Makar Sankranti 2020 Calendar / मकर संक्रांति 2020 का कैलेंडर

Makar Sankranti 2020 Calendar / मकर संक्रांति 2020 का कैलेंडर : मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी 2020 को मनाया जाएगा। इस दिन मकर संक्रान्ति पुण्य काल सुबह 6 बजकर 48 मिनट से सुबह 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगा और मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल सुबह 6 बजकर 48 मिनट से सुबह 8 बजकर 42 मिनट तक रहेगा, मकर संक्रांति का कैलेंडर जानकर आप इस दिन की महत्वपूर्ण बातों के बारे में जान सकते हैं तो चलिए जानते हैं मकर संक्रांति 2020 का कैलेंडर;

Update: 2020-01-10 08:41 GMT

Makar Sankranti 2020 Calendar / मकर संक्रांति 2020 का कैलेंडर: मकर संक्रांति का त्योहार (Makar Sankranti Festival) लोहड़ी के अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन से ही सूर्यदेव उत्तरायण हो जाते हैं। जिसके बाद धीर- धीरे सर्दी समाप्त होने लगती है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं तिल, गुड़ और खिचड़ी का दान मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन किसी निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को दान देना काफी शुभ माना जाता है। लेकिन इस दिन का कैलेंडर जानना आपके लिए जानना अत्यंत ही अनिवार्य है। जिससे आप स्नान और दान के बारे में आसानी से जान सकें तो चलिए जानते हैं मकर संक्रांति का कैलेंडर


मकर संक्रांति कैलेंडर 2020  (Makar Sankranti 2020 Calendar)

तिथि

पचंमी तिथि

दिन

बुधवार

माह

माघ मास

मकर संक्रांति क्षण 

रात 2 बजकर 22 मिनट (15 जनवरी 2020)

नक्षत्र

उत्तराफाल्गुनी

योग

शोभन

करण

गर 

चंद्रमा

 सिंह राशि 

सूर्य राशि

मकर राशि

अभिजित मुहूर्त

कोई नहीं

अमृत काल मुहूर्त

सुबह 9 बजकर 28 मिनट से सुबह 10 बजकर 57 मिनट तक 

राहुकाल 

दोपहर 12 बजकर 32 मिनट से दोपहर 1 बजकर 58 मिनट तक 

सूर्योदय

 06:48 बजे

सूर्यास्त 

18:16 बजे


मकर संक्रांति का महत्व (Makar Sankranti Importance)

मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में गोचर करने पर मनाई जाती है। इस त्योहार को जप, तप, स्नान, दान और तर्पण के लिए विशेष माना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए जाते हैं। इस दिन गुड़, तिल और खिचड़ी का दान विशेष रूप से किया जाता है। इतना ही नहीं इस समय में सूर्य देव उत्तरायण हो जाते है। जिसके बाद धीरे- धीरे सर्दी कम होने लगती है। इसके अलावा माना जाता है कि इस दिन दिए गए दान का क्षय कभी भी समाप्त नहीं होता है। 

मकर संक्रांति को अलग- अलग नामों से भी जाना जाता है। दक्षिण भारत में इसे पोंगल तो वहीं महाराष्ट्र में इसे उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। इतना ही नहीं कही जगह पर इसे खिचड़ी के नाम से भी पुकारा जाता है। कई जगहों पर इस दिन पतंगें भी उड़ाई जाती है। इस दिन तिल और गुड़ से बनी मिठाईयों को खाने का भी रिवाज है। वहीं खिचड़ी बनाना, खाना और दान करना सबसे ज्यादा शुभ माना जात है। 

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