Teachers Day 2019 Story: शिक्षक दिवस पर जानिए कैसे दी भगवान शिव ने शनिदेव को शिक्षा और कैसे दिया न्याय का पद

Teachers Day 2019 Story शिक्षक दिवस (Teacher's Day) इस साल 2019 में 5 सितबंर 2019 (5 September 2019) के दिन मनाया जाएगा। शिक्षक दिवस सभी शिक्षकों के लिए खास दिन माना जाता है,भगवान शिव को शनिदेव का गुरु माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कैसे भगवान शिव ने शनिदेव को अपना शिष्य स्वीकार किया था, तो आइए जानते हैं कैसे दी भगवान शिव ने शनिदेव को शिक्षा और कैसे दिया न्याय का पद;

Update: 2019-09-03 10:00 GMT

Teachers Day 2019 शिक्षक दिवस वह दिन होता है जिस दिन सभी शिक्षकों को सम्मान दिया जाता है। शिक्षक दिवस के इस मौके पर आज हम आपको बताएंगे भगवान शिव और शनिदेव से जुड़ी कथा (Shiv Shani Katha) । जिसमें न केवल भगवान शिव ने शनिदेव को शिक्षा दी बल्कि उन्हें वरदान के रूप में न्याय का पद भी दिया। यह दिन सभी शिक्षकों के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण होता है तो आइए शिक्षक दिवस पर जानते हैं कैसे दी भगवान शिव ने शनिदेव को शिक्षा और कैसे दिया न्याय का पद...


भगवान शिव और शनिदेव की कथा (Bhagwan Shiv or Shani Dev Ki Katha)

शनिदेव को न्यायधीश कहा जाता है। उन्हें ये पद देने वाले उनके ही गुरु देवादि देव महादेव थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनिदेव को यह पद कैसे प्राप्त हुआ। अगर नहीं तो आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं। शास्त्रों में इसके बारे में एक कथा प्रचिलत है। जिसके अनुसार शनिदेव बचपन से अत्याधिक उदंड और बलशाली थे। वह किसी की भी बात नहीं सुना करते थे। उनके इस व्यवहार से उनके पिता सूर्यदेव अत्याधिक परेशान रहते थे। वह कई बार शनिदेव को इस विषय पर समझा चुके थे। लेकिन शनिदेव उनकी कोई भी बात नहीं मानते थे।

एक बार जिस समय सभी देवताओं को पद दिए जा रहे थे। उस समय शनिदेव को वहां पर किसी ने भी आमंत्रित नहीं किया था। शनिदेव के अलावा वहां पर सभी देव मौजूद थे। उस सभा में उनके पिता सूर्य देव और छोटे भाई यम भी वहां मौजूद थे। जब सभी देवताओं को पद की प्राप्ति हो रही थी। उस समय शनिदेव भी वहां पर पहुंच गए और उन्होंने सभी देवताओं से स्वंय को न बुलाने का कारण पूछा। उस पर सभी देवताओं ने कहां कि शनि तुम अत्यंत ही उदंड हो किसी की बात ही नहीं सुनते। यहां तक कि अपने पिता की भी बात को नहीं मानते

ऐसे में तुम किसी भी पद के काबिल नहीं हो। तुम्हारा छोटा भाई यम अत्याधिक शातं है और सभी की बात सुनता है। इतना सुनते ही शनिदेव को क्रोध आ गया और शनिदेव को यह उस सभा में अपना अपमान महसूस हुआ। उन्होंने अपने पिता से कहा कि हे सूर्यदेव! आप तो मेरे पिता हैं आप मेरे साथ ऐसा अन्याय कैसे होने दे सकते हैं। मुझे कभी भी अपनी काबलियत दिखाने का मौका ही नहीं दिया गया तो ये सभी देव कैसे कह सकते हैं कि मैं किसी भी काबिल नहीं हुं। यह सुनकर सूर्यदेव भी क्रोधित हो उठे और शनिदेव से बोले शनि तुम हमेशा अपनी ही मनमानी करते हो।


आज भी तुम मुझ पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हो। यह जो सभी देव कह रहे हैं वह ठीक ही कह रहे हैं। तुम किसी चीज के काबिल नही हो। यह सुनकर शनिदेव वहां से अपमानित होकर चले गए। इसके बाद क्रोध में शनिदेव ने सभी देवताओं पर प्रहार करना शुरु कर दिया। भगवान शिव अपनी दिव्य दृष्टि से यह सब देख रहे थे। वह जानते थे कि शनिदेव को कौन सा पद देना है। सभी देवता शनिदेव के क्रोध के कारण भागते हुए भगवान शिव के पास सहायता के लिए गए। भगवान शिव शनिदेव के सामने आ गए और शनिदेव को यह सब रोकने के लिए कहा। लेकिन शनिदेव उस समय अत्याधिक क्रोधित थे

इसलिए उन्होनें भगवान शिव पर भी प्रहार कर दिया। भगवान शिव ने अपने त्रिशुल से शनिदेव पर प्रहार किया दिया। जिससे शनिदेव मुर्छित हो उठे। इसके बाद सूर्यदेव ने भगवान शिव से क्षमा याचना की और शनिदेव के प्राण लौटाने के लिए कहा। भगवान शिव ने सूर्यदेव की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और शनिदेव को होश में लेकर आ गए। इसके बाद शनिदेव ने भी महादेव से क्षमा याचना की। भगवान शिव शनिदेव से अत्ंयत ही प्रसन्न थे।इसके बाद उन्होंने शनिदेव को अपना शिष्य स्वीकरा किया और कहा कि हे शनिदेव! तुम यह मत समझों कि तुम्हारे साथ अन्याय हुआ है।

आज से मैं तुम्हें न्यायधीश का पद देता हुं। तुम संसार के सभी प्राणियों को अच्छे और बुरे कर्मों का न्याय करोगे। तुम धर्म की रक्षा करने वालों की रक्षा और अधर्म को बढ़ावा देने वालों को दंड दोगे। तुमसे न तो मनुष्य, जीव,जन्तु, देवता, राक्षस और न ही संसार का कोई प्राणी बच पाएगा।

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