Kalashtami 2019 : कालाष्टमी कब है, कालाष्टमी का महत्व, काल भैरव की पूजा विधि, कालाष्टमी की कथा और कालाष्टमी के टोटके

kalashtami 2019 : कालाष्टमी 2019 में कब है, (Kalashtami 2019 Mai kab Hai), क्या है कालाष्टमी का महत्व (Kya Hai Kalashtmi Ka Mahatva), क्या है काल भैरव की पूजा विधि (kaal bhairav Ki Puja Vidhi) , क्या है कालाष्टमी की कथा (Kya Hai kalashtami ki Katha) और क्या है कालाष्टमी के टोटके, अगर आप इनके बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे। कालाष्टमी वैसे तो साल में कई बार आती है। लेकिन आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष (Asad Krishna Ashtami) में पड़ने वाली कालाष्टमी को विशेष महत्व दिया गया है। इस दिन भगवान काल भैरव की विशेष पूजा - अर्चना की जाती है। तंत्र-मंत्र के साधकों के अनुसार भगवान भैरव को परम शक्तिशाली रुद्र बताया गया है। काल भैरव शिव (Shiva) के ही रौद्र रूप माने जाते हैं। काल भैरव की पूजा से किसी भी प्रकार की उपरी बाधा भूत-प्रेत, जादू-टोने आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। अगर आप भी कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करना चाहते हैं और आपको नहीं पता की कालाष्टमी कब है (kalashtami Kab Hai), क्या है कालाष्टमी का महत्व , क्या है काल भैरव की पूजा विधि और क्या है कालाष्टमी की कथा तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं कालाष्टमी की तिथि (kalashtami Ki Tithi) , कालाष्टमी के महत्व (kalashtami Ka Mahtva), काल भैरव की पूजा विधि और कालाष्टमी की कथा (kalashtami ki Katha) की कथा के बारे में......;

Update: 2019-06-11 07:42 GMT

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कालष्टमी 2019 तिथि (kalashtami 2019 Tithi)

25 जून 2019

काल भैरव पूजा विधि (kaal bhairav Puja Vidhi)

1.किसी भी व्रत में बह्मच्रर्य बहुत जरूरी है। इस ब्रह्मचर्य का पालन करें। सुबह जल्दी उठकर स्नाना आदि करके साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2.भगवान शिव के भैरव रूप की षोड्षोपचार सहित पूजा करनी चाहिए।

3.काल भैरव का शराब की पूजा करने से सभी तरह के ग्रह दोष और नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिलता है।

4. भगवान काल भैरव के जप-तप व पूजा-पाठ और हवन से मृत्यु तुल्य कष्ट भी समाप्त हो जाते हैं।

5.भगवान काल भैरव की पूजा में काले कुत्तों को दूध पिलाने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।


कालाष्टमी का महत्व (kalashtami Ka Mahatva)

काल भैरव को शिव का रूप माना जाता है। हिंदू शास्त्रों में काल भैरव को गुस्से का देवता माना गया है। काल भैरव की पूजा से भूत, पिशाच एवं काल की बुरी शक्तियों से छुटकारा मिलता है। कालाष्टमी के दिन काल भैरव की विशेष पूजा का विधान है। यह दिन तंत्र मंत्र की साधना के लिए बेहद खास माना जाता है। सिद्धि प्राप्ति के लिए भी यह दिन बेहद खास माना जाता है।

काल भैरव को भगवान शिव जी के ही रौद्र रूप मे पूजा जाता हैं, लेकिन कुछ शास्त्रों में इन्हें शिवजी का पुत्र भी कहा गया है। भगवान शिव के बताए मार्ग पर चलने वाले को ही भी भैरव ही कहा जाता हैं। भैरव की बस उपासना करने से ही आपके सारे भय और अवसाद का नाश हो सकता है और तो और इनकी उपासना से इंसान को अदम्य साहस की प्राप्ति भी होती है। क्रुर ग्रह शनि और राहु की बाधाओं से मुक्ति के लिए भैरव की पूजा काफी अचूक होती है।


कालाष्टमी व्रत कथा (Kalashtami Vrat Katha)

शिव पुराण के अनुसार कि देवताओं ने ब्रह्मा और विष्णु जी से बारी-बारी से पूछा कि ब्रह्मांड में सबसे श्रेष्ठ कौन है। जवाब में दोनों ने स्वयं को सर्व शक्तिमान और श्रेष्ठ बताया, जिसके बाद दोनों में युद्ध होने लगा। इससे घबराकर देवताओं ने वेदशास्त्रों से इसका जवाब मांगा। उन्हें बताया कि जिनके भीतर पूरा जगत, भूत, भविष्य और वर्तमान समाया हुआ है वह कोई और नहीं बल्कि भगवान शिव ही हैं।

