Prabodhini Ekadashi 2019 : प्रबोधिनी एकादशी कब है 2019 में, शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और प्रबोधिनी एकादशी व्रत कथा

प्रबोधिनी एकादशी 2019 में 8 नवंबर 2019 को है, प्रबोधिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, प्रबोधिनी एकादशी का महत्व, प्रबोधिनी एकादशी की पूजा विधि और प्रबोधिनी एकादशी व्रत कथा को जानने से आप न केवल भगवान विष्णु बल्कि मां तुलसी का भी आर्शीवाद प्राप्त कर सकते हैं, प्रबोधनी एकादशी के दिन कुछ लोग भगवान विष्णु की पूजा के बाद शालिग्राम (Shaligram) से तुलसी का विवाह (Tulsi Vivha) भी कराते हैं।;

Update: 2019-07-31 07:08 GMT

Prabodhini Ekadashi 2019 (प्रबोधिनी एकादशी 2019) प्रबोधनी एकादशी को देवताओं के जागने का दिन भी कहा जाता है, जिसके बाद सभी शुभ कामों की शुरुआत हो जाती है, प्रबोधिनी एकदाशी को देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है। देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi ) के दिन भगवान विष्णु सो जाते हैं, जिसके बाद सभी शुभ कामों पर रोक लग जाती है और प्रबोधिनी एकादशी (Prabodhini Ekadashi) के दिन भगवान विष्णु जागते हैं। जिसके बाद एक बार फिर से धरती पर सभी शुभ काम प्रारंभ हो जाते हैं।


प्रबोधिनी एकादशी 2019 तिथि (Prabodhini Ekadashi 2019 Tithi)

8 नवम्बर 2019

प्रबोधिनी एकादशी 2019 शुभ मुहूर्त (Prabodhini Ekadashi 2019 Subh Muhurat)

एकादशी प्रारंभ- 7 नवम्बर 2019 सुबह 9 बजकर 5 मिनट से

एकादशी समाप्त-8 नवम्बर 2019 दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक

पारण का समय- 9 नवम्बर 2019 सुबह 6 बजकर 43 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक


प्रबोधिनी एकादशी का महत्व (Prabodhini Ekadashi Ka Mahatva)

प्रबोधनी एकादशी का महत्व पुराणों के अनुसार बहुत अधिक कहा गया है। प्रबोधनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप धूल जाते हैं और उसे स्वर्ग धाम की प्राप्ति होती है। इस दिन मंत्र जाप, दान और हवन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति प्रबोधनी एकादशी का व्रत करता है तो उसे अश्वमेघ यज्ञ के समान फलों की प्राप्ति होती है। प्रबोधनी एकादशी के व्रत से मनुष्य के जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। जिसके बाद उसे सुखों की प्राप्ति होती है और वह सुखमय जीवन व्यतीत करता है।

प्रबोधनी एकादशी के दिन तुलसी पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है। कुछ लोग इस दिन को तुलसी विवाह के रूप में भी मनाते हैं। लोग इस दिन तुलसी का विवाह शालिग्राम से कराते हैं।शालिग्राम को भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना जाता है। तुलसी का विवाह शालिग्राम से पूरे विधान के साथ कराया जाता है। जिस समय देवता जागते हैं। उस समय सबसे पहली पहली प्रार्थना हरिवल्लभा तुलसी की ही सुनते हैं।इसलिए तुलसी विवाह को देवताओं के जागने का पवित्र मुहूर्त माना जाता है। तुलसी विवाह का अर्थ भगवान विष्णु के आगमन से है।


प्रबोधनी एकादशी की पूजा विधि (Prabodhini Ekadashi Puja Vidhi)

1.प्रबोधनी एकादशी के दिन साधक को ब्रह्ममुहूर्त मे उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

2. इसके बाद भगवान विष्णु की फल, फूल, कपूर, अरगजा, कुमकुम, तुलसी से विधिवत पूजा करनी चाहिए।

3. भगवान विष्णु को प्रबोधनी एकादशी के दिन विष्णु जी को ईख, अनार, केला, सिंघाड़ा आदि चढ़ाने चाहिए

4.इसके बाद भगवान विष्णु की आरती उतारनी चाहिए और भगवान विष्णु को मिठाई का भोग लगाना चाहिए।

5.मिठाई का भोग लगाने के बाद प्रसाद का वितरण करना चाहिए और रात को भी भगवान विष्णु का जागरण करना चाहिए।


प्रबोधनी एकादशी व्रत कथा (Prabodhini Ekadashi Vrat Katha)

विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु कभी सोते तो कभी जागते थे। भगवान विष्णु कई बार तो महिनों के लिए जागते थे और कई बार महिनों तक सोते थे। जिसकी वजह से देवी लक्ष्मी बहुत परेशान थी। भगवान विष्णु की इस आनियमित नींद की वजह से भगवान शिव, भगवान ब्रह्मा, देवों और सन्यासियों सभी को भगवान विष्णु के दर्शनों के लिए कई महिनों तक प्रतीक्षा करनी पड़ती थी।

यहां तक की राक्षस भी भगवान विष्णु की नींद के समय का फायदा उठाते थे और देवता, मनुष्य सभी पर अत्याचार करते थे और पृथ्वीं लोक पर अधर्म को बढ़ावा दे रहे थे। एक बार जब भगवान विष्णु जाग रहे थे तब उन्होंने देवताओं और संतों को अपने पास सहायता मांगते हुए देखा। ऋषियों ने भगवान विष्णु को बताया कि शंख्यायण नाम का असुर सभी वेंदों को चुरा कर ले गया है।

जिसकी वजह से लोग ज्ञान प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। भगवान विष्णु ने ऋषियों को वेदों को वापस लाने का आश्वासन दिया और उन्होंने कई दिनों तक शंख्यायण से युद्ध किया। युद्ध के समय भगवान विष्णु कई महिनों तक जागते रहे। जिसके बाद उन्होंने सिर्फ नींद को चार माह तक ही रखने का प्रण लिया। 

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