Kartik Purnima 2019 Date Time Calendar : कार्तिक पूर्णिमा कब है, कार्तिक पूर्णिमा का महत्व, व्रत विधि, स्नान और कार्तिक पूर्णिमा की कहानी
Kartik Purnima 2019 Date Time Calendar कार्तिक मास की शुरुआत 14 अक्टूबर 2019 सोमवार से हो रही है और कार्तिक पूर्णिमा 2019 में 12 नवंबर को है, हिंदू धर्म शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा का महत्व काफी अधिक है, कार्तिक पूर्णिमा का व्रत विधि विधान से करने से शिव पुत्र भगवान कार्तिके के साथ साथ भगवन श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है, कार्तिक महीने में किसी पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और कार्तिक के महीने में रोज कार्तिक की कहानी कथा का पाठ या सुनने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है।;
Kartik Purnima 2019 कार्तिक पूर्णिमा शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा के अनुसार आप इस दिन कष्टों से मुक्ति पाकर अपने घर में सुख और शांति का स्थापित कर सकते हैं। कार्तिक पूर्णिमा का व्रत (Kartik Purnima Vrat) करने और गंगा स्नान (Ganga Snaan) करने से न केवल पापों से मुक्ति मिलती है। बल्कि मरने के उपरांत स्वर्ग लोक भी प्राप्ति होती है। इस दिन दान को विशेष महत्व दिया गया है। कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन किसी निर्धन व्यक्ति या किसी ब्राह्मण को दान देने से पित्तरों को शांति प्राप्त होती है। इस दिन चावल के दान को विशेष माना जाता है तो आइए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा के बारे में....
कार्तिक पूर्णिमा 2019 तिथि (Kartik Purnima 2019 Tithi)
12 नबंवर 2019
कार्तिक पूर्णिमा 2019 शुभ मुहूर्त (Kartik Purnima 2019 Subh Muhurat)
पूर्णिमा तिथि प्रांरभ- शाम 6 बजकर 2 मिनट से (11 नबंवर 2019)
पूर्णिमा तिथि अंत- शाम 7 बजकर 4 मिनट तक (12 नबंवर 2019 )
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व (Kartik Purnima Ka Mahatva)
कार्तिक पूर्णिमा के दिन विधि-विधान से पूजा करना सबसे अधिक पवित्र और पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन पूजा करने से घर में समृद्धि आती है। इस दिन पूजा करने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा करने से कुंडली में शनि दोष भी समाप्त हो जाते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासर राक्षस का अंत किया था। त्रिपुर ने एक लाख वर्ष तक प्रयाग में तपस्या की थी और ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया था और ये वरदान मांगा था कि वह किसी देवता या मनुष्य के हाथों न मारा जाए। जिसके बाद भगवान शिव ने उस राक्षस का वध करके संसार में धर्म की स्थापना की थी।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन चावलों के दान को बेहद शुभ माना जाता है। चावल को चंद्रदेव की वस्तुओं में गिना जाता है। इसलिए इस दिन चावल के दान को शुभ माना जाता है। कार्तिकपूर्णिमा के दिन घर के दरवाजे पर रंगोली बनाना भी शुभता का प्रतीक माना जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा की पूजा विधि (Kartik Purnima Puja Vidhi)
1.कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठें। इसके बाद जल और चावल मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
2.कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर के मुख्यद्वार पर आम के पत्तों को तोरण बनाकर लगाएं।
3.भगवान शिव की विधिवत पूजा करें। शाम के समय में तुलसी के नीचे दीपक प्रज्वलित करें।
4.कार्तिक पूर्णिमा के दिन बहन, भांजे, बुआ, बेटी को दान के रूप में कुछ दें।
5.कार्तिक पूर्णिमा के दिन सरसों का तेल, तिल, काले वस्त्र किसी निर्धन व्यक्ति को अवश्य दान करें।
कार्तिक पूर्णिमा की कथा (Kartik Purnima Katha)
कार्तिक पूर्णिमा कथा के अनुसार एक बार त्रिपुर नाम के असुर ने कठोर तपस्या की। त्रिपुर की तपस्या को देखकर जड़-चेतन, जीव-जन्तु तथा देवता आदि सभी डर गए थे। उस समय सभी देवताओं ने त्रिपुर की तपस्या को भंग करने का निर्णय लिया और उन्होंने अत्यंत ही सुंदर अप्साराओं को उसके पास भेजा।
लेकिन त्रिपुर की तपस्या इतनी कठोर थी कि वह उसे भंग नहीं कर पाई। जिसके बाद ब्रह्मा जी स्वंय प्रकट हुए और उसे अपनी तपस्या का वरदान मांगने के लिए कहा। तब त्रिपुर ने वरदान स्वरुप मांगा की उसे न तो कोई देवता मार सके और न ही कोई मनुष्य। ब्रह्मा जी ने उसे यह वरदान दे दिया।
इस वरदान के मिलते ही उसने लोगों पर अत्याचार करना शुरु कर दिया। जिसके बाद वह कैलाश की और चल पड़ा। कैलाश पर पहुंचने के बाद उसके और भगवान शिव के भंयकर युद्ध हुआ। यह युद्ध काफी लंबे समय तक चला। जिसके बाद भगवान शिव ने विष्णु और ब्रह्मा जी आह्वाहन किया और उस राक्षस को मार दिया।
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