ब्रह्मा जी यह मानने को तैयार नहीं थे और उन्होंने भगवान शिव के बारे में अपशब्द कह दिए, इससे वेद व्यथित हो गए। इसी बीच दिव्यज्योति के रूप में भगवान शिव प्रकट हो गए। ब्रह्मा जी आत्मप्रशंसा करते रहे और भगवान शिव को कह दिया कि तुम मेरे ही सिर से पैदा हुए हो और ज्यादा रुदन करने के कारण मैंने तुम्हारा नाम 'रुद्र' रख दिया, तुम्हें तो मेरी सेवा करनी चाहिए।

इस पर भगवान शिव नाराज हो गए और क्रोध में उन्होंने भैरव को उत्पन्न किया। भगवान शंकर ने भैरव को आदेश दिया कि तुम ब्रह्मा पर शासन करो। यह बात सुनकर भैरव ने अपने बाएं हाथ की सबसे छोटी अंगुली के नाखून से ब्रह्मा के वही 5वां सिर काट दिया, जो भगवान शिव को अपशब्ध कह रहा था।

इसके बाद भगवान शंकर ने भैरव को काशी जाने के लिए कहा और ब्रह्म हत्या से मुक्ति प्राप्त करने का रास्ता बताया। भगवान शंकर ने उन्हें काशी का कोतवाल बना दिया, आज भी काशी में भैरव कोतवाल के रूप में पूजे जाते हैं। विश्वनाथ के दर्शन से पहले इनका दर्शन होता है, अन्यथा विश्वनाथ का दर्शन अधूरा माना जाता है।

कालाष्टमी के टोटके (Kalashtami Ke Totke)

1. कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव के मंदिर में जाएं और भगवान काल भैरव का श्रद्धा पूर्वक प्रणाम करें इसके बाद काल भैरव को नीबूं की माला अर्पित करें। यह उपाय आपको जीवन में अपार सफलता देगा और यदि आपकी कोई ऐसी इच्छा है जो पूरी नहीं हो रही है तो वह भी इस उपाय से पूरी हो जाएगी।

2. कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव को सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा सौ ग्राम काले तिल और सवा 11 रुपए लेकर एक काले रंग के कपड़े की पोटली में बांध लेने चाहिए और भगवान काल भैरव को अर्पित करने चाहिए। यह उपाय आपको आपकी सभी परेशानियों से मुक्ति दिला सकता है।

3. कालाष्टमी के दिन सबसे पहले साधक को सुबह जल्दी उठना चाहिए। उसके बाद स्नान करने के बाद भगवान काल भैरव के मंदिर में जाकर अबीर, गुलाल, चावल, नीले फूल और सिंदूर चढ़ाएं। इस उपाय को करने से आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाएगी।

4. कालाष्टमी के दिन काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। काला कुत्ता भगवान कालभैरव का ही रूप माना जाता है। इससे न केवल आपको काल भैरव का बल्कि शनिदेव का भी आर्शीवाद मिलेगा।

5. कालाष्टमी से लेकर 40 दिन तक भैरव जी के दर्शन करने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं और आपकी मनोंवांछित इच्छा पूरी करते हैं।


6. काल भैरव को जल्दी प्रसन्न करने के लिए कालाष्टमी के दिन काल भैरव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए और वहीं बैठकर श्रीकालभैरवाष्टकम् पाठ करने से सभी ग्रह बाधा दूर होती हैं।

7. कालाष्टमी के दिन सरसों का तेल, नारियल, चना, चिरौंजी, पुए और जलेबी चढ़ाकर पूजा करने से भगवान काल भैरव की कृपा से नौकरी में जल्दी तरक्की मिलती है।

8. कालाष्टमी के दिन शिवलिंग पर 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से 'ॐ नम: शिवाय' लिखें। ऐसा करने से आपको सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति प्राप्त होगी।

9. कालाष्टमी के दिन चमेली का तेल और सिंदूर अर्पित करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। इसी के साथ धनलाभ भी होता है।

10. कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव के मंदिर में जाकर काजल और कपूर का दान करें ऐसा करने से आपको सभी प्रकार की परेशानियो से छुटकारा प्राप्त होगा।

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