Lohri 2020 : लोहड़ी का इतिहास, जानिए कैसे हुई शुरुआत

Lohri 2020 लोहड़ी का इतिहास (Lohri Ka Itihas) सालों पुराना है। लेकिन फिर भी कुछ लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं, यह त्योहार पंजाबी किसानों के लिए अत्याधिक महत्वपूर्ण होता है। इस समय खेतों में अनाज लहलहाने लगते हैं और मौसम सुहाना होने लगता है। लोहड़ी (Lohri) की रात को सबसे लंबी रात माना जाता है। इसके अगले दिन से धीरे- धीरे दिन बढ़ने लगते हैं तो चलिए जानते हैं लोहड़ी का इतिहास;

Update: 2020-01-07 14:10 GMT

Lohri 2020 लोहड़ी का इतिहास (Lohri History) आपके लिए जानना बेहद जरूरी है। यह त्योहार मुख्य रूप से पंजाब में मनाया जाता है लेकिन पंजाब के अलावा इसे दिल्ली, हरियाणा और कश्मीर में भी मनाया जाता है । लोहड़ी का त्योहार (Lohri Festival) पौष मास की अंतिम रात और मकर संक्रांति की सुबह तक मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल 13 जनवरी को मनाया जाता है। लेकिन इस साल यह त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस त्योहार को विशेष रूप से तो चलिए जानते हैं लोहड़ी का इतिहास


लोहड़ी का इतिहास (Lohri Ka Ithihas)

लोहड़ी के पीछे के इतिहास की बात करें तो इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। जिसे दुल्ला भट्टी के नाम से जाना जाता है। यह कथा अकबर के शासन काल की है। उन दिनो दुल्ला भट्ट्र पंजाब प्रांत का सरदार था। जिसे पंजाब का नायक भी माना जाता था। उस समय में संदलबार नाम की एक जगह थी। जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। वहां लड़कियों को खरीदा और बेचा जाता था। जिसका दुल्ला भट्टी ने पूरजोर विरोध किया और लड़कियों को छुड़ाकर इस दुष्कर्म से बचाया।

इतना ही नहीं दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों की शादी कराकर उन्हें सम्मानित जीवन भी दिया। इस विजय के दिन को ही लोहड़ी के गीतों में गाया जाता है और दुल्ला भट्टी को याद किया जाता है। इस दिन को ही लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन एक खुले स्थान पर आग जलाकर इसके चारो और नाचा गया जाता है। इस दिन पंजाब के लोक गीतों पर पुरुष भागंड़ा और महिलाएं गिद्दा करती हैं। इतना ही नहीं इस दिन लोहड़ी की आग में रेवड़ी और मूंगफलियां फेंकी जाती है।

घर के सभी लोग बुजुर्गों के पास बैठकर इस त्योहार को मनाते हैं। यह दिन नविवाहित लोगों के लिए काफी खास होता है। इतना ही जिनके यहां संतान किसी संतान ने जन्म लिया होता है वह लोग अपनी संतान को लोहड़ी की आग के पास बचे का सेक कराते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से बच्चे को किसी भी प्रकार की कोई बुरी नजर नहीं लगती।


लोहड़ी का प्रसिद्ध लोकगीत (Lohri Ka Prasidh Lokgeet)

सुंदर मुंदरिए - हो

तेरा कौन विचारा-हो

दुल्ला भट्टी वाला-हो

दुल्ले ने धी ब्याही-हो

सेर शक्कर पाई-हो

कुडी दे बोझे पाई-हो

कुड़ी दा लाल पटाका-हो

कुड़ी दा शालू पाटा-हो

शालू कौन समेटे-हो

चाचा गाली देसे-हो

चाचे चूरी कुट्टी-हो

जिमींदारां लुट्टी-हो

जिमींदारा सदाए-हो

गिन-गिन पोले लाए-हो

बड़े भोले आये हो

इक पोला घिस गया हो

जिमींदार वोट्टी लै के नस्स गया हो

Tags:    

Similar News