लोकसभा चुनाव 2019 : जानें क्या है आकाश में ग्रहों की स्थिति , किसकी बढ़ेगी मुश्किल और किसे मिलेगा बहुमत

भारत में जल्द ही लोकसभा चुनाव होने वाले और सभी यह जानना चाहते हैं कि इस बार किसकी सरकार बनेगी। क्या मोदी फिर से चुनाव जीतेंगें या फिर कांग्रेस की सरकार बनेगी।;

Update: 2019-04-16 13:21 GMT

भारत में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं और और सभी यह जानना चाहते हैं कि इस बार किसकी सरकार बनेगी। क्या मोदी फिर से चुनाव जीतेंगें या फिर कांग्रेस की सरकार बनेगी। भारतीय जनता पार्टी मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए नही थक रही है, तो वहीं कांग्रेस नोटबंदी और जीएसटी जैसी खामियां गिनाकर वोट मांग रही है। आकाश में ग्रह दशा इन चनावों को लेकर क्या कह रही है। आइए जानते हैं-




आकाश में गोचरीय घटनाएं

23 मार्च क्रुर ग्रह राहु ने मिथुन राशि में प्रवेश किया

29 मार्च देव गुरु बृहस्पति ने धनु राशि में प्रवेश किया

10 अप्रैल शुभ ग्रह बृहस्पति वक्री होगा

22 अप्रैल को बृहस्पति का अतिचारी वक्री गति में फिर से वृश्चिक राशि में प्रवेश

30 अप्रैल पाप शनि वक्री होगा

7 मई क्रुर मंगल मिथुन राशि में प्रवेश करेगा वहां पहले से ही राहु विराजमान है।

इस समय शनि और केतु एक-दूसरे के साथ युति बनाकर बैठें है।

सबसे बड़ी बात यह है कि ग्रहों का परिवर्तन केवल डेढ़ महीने के काफी कम अंतराल में हो रहा हैं, जो संयोगवश भारतीय आम चुनाव 2019 के दौरान ही हैं। इसलिए, यह चुनाव हमारे पूरे देश के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण होगा। इस चुनाव परिणाम का भी भारत पर लंबे समय तक प्रभाव रहेगा।

बृहस्पति एक प्रमुख ग्रह है । भारत के चार्ट में बृहस्पति 8 वें घर (प्रतिकूलताओं का घर) का स्वामी है। इस समय बृहस्पति न तो 10 वें भाव से जुड़ा है और न ही शनि के साथ युति में है। यह स्थिति सरकार के लिए काफी अच्छी है। सरकार के लिए लग्न के स्वामी का मजबूत होना आवश्यक है। हालांकि परिणाम की तारीख को शुक्र 12 वें घर में गोचर बिल्कुलअनुकूल नहीं है।

शनि-केतु की युति से भी फायदा

मजबूत राहु और शनि मजबूत और स्थिर सरकार प्रदान करते हैं। राहु उच्च का है, इसलिए बहुत शक्तिशाली है, लेकिन, 8 वें घर में शनि कमजोरी का संकेत देता है। यह सरकार के हित के लिए हानिकारक है। हालांकि, शनि की वक्री दृष्टि उसके विपरीत प्रभाव को उलट सकता है। सबसे महत्वपूर्ण कारक शनि है, जो परिणाम के दिन केतु के साथ बहुत निकट होगा और यह एक काफी जटिल ग्रहीय स्थिति हो सकती है। यह इस चुनाव में एक निर्णायक कारक होगा। यह लोकसभा चुनाव 2019 में अप्रत्याशित, आश्चर्यजनक या चौंकाने वाले परिणाम दिखाता है। वृश्चिक में शनि और केतु की करीबी युति ने 1984 में राजीव गांधी को शानदार जीत दिलाई थी। दूसरी तरफ, मीन राशि में शनि-केतु की युति ने 1996 में इसे खंडित जनादेश में बदल दिया। हालांकि, यह एक करीबी संयोजन नहीं था। लिहाजा, लोकसभा चुनाव 2019 में शनि कुछ लोगों के लिए परेशानी भी खड़ी कर सकता है।

मोदी सरकार मिल सकता है बहुमत 

शनि-केतु की युति त्रिशंकु संसद का भी संकेत देती है, ज्योतिष आचार्यों का मानना है कि शनि-केतु के घनिष्ठ संयोजन से मोदी सरकार को अच्छे बहुमत के साथ वापसी करने में मदद मिलेगी। एक्स फैक्टर (वक्री शनि-केतु युति) भी एनडीए को वर्तमान जनादेश को पार करने में मदद कर सकता है। राजग के पास सत्ता को बनाए रखने का निश्चित मौका है।

जटिल ग्रहों का संयोजन

इसके साथ ही चुनाव परिणाम की तिथि पर चंद्रमा का गोचर शनि और केतु के साथ युति मंगल की सीधी दृष्टि होगी काफी जटिल स्थिति बना सकती है। ऐसे में चुनाव के नतीजों को समझ पाना वाकई मुश्किल है।

मंगल का अमंगल पारगमन

मंगल का पारगमन इस समय बहुत बड़ा रोल निभाएगा। जब मंगल रोहिणी नक्षत्र में वृषभ के राशि से गुजरेगा तब यह तनाव बढ़ा सकता है। शनि-केतु की युति 7 मई से मंगल-राहु की युति के सामने होगी। 7 अप्रेल और 22 जून के बीच की अवधि अत्यधिक संवेदनशील और जटिल हो सकती है। 22 जून तक की पूरी अवधि जो संयोगवश भारतीय आम चुनावों को कवर करती है, बहुत विघटनकारी हो सकती है। जो चुनाव के समय में ही हो रही हैं।

बीजेपी बन सकती है बड़ी पार्टी 

ग्रहों की स्थिति को देखकर ऐसा लगता है कि यह चुनाव इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण होगा। बीजेपी इस समय एक बड़ी पार्टी के रुप में उभरी है। इसलिए एनडीए फिर से सत्ता में आ सकती है। एनडीए के वर्तमान स्थिति को देखकर यह भी कहा जा सकता है कि वह जनादेश को भी पार कर सकती है। 

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