Yogini Ekadashi 2019 : योगिनी एकादशी का महत्व, पूजन विधि, योगिनी एकादशी व्रत कथा और आरती

Yogini Ