Sawan 2019 : सावन के पहले सोमवार का शुभ योग, व्रत विधि, महत्व, कथा और लाभ

सावन का महिना साल 2019 (Sawan 2019) में 17 जुलाई 2019 (17 July 2019) से शुरु हो रहा है। सावन के सोमवार में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।ऐसे में सावन के सोमवार का शुभ योग (Sawan Somvar Subh Yog ), व्रत विधि (Vrat Vidh), महत्व (Importance), कथा (Katha) और लाभ (Benefits) जानना बेहद आवश्यक है।;

Update: 2019-07-12 09:29 GMT

Sawan 2019  सावन का महिना साल 2019 में 17 जुलाई 2019 से शुरु हो रहा है। सावन के पहले सोमवार पर भगवान शिव को पूजा - अर्चना का विशेष माना जाता है। इसलिए सावन के पहले सोमवार तिथि , शुभ योग, व्रत विधि , महत्व, कथा और लाभ जानना बेहद आवश्यक है। सावन के पहले सोमवार से लेकर अंतिम सोमवार तक जो भी स्त्री या पुरुष भगवान शिव की विधिवत पूजा करता है और सावन का व्रत रखता है। उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती है। एक कथा के अनुसार माता पार्वती (Mata Parvati) ने भी भगवान शिव (Bagwan Shiv) को प्राप्त करने के लिए सावन के सोमवार का व्रत (Sawan Somvar Vrat) रखा था । इसलिए सावन के महिने में अगर कोई कुंवारी कन्या सावन के सोमवार का व्रत (Sawan Somvar Fast) रखती है तो उसे उसकी पसंद का जीवनसाथी प्राप्त होता है । तो चलिए जानते हैं सावन के पहले सोमवार की तिथि, शुभ योग, व्रत विधि, महत्व , कथा और लाभ के बारे में...


सावन का पहला सोमवार 2019 तिथि (Sawan ka Phala Somvar 2019 Tithi)

22 जुलाई 2019

सावन के सोमवार शुभ संयोग (Sawan Ke Somvar Subh Yog)

सावन का पहला सोमवार - श्रावण कृष्ण पंचमी (22 जुलाई 2019)

सावन का दुसरा सोमवार- त्रयोदशी प्रदोष व्रत, सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग (29 जुलाई 2019)

सावन का तीसरा सोमवार- नागपंचमी (5 अगस्त 2019)

सावन का चौथा सोमवार- त्रयोदशी तिथि (12 अगस्त 2019)


सावन सोमवार व्रत विधि (Sawan Somvar Vrat Vidhi)

1. सबसे पहले व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठना चाहिए और नहाकर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद पूजा की सभी सामग्री तैयार कर लेनी चाहिए।

2.इसके बाद व्रत का संकल्प लें और किसी शिव मंदिर में जाएं वहां जाकर भगवान शिव को को सफेद फूल, अक्षत्, चंदन चढ़ाएं । इसके बाद भगवान शिव को प्रिय भांग और धतुरा भी चढ़ाएं।

3.इसके बाद तांबें का लोटा लेकर उससे भगवान शिव का जल अभिषेक करें।

4.पूजा के अंत में भगवान शिव को फल और मिठाइयों का भोग लगाएं और प्रसाद का वितरण करें।

5.इसके बाद भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें और भगवान शिव के सामने बैठकर ही शिव चालीसा का पाठ करें।


सावन के पहले सोमवार का महत्व (Sawan Ke Pahle Somvar Ka Mahatva)

सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा -अर्चना का विधान है। सावन का महिना शिव भक्तों के लिए विशेष माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार सावन के महिने में भगवान शिव पृथ्वीं लोक पर भ्रमण करते हैं।देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु के सोने के बाद चार माह तक भगवान शिव ही पृथ्वीं का कार्य भार संभालते हैं।

सावन के सोमवार में भगवान शिव का व्रत रखने और विधि - विधान से पूजा - अर्चना करने पर मनुष्य की सभी इच्छाएं पूर्ण होती है। सावन के पहले सोमवार से लेकर सावन के अंतिम सोमवार तक जो भी कुंवारी कन्या व्रत रखती है। उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।

इतना ही नहीं जो भी कन्या सावन के सोमवार का व्रत रखती है। उसका वैवाहिक जीवन भी सुखी होता है। अगर कोई सुहागन स्त्री सावन के सोमवार का व्रत रखती है तो न केवल उसका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। बल्कि उसके घर में धन , सुख और शांति का भी वास होता है।

सावन के सोमवार का व्रत कोई भी कर सकता है और इस व्रत की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें पूजा का कोई ज्यादा विधि विधान नहीं है। भगवान शिव तो भोले भंडारी है। वह तो एक लोटा जल चढ़ान से ही प्रसन्न हो जाते हैं।


सावन सोमवार की कथा (Sawan Somvar Ki Katha)

शिव पुराण के अनुसार एक बार नारद जी ने भगवान शंकर से पूछा है हे प्रभु! आपको सावन का महिना ही क्यो इतना प्रिय है। यह सुनकर भगवान शिव नारद जी को बताते हैं कि देवी सती ने उन्हें पति रूप में पाने के लिए हर जन्म में कठोर तप किया है। उन्होंने यह प्रण कर लिया था कि वह अपने किसी भी जन्म में किसी और से विवाह नहीं करेगी । चाहे उन्हें अपने देह को ही क्यों न त्यागना पड़े ।

देवी सती ने अपने इस प्रण के कारण अपने पिता के क्रोध को भी सहन किया। एक बार देवी सती के पिता ने भगवान शिव का घोर अपमान किया । देवी सती अपने पिता को बहुत समझाने का प्रयास किया और जब उनके पिता नहीं समझे तो उन्होंने अपने शरीर को अग्नि में त्याग दिया।

जिसके बाद देवी सती का जन्म हिमालय और नैना के यहां पुत्री रूप में हुआ । इस जन्म में उनका नाम पार्वती रखा गया । देवी पार्वती ने इस जन्म में बिना कुछ खाए पिए कठोर तप किया । यह माह सावन का महिना था । इसी माह में भगवान शिव देवी पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न हुए थे और उनसे विवाह किया था।

इसलिए मान्यता है कि जो भी कुंवारी कन्या सावन के सोमवार का व्रत रखती है । उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है और जो सुहागन स्त्री सावन के सोमवार का व्रत रखती है उसका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।


सावन सोमवार व्रत के लाभ (Sawan Somvar Vrat Ke Labh)

1.सावन के सोमवार का व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में चल रही परेशानियों से छुटकारा प्राप्त होता है। यह व्रत स्त्री और पुरुष दोनों रख सकते हैं।

2. सावन के सोमवार का व्रत अगर कोई अविवाहित कन्या रखती है तो उसे उसके पसंद का जीवनसाथी प्राप्त होता है।

3.सावन के सोमवार व्रत अकाल मृत्यु और दुर्घटनाओं से मुक्ति दिलाता है।

4.सावन के सोमवार का व्रत रखने से मनुष्यो को जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।

5.सावन के सोमवार में भगवान शिव को धतुरा चढ़ाने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। 

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