Yogini Ekadashi 2019 : योगिनी एकादशी पर जानें भगवान विष्णु के राम अवतार का रहस्य

Yogini Ekadashi 2019 : विष्णु पुराण (Vishnu Puran) के अनुसार योगिनी एकादशी के व्रत (Yogini Ekadashi Vrat 2019) सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2019) में पीपल की पूजा को भी विशेष महत्व दिया गया है। योगिनी एकादशी के व्रत (Yogini Ekadashi Vrat) से रोगी काया भी निरोगी हो जाती है।भगवान विष्णु ने पृथ्वीं लोक को पाप मुक्त कराने के लिए कई अवतार लिए हैं । इन्हीं में से एक अवतार है भगवान विष्णु का राम अवतार (Lord Vishnu Ram Avtar) । अगर आप विष्णु के राम अवतार के रहस्य ((Lord Vishnu Ram Avtar Rahasya) के बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे;

Update: 2019-06-27 10:36 GMT

Yogini Ekadashi 2019 : पाप मोश्रनी योगिनी एकादशी 2019 (Paap Mokshani Yogini Ekadashi 2019 ) में कब है। अगर आप इसके बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे । इस साल 2019 में योगिनी एकादशी 28 जून 2019 (Yogini Ekadashi 28 June 2019 ) को सूबह 6 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर  29 जून 2019 (29 June 2019) को सूबह 6 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। विष्णु पुराण के अनुसार योगिनी एकादशी के व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। योगिनी एकादशी में पीपल की पूजा को भी विशेष महत्व दिया गया है। योगिनी एकादशी के व्रत से रोगी काया भी निरोगी हो जाती है।भगवान विष्णु ने पृथ्वीं लोक को पाप मुक्त कराने के लिए कई अवतार लिए हैं । इन्हीं में से एक अवतार है भगवान विष्णु का राम अवतार । अगर आप विष्णु के राम अवतार के रहस्य के बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते है भगवान विष्णु के राम अवतार रहस्य के बारे में..






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क्या है भगवान विष्णु के राम अवतार का रहस्य (Kya Hai Bhagwan Vishnu Ka Ram Avatar Ka Rahasya)

त्रेतायुग में भगवान विष्णु श्री राम के रूप में अवतरित हुए । उनके पिता का नाम राजा दशरथ और मां का कौशल्या था। राजा दशरथ के तीन पत्नियां थी । कौशल्या , सुमित्रा और कैकेयी । भगवान श्री राम राजा दशरथ के बड़े बेटे थे । भगवान राम एक आदर्श बेटे थे और अपने भाईयों से बहुते प्रेम करते थे।

भगवान राम के तीन भाई थे। लक्ष्मण , भरत और शत्रुघ्न । जब भगवान राम को आयोध्या का उतराधिकारी घोषित किया गया तो कैकेयी को यह बात पसंद नहीं आई । उसने राजा दशरथ से भरत को उतराधिकारी बनाने की बात कही । लेकिन राजा दशरथ इस बात के लिए राजी नहीं हुए ।

कैकेयी ने राजा दशरथ को अपने वचन के बारे में याद दिलाया। कैकेयी ने कहा कि भरत को अयोध्या का उतराधिकारी और राम को चौदह वर्ष का वनवास दे। लेकिन जब राजा दशरथ ने सभी बातों से इनकार कर दिया तो कैकेयी ने अन्न और जल का त्याग करने का फैसला किया । जब ये बात प्रभु श्री राम को पता चली तो उन्होंने कैकेयी को समझाया और कहा हे माता ! आप जैसा चाहती हैं । वैसा ही होगा ।


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मैं और सीता चौदह वर्ष के वनवास के लिए जाएंगे और भरत आयोध्या का राजा बनेगा। इस तरह भगवान राम ने सभी इच्छाओं का त्याग कर दिया न केवल इच्छाओं का त्याग करने की वजह से बल्कि शबरी के झूठे बेर खाकर जात -पात का अंतर मिटाने की वजह से भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोतम राम कहलाए ।

भगवान श्री राम के चौदह वर्ष के वनवास में उनके छोटे भाई लक्ष्मण भी उनके साथ थे । जब रावण ने माता सीता का हरण कर लिया तो उस समय माता सीता की खोज में वह जगह -जगह भटक रहे थे । वहां उन्होंने सुग्रीव को उसका राज- पाठ दिलाया और बाली को उसकी भूल से अवगत कराया ।

इसी के साथ रावण और लंका के असुरों का वध करके उन्हें मुक्ति दिलाई भरत ने भी अपने छोटे भाई होने का फर्ज निभाया और चौदह साल तक भगवान श्री राम की चरण पादुका को राज गद्दी पर रखकर राज - पाठ चलाया। भगवान राम के इन्हीं गुणों के कारण संसार में राम नाम को सबसे बड़ा माना गया है।

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