Holi 2020 March : जानिए क्या होता है होलाष्टक और क्यों नहीं किए जाते इसमें कोई शुभ काम

Holi 2020 March : होलाष्टक (Holashtak) साल 2020 में 3 मार्च 2020 से प्रारंभ हो जाएंगे जो फाल्गुन मास पूर्णिमा (Falgun Purnima) तिथि को होलिका दहन के बाद समाप्त हो जाएंगे, लेकिन यह होलाष्टक क्या होते हैं और इस समय में शुभ कार्य करना क्यों वर्जित माना जाता है आइए जानते हैं।;

Update: 2020-02-28 07:17 GMT

Holi 2020 March : होली का त्योहार (Holi Festival) 10 मार्च 2020 को मनाया जाएगा। लेकिन होली से आठ दिन पहले ही होलाष्टक प्रारंभ हो जाएगा। होलाष्टक को ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बहुत ही अशुभ माना जाता है। यह होलाष्टक होलिका दहन (Holika Dahan) के बाद भी समाप्त होता है तो चलिए जानते हैं क्या होता है होलाष्टक और क्यों नहीं किए जाते इसमें कोई शुभ काम।

जानिए क्या होता है होलाष्टक (Kya Hota Hai Holashtak)

होलाष्टक दो शब्दों के मेल से बना है होला और अष्टक जिसका अर्थ होता है होली (Holi) के पूर्व के आठ दिन और होली के पहले के इन्हीं आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता है।फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक प्रारंभ (Holashtak Starting) हो जाता है। यह होली से आठ दिन पहले ही प्रारंभ हो जाता है। यह आठ दिन ही होलाष्टक के नाम से जाने जाते हैं। जो फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होकर होकर फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन के साथ ही समाप्त होता है।


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलाष्टक के समय कुछ ग्रह उग्र अवस्था में आ जाते हैं और उन ग्रहों के उग्र अवस्था में होने के कारण ही कोई शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। फाल्गुन मास अष्टमी तिथि को चंद्रमा, नवमी को सूर्य,दशमी को शनि,एकादशी को शुक्र, द्वादशी को बृहस्पति, त्रयोदशी को बुध और चतुर्दशी को मंगल अपनी उग्र अवस्था में आ जाते हैं। इसके साथ ही पूर्णिमा के दिन राहु अपनी उग्र अवस्था में होता है।

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इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि प्रेम के देवता काम देव ने महादेव के ऊपर प्रेम का बाण चलाकर भगवान शिव की तपस्या को भंग किया था और इसी से क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने तीसरे नेत्र को खोलकर इसी फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भस्म कर दिया था। इसी समय से होलाष्टक की शुरूआत हो गई थी। भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को भी हिरण्यकश्यप ने फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन ही बंधी बनाया था और प्रह्वाद को यातनाएं देने लगे थे।


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जिसकी वजह से होली से पहले आठ दिन का समय बहुत ही ज्यादा अशुभ माना जाता है। जिसमें कोई भी शुभ कार्य करना निषेध माना गया है। यदि कोई व्यक्ति इस समय में कोई भी शुभ कार्य करता है तो उसे इसके विपरित परिणाम ही प्राप्त होते हैं।

होलाष्टक के समय में विवाह, गृह निर्माण, नवविवाहित वधु का आना या जाना,मांगलिक कार्य, हिंदू धर्म के अनुसार किए जाने वाले सोलह संस्कार, यज्ञ, धार्मिक अनुष्ठान जैसे कार्य करना बिल्कुल वर्जित माना गया है।लेकिन इस समय में नित्य की जाने वाली पूजा पाठ की जा सकती है। होलिका दहन के बाद होलाष्टक समाप्त हो जाता है और उस समय में शुभ और मांगलिक कार्यों की फिर से शुरूआत हो जाती है। 

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