Dhanteras 2019 Date And Time : धनतेरस कब है 2019 में, धनतेरस का शुभ मुहूर्त, धनतेरस पूजा विधि, धनतेरस कथा, मंत्र, आरती
Dhanteras 2019 Date And Time : धनतेरस कब है 2019 में (Dhanteras Kab Hai 2019) नहीं पता तो बता दें कि धनतेरस 2019 (Dhanteras 2019) में 25 अक्टूबर 2019 को है। धनतेरस पर शुभ मुहूर्त (Dhanteras Shubh Muhurat) में खरीदारी करनी चाहिए। धनतेरस की पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi) अनुसार करने से धन की कमी नहीं होती, धनतेरस कथा (Dhanteras Katha) पढ़ने से लक्ष्मी जी का वास होता है, धन प्राप्ति मंत्र (Dhan Prapti Mantra) का 108 बार जाप करने से विष्णु जी का आशीर्वाद (Lord Vishnu Blessing) प्राप्त होता है, धन्वन्तरी जी की आरती (Dhanvantari Aarti) पढ़ने से दरिद्रता कभी पास नहीं भटकती, कार्तिक मास (Kaartik Maas) कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वंतरि (Lord Dhanvantri) अवतरित हुए थे, इसलिए इस दिन को धनतेरस और धनत्रयोदशी (Dhantriyodashi) के नाम से भी जाना जाता है।;
Dhanteras 2019 : धनतेरस का त्योहार (Dhanteras Festival) भगवान कुबेर (Lord Kuber) और मां लक्ष्मी जी (Laxmi Ji) का भी त्योहार माना जाता है। क्योंकि देवताओं और असुरों के समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुए चौदह रत्नों में धन्वन्तरि व माता लक्ष्मी भी शामिल हैं। दिवाली (Diwali) से दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार आता है। दिवाली कब है 2019 में (Diwali Kab Hai 2019) अगर आप जानना चाहते हैं तो बता दें कि दिवाली 2019 (Diwali 2019) में 27 अक्टूबर 2019 को है। हिंदू परंपरा के अनुसार धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में सोना, चांदी, बर्तन आदि बहुमूल्य वस्तुएं खरीदी जाती है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार धनतेरस पर नई चीजें खरीदने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है और घर में सुख-समृध्दि आती है।
धनतेरस 2019 तिथि / धनतेरस पूजा शुभ मुहूर्त 2019 (Dhanteras 2019 Date Time Shubh Muhurat)
धनतेरस 2019 में 25 अक्टूबर 2019 को मनाई जाएगी।
धनतेरस 2019 की त्रयोदशी तिथि सुबह 07:08 बजे (25 अक्टूबर 2019) से प्रारंभ होगी।
धनतेरस 2019 की त्रयोदशी तिथि दोपहर 03:46 बजे, (26 अक्टूबर 2019) को समाप्त होगी।
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त 2019 में शाम 07:08 बजे से रात 08:14 बजे तक रहेगा।
धनतेरस पूजन मुर्हुत 1 घंटा 6 मिनट तक रहेगा। वहीं धनतेरस में प्रदोष काल शाम 05:39 से रात 08:14 बजे तक रहेगा।
जबकि वृषभ काल शाम 06:51 से रात 08:47 बजे तक रहेगा।
धनतेरस पूजा विधि Dhanteras Puja Vidhi
धनतेरस पूजन विधि बहुत ही सरल है। धनतेरस में संध्याकाल में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
धनतेरस के दिन पूजा स्थान पर उत्तर दिशा की तरफ भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरी की मूर्ति स्थापना करें।
भगवान धन्वंतरी की मूर्ति स्थापना करने से पहले भगवान गणेश और माता लक्ष्मी का ध्यान करें।
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरी को पीली वस्तुएं अर्पित करें और साथ ही पीले फूल और पीली मिठाई का भी भोग लगायें।
धनतेरस की पूजा में पीले फूल, रोली, चावल, फल, चंदन और धूप-दीप का इस्तेमाल करना फलदायक होता है।
धनतेरस की कहानी / Dhanteras Story In Hindi
धनतेरस की कहानी की बात करें तो एक बार देवताओं और दानवों के बीच अमृत के लिए भयंकर युद्द की स्तिथि से बचन के लिए भगवान श्री हरि नारायण ने समुद्र मंथन का सुझाव दिया। जब समुद्र मंथन किया गया तो उसमें से चौदह रत्न कालकूट (हलाहल), ऐरावत, कामधेनु, उच्चैःश्रवा, कौस्तुभमणि, कल्पवृक्ष, रम्भा नामक अप्सरा, लक्ष्मी, वारुणी मदिरा, चन्द्रमा, शारंग धनुष शंख, गंधर्व और अमृत निकला। 14वां रत्न अमृत को भगवान धनवंतरी लेकर आये। इस वजह से कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है और धनतेरस पर बर्तन आदि खरीदने का महत्व है।
धनतेरस का महत्व और रसम रिवाज / Dhanteras Importance Dhanteras 2019 Significance And Rituals
हिंदू धर्म शास्त्रों में धनतेरस का महत्व विस्तार से बताया गया है। हिंदू कैलेण्डर के अनुसार धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में घर में नई चीजें लायें और मां लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा करने से दरिद्रता दूर होती है और घर में धन के भण्डार भर जाते हैं। धनतेरस पर सोना, चांदी, पीतल और धातुओं के बर्तन आदि खरीदने से उन्नति के रस्ते खुलते हैं और धनतेरस पर हवन करने से भाग्य में राजयोग प्रबल होते हैं और बुरी ऊर्जा समाप्त होती है। क्योंकि पीतल महर्षि धन्वंतरी का धातु है। इतना ही नहीं धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। धनतेरस से ही दीपोत्सव का आरंभ होता है। जैन आगम (जैन साहित्य प्राचीनत) में धनतेरस को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' कहते हैं। जैन मान्यता के अनुसार भगवान महावीर इस दिन ध्यान के लिए चले गए थे और तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुए दिवाली के दिन निर्वाण (मोक्ष) को प्राप्त हुए। तब से धनतेरस का दिन जैन आगम में धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध है।
धनतेरस इतिहास / धनतेरस पर खरीदारी क्यों करते हैं ? Dhanteras History In Hindi
धनतेरस के इतिहास की बात करें तो धनतेरस कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। भगवान धनवंतरी का जन्म कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन हुआ था। इसलिए इस दिन धनतेरस का त्यौहार मनाया जाने लगा। दरअसल अमृत के लिए समुद्र मंथन के दौरान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। भगवान धनवंतरी के अवतरित होने के दो दिन बाद अमृत मंथन से माता लक्ष्मी प्रकट हुईं थी इसलिए धनतेरस के दो दिन बाद दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।
धनतेरस मंत्र (Dhanteras Mantra Hindi)
देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि…।।
धनतेरस कुबेर मंत्र (Dhanteras Kuber Mantra Hindi)
धनतेरस की मध्य रात्रि में इस कुबेर मंत्र का 108 बार जाप करें मिलेगा राज योग
।। ऊं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम: ।।
धनतेरस आरती (Dhanteras Aarti In Hindi)
।। भगवान श्री धन्वन्तरी जी की आरती ।।
1- जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
2- तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए ।
देवासुर के संकट आकर दूर किए ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
3- आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया ।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
4- भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी ।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
5- तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे ।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
6- हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा ।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
7- धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे ।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
॥ इति आरती श्री धन्वन्तरि सम्पूर्णम ॥
लक्ष्मी जी आरती (Laxshami Ji Aarti)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता ।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई जन गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
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