जाएगा। इस दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। गुरु पूर्णिमा के दिन लोग अपने - अपने गुरुओं अनेकों उपहार देते हैं और उनका आर्शीवाद प्राप्त करते हैं। इस दिन लोग अपने दिवंगत गुरुओं को भी याद करते हैं और उनकी चरण पादुकाओं का विधिवत पूजन करते हैं। इतना ही नहीं लोग अपने दिवंगत गुरुओं के नाम से दान और दक्षिणा भी देते हैं। गुरु पूर्णिमा के इसी महत्व (Guru Purnima Ka Mahatva) को समझते हुए प्रत्येक साल गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के दिन महार्षि वेद व्यास का जन्मोत्सव मनाया जाता है । आइए जानते हैं कौन थे महार्षि वेद व्यास (Kon The Maharishi Veda Vyasa) और क्या है वेद व्यास जी की कहानी ? (Veda Vyas Story)
वेद व्यास जी की कहानी (Story Of Veda Vyas)
महार्षि वेद व्यास जी का जन्म आज से लगभग 3000 ई. पूर्व आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था । वेद व्यास के पिता का नाम महार्षि पराशर और माता का नाम सत्यवती था। महर्षि वेद व्यास का पूरा नाम कृष्णद्वैपायन है। शास्त्रों के अनुसार वेद व्यास जी को अमृत्व प्राप्त है।
वेद व्यास जी को महाभारत का रचयिता माना जाता है। वेद व्यास जी ने कुल मिलाकर अठारह वेदों की रचना की है। इसी के साथ वेदों को विभाजित करने का कार्य भी वेद व्यास जी ने ही किया था । इसी कारण इन्हें वेद व्यास के नाम से जाना जाता है।
महार्षि वेदव्यास को भगवान विष्णु का कालावतार माना जाता है। वेद व्यास जी द्वापर युग के अंतिम भाग में भी प्रकट हुए थे। महार्षि वेद व्यास जी इतने ज्ञानी थे कि उन्होनें अपनी दिव्य दृष्टि से यह पहले से ही जान लिया था कि कलयुग में मनुष्यों की शारीरीक और बौद्धिक क्षमता दोनों घट जाएगी।
बौद्धिक क्षमता के कम होने के कारण ही कलयुग में मनुष्य वेदों का अध्ययन करने और समझने में असमर्थ रहेगा। कलयुग में भी मनुष्य को वेदों का सभी ज्ञान हो सके इसलिए व्यास जी ने वेदों को चार भागों में बांट दिया।
इसके अलावा भी जो लोग वेदों का अध्ययन करने में असमर्थ हैं। उनके लिए वेद व्यास जी ने महाभारत की रचना की थी। महाभारत में वेदों की सभी बातों का समावेश है । महाभारत में धर्मशास्त्र, नीतिशास्त्र, उपासना और ज्ञान-विज्ञान की बातों को आसानी से समझाया गया है।
वेद व्यास जी ने लोगों के कल्याण और धर्म का प्रचार करने और प्रभु की भक्ति के लिए अठारह वेदों की रचना की थी। इन वेदों में व्रत विधि , तीर्थ स्थानों का महात्मय आदि सब विस्तार से बताया गया है। महार्षि वेद व्यास जी ने वेदांत दर्शन की भी रचना की है । जिन्हें उन्होंने बड़े ही सरल छोटे- छोटे सूत्रों के माध्यम से समझाया है।
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