Roop Chaturdashi 2019 Date Time : रूप चतुर्दशी कब है 2019 में, रूप चौदस स्नान शुभ मुहूर्त, रूप चतुर्दशी महत्व, रूप प्राप्ति उपाय और रूप चतुर्दशी कथा
Roop Chaturdashi 2019 रूप चतुर्दशी कब है 2019 (Roop Chaturdashi Kab Hai 2019) नहीं पता तो बता दें कि रूप चतुर्दशी 2019 (Roop Chaturdashi 2019) में 26 अक्टूबर 2019 (26 October) को है, रूप चतुर्दशी के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान (Roop Chaturdashi Snan Shubh Muhurat) करने से रूप निखरता है, रूप चतुर्दशी महत्व (Roop Chaturdashi Mahatva) इतना अधिक है कि इसे छोटी दिवाली (Chhoti Diwali) के रूप में पूजा जाता है, यह दिन रूप निखारने और यम दोषों (Yam Dosh) से मुक्ति पाने के लिए विशेष माना जाता है तो आइए जानते हैं रूप चतुर्दशी स्नान का शुभ मुहूर्त, रूप चतुर्दशी का महत्व, रूप चतुर्दशी के उपाय (Roop Chaturdashi Upay) और रूप चतुर्दशी की कथा (Roop Chaturdashi Ki Katha) के बार में।;
Roop Chaturdashi 2019 धनत्रयोदशी के दूसरे दिन रूप चतुर्दशी का त्योहार (Roop Chaturdashi Festival) मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन पूजा - अर्चना करने से रूप में वृद्धि होती है। वहीं इस दिन यमराज (Yamraj) का तर्पण भी किया जाता है और इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है। इसके अलावा भगवान विष्णु के मंदिर में जाकर उनके दर्शन किए जाते हैं। यह दिन रूप निखारने के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है तो आइए जानते हैं रूप चतुर्दशी 2019 में कब है, रूप चतुर्दशी स्नान का शुभ मुहूर्त, महत्व, रूप चतुर्दशी के दिन रूप कैसे करें रूप की प्राप्ति और रूप चतुर्दशी की कथा
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रूप चतुर्दशी की तिथि (Roop Chaturdashi 2019 Tithi )
26 अक्टूबर 2019
रूप चतुर्दशी 2019 स्नान शुभ मुहूर्त (Roop Chaturdashi 2019 Snan Subh Muhurat)
सुबह 5 बजकर 15 मिनट से 6 बजकर 30 मिनट तक
रूप चतुर्दशी का महत्व ( Roop Chaturdashi Mahatva)
रूप चतुर्दशी के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान करने से रूप में वृद्धि होती है। इस दिन लेप करके, उबटन करके स्नान करने से सौंदर्य में वृद्धि होती है। इसलिए इसे रूप चतुर्दशी कहा जाता है। रूप चतुर्दशी के दिन हनुमान जंयती का पर्व भी मनाया जाता है। इसलिए इस दिन हनुमान जी के मंदिर में जाकर बजरंग बली के चरणों में लाल पुष्प अर्पित करें। इसके बाद हनुमान जी के कंधे पर कुमकुम में गाय का घी मिलाकर लेप करें। इसके बाद उसी लेप का तिलक अपने माथे पर लगाएं। लेकिन स्त्रियों को यह कार्य किसी पुरुष से कराना चाहिए। यदि आपके घर में कोई पुरुष न हो तो आप यह कार्य मंदिर के पंडित जी से भी करा सकते हैं। ऐसा करने से आपको बंजरग बली का आर्शीवाद प्राप्त होगा। इसके साथ ही आप स्वास्थय ठीक रहेगा और निर्भिक होकर आप अपने सभी काम कर सकेगें।
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रूप चतुर्दशी के दिन कैसे करें रूप की प्राप्ति (Roop Chaturdashi Upay)
1. रूप चौदस के दिन सूर्योदय से पहले उठकर दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर अपामार्ग की पत्तियों जल में डालकर स्नान करने से नर्क दोष से मुक्ति मिलती है।
2. इस दिन तिल के तेल से भी नहाया जाता है। तिल के तेल से स्नान करने से अकाल मृत्यु का भय नही रहता। क्योंकि नरका सुर का वध करने के बाद भगवान श्री कृष्ण ने भी तेल से स्नान किया था।
3. स्नान के बाद इस दिन कृष्ण मंदिर या भगवान विष्णु के मंदिर अवश्य जाएं और उनके दर्शन करें। ऐसा करने से सभी पाप कट जाते हैं और रूप सौंदर्य की भी प्राप्ति होती है।
4. रूप चौदस के दिन नीम और तुलसी को पीसकर लेप बनाएं और उससे अपने पूरे शरीर पर लेप करें। ऐसा करने से आपके रूप अत्यंत ही कांतिवान हो जाएगा।
5. रूप चौदस के दिन चावल का लेप करके भी स्नान किया जाता है। ऐसा करने से न केवल आपका रूप निखरेगा। बल्कि आपका चंद्रमा भी मजबूत होगा।
रूप चतुर्दशी की कथा (Roop Chaturdashi Ki Katha)
रूप चतुर्दशी की पौराणिक कथा के अनुसार एक राज्य में हिरण्यगर्भ नाम का एक राजा राज किया करता था। वह अपने राज पाठ से खुश नही थे। इसलिए उन्होंने संयासी जीवन जीने का फैसला किया। हिरण्यगर्भ सभी कुछ त्याग कर एक वन में तपस्या के लिए चले गए। जिसके बाद वह कई वर्षों तक वह घोर तपस्या करते हैं। कई सालों तक एक ही जगह पर कठोर तपस्या करने के कारण उनके शरीर पर कीड़े लग जाते हैं। कीड़े उनके शरीर को काटने लगते हैं। जिसकी वजह से उनका शरीर गलने लगता है।
हिरण्यगर्भ के शरीर से बदबू आने लगती है। राजा का शरीर पूरी तरह से खराब हो चूका था। शरीर से दुर्गंध आने की वजह से उनकी तपस्या में भी बार- बार विघ्न पड़ रहा था। एक बार देवर्षि नारद उस जंगल से गुजर रहे थे। तब उन्होंने हिरण्यगर्भ को की यह दशा देखी। नारद जी ने देवर्षि नारद को प्रणाम किया और उनसे इस समस्या का समाधान मांगा। जिसके बाद नारद जी ने कहा कि तुम कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन लेप लगाकर सूर्योदय से पहले स्नान करो और रूप के देवता श्री कृष्ण की पूजा करो। ऐसा करने से तुम्हें तुम्हारे रूप की प्राप्ति हो जाएगी।
नारद जी की बात सुनकर राजा ने ऐसा ही किया। भगवान श्री कृष्ण के आर्शीवाद ने पुन: अपने शरीर का सौंदर्य प्राप्त कर लिया। इसी कारण से रूप चतुदर्शी को इतना महत्व दिया जाता है।
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