पौष पुत्रदा एकादशी 2019: संतान प्राप्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ है ''पुत्रदा एकादशी'', ऐसे करें व्रत

पुत्रदा एकादशी पौष मास की एकादशी तिथि को पड़ती है। यह संतान (पुत्र) की प्राप्ति के लिए सर्वाधिक महत्व का माना गया है। वैसे तो एकादशी का व्रत सभी व्रतों में महत्वपूर्ण माना गया है। संतान प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी व्रत को अमोघ माना गया है।;

Update: 2018-12-24 14:01 GMT

पुत्रदा एकादशी पौष मास की एकादशी तिथि को पड़ती है। यह संतान (पुत्र) की प्राप्ति के लिए सर्वाधिक महत्व का माना गया है। वैसे तो एकादशी का व्रत सभी व्रतों में महत्वपूर्ण माना गया है। संतान प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी व्रत को अमोघ माना गया है।

साथ ही पौष पुत्रदा एकादशी व्रत करने से संतान की समस्याओं का समाधान भी होता है। इस बार पुत्रदा एकादशी 17 जनवरी (गुरुवार) को मनाई जाएगी। ज्योतिषी पंडित धनंजय पाण्डेय के अनुसार पुत्रदा एकादशी व्रत रखने के नियम और महत्व ये हैं।

पुत्रदा एकादशी: व्रत रखने के नियम:-

यह व्रत दो प्रकार से रखा जाता है निर्जला व्रत और फलाहारी अथवा जलीय व्रत

सामान्य तौर पर निर्जला व्रत पुर्णतः स्वस्थ व्यक्ति को ही रखना चाहिए।

सामान्य लोगों और अन्य को फलाहारी या जलीय व्रत रखना चाहिए।

संतान संबंधी मनोकामनाओं के लिए इस एकादशी के दिन भगवान कृष्ण या श्री नारायण की उपासना करनी चाहिए।

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पुत्रदा एकादशी: संतान प्राप्ति के लिए करें ये कार्य:-

सुबह-सबह पति-पत्नी एक साथ श्री कृष्ण की उपासना करें।

उन्हें पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें।

इसके बाद संतान गोपाल मन्त्र का जाप करें।

मंत्र जाप के बाद पति पत्नी संयुक्त रूप से प्रसाद ग्रहण करें।

अगर इस दिन व्रत रखकर इन प्रक्रियाओं का पालन करना सर्वाधिक शुभफल दायक साबित होता है।

विवाह से पांच साल से कम की स्थिति में:-

पति-पत्नी एक साथ श्री कृष्ण को पीले फूल चढाएं।

साथ में एक पीले चन्दन की लकड़ी भी चढ़ाएं।

उन्हें हल्दी का तिलक लगाएं , स्वयं को भी लगाएं।

इसके बाद "विष्णु सहस्त्रनाम" का एक बार पाठ करें।

चन्दन की लकड़ी के दो हिस्से करके, एक पति और एक पत्नी धारण कर लें।

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पुत्रदा एकादशी: संतान प्राप्ति में हो रही है देरी तो करें ये काम:-

भगवान कृष्ण की आशीर्वाद मुद्रा के चित्र की स्थापना करें।

उन्हें पीले रंग का भोजन अर्पित करें।

उनके समक्ष गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करें।

फिर गजेन्द्र मोक्ष का पाठ रोज करने लगें।

पति पत्नी दोनों एक एक सोने का या पीतल का छल्ला तर्जनी अंगुली में धारण करे।

पीला भोजन केवल पति पत्नी ग्रहण करें।

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