Lohri 2020 : लोहड़ी 2020 जानिए क्या है लोहड़ी के त्योहार का हिंदू धर्म में महत्व
Lohri 2020 लोहड़ी के त्योहार का हिंदू धर्म में उतना ही महत्व है। जितना कि पंजाबियों के लिए यह त्योहार महत्वपूर्ण है, पंजाबी लोग लोहड़ी दुल्ला भट्टी (Dulla Bhatti) से जोड़कर देखते हैं, तो वहीं हिंदू धर्म में इसके पीछे एक पौराणिक कथा मौजूद है तो चलिए जानते हैं लोहड़ी के त्योहार का हिंदू धर्म में महत्व (Lohri Festival Significance In Hindu Religion);
Lohri 2020 लोहड़ी के त्योहार का हिंदू धर्म में भी विशेष महत्व है। पंजाबी लोगों के लिए लोहड़ी (Lohri) का त्योहार सबसे बड़ा माना जाता है उसी प्रकार हिंदू धर्म के लोगों के लिए भी इस त्योहार का उतना ही महत्व है। इस त्योहार को कई जगह पर पंजाबी लोगों के साथ-साथ हिंदू धर्म के लोग भी मनाते हैं। लोहड़ी का त्योहार (Lohri Festival) साल 2020 में 14 जनवरी 2020 को मनाया जाएगा तो चलिए जानते हैं क्या है लोहड़ी का हिंदू धर्म में महत्व
लोहड़ी की हिंदू धर्म में मान्यता (Lohri Hindu Religion Importance)
भारत त्योहारों का देश है जहां कई सारे त्योहार मनाए जाते हैं। सर्दी के मौसम में भी भारत में कई त्योहार मनाए जाते हैं। जिनमें से विशेष है मकर संक्रांति और लोहड़ी। प्रत्येक त्योहार को मनाने के पीछे कोई न कोई धार्मिक या पौराणिक वजह तो अक्सर ही होती है। वैसे ही लोहड़ी मनाने के पीछे भी कुछ मानयताएं हैं। जिसमें से एक मान्यता भगवान शिव और माता सती से जुड़ी हुई है। उत्तर भारत में लोहड़ी का त्योहार बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
यह त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले आता है। इस त्योहार को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और कश्मीर में विशेष रूप से मनाया जाता है। पंजाबी लोगों के लिए तो यह त्योहार विशेष महत्वपूर्ण होता है और पूरे पंजाब में इसे बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने की तैयारी काफी समय पहले ही होने लगती है। लोहड़ी के दिन लोग खील ,बताशे, रेवडियां और मूंगफली की आहुति देते हैं और लोहड़ी की आग के चारो तरफ नाचते गाते भी हैं।
वहीं यदि लोहड़ी की हिंदू मान्यता की बात करें तो एक पौराणिक कथा के अनुसार राजा दक्ष प्रजापति की बेटी और भगवान शिव की पत्नी देवी सती के योगा अग्नि दाहन के रूप में हीं हर वर्ष यह अग्नि जलाई जाती है। माना जाता है कि देवी सती ने अपने पिता के द्वारा अपने पति शिवजी के अपमान से दुखी होकर यज्ञ कुंड में अपनी आहुति दे दी थी। इसलिए कहा जाता है कि उन्हीं की स्मृति में यह अग्नि जलाई जाती है। इस अवसर पर शादीशुदा बेटियों को मायके से त्योहारी भेजी जाती है।
जिसमें कपड़े, मिठाई और रेवड़ी दी जाती है। यह सब चीजें मायके से बेटियों को इसलिए दिया जाता है क्योंकि दक्ष प्रजापति के द्वारा हुई भूल को कोई पिता फिर से न दोहराए।इसके अलावा यदि बात करें लोहड़ी की पंजाबी मान्यता की तो इसके पीछे दुल्ला भट्टी की एक कहानी भी प्रचलित है। जिसके अनुसार दुल्ला भट्टी अकबर के शासन काल में पंजाब में रहता था। जिसे पंजाब में नायक के रूप की उपाधि से भी नवाजा गया था। उस समय में संदलबार में लड़कियों को अमीर लोगों की गुलामी के लिए बल पूर्वक बेच दिया जाता था।
ऐसे में दुल्ला भट्टी ने अपने दम पर न केवल उन लड़कियों को छुड़वाया बल्कि उन सब की शादी भी करवाई। इसलिए इस त्योहार को दुल्ला भट्टी को केंद्र मानकर उसकी याद में ही मनाया जाता है। जिसे कुछ जगहों पर पंजाबी और हिंदू लोग साथ मिलकर भी मनाते हैं। इसलिए लोहड़ी हिंदू और पंजाबी दोनों धर्मों के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है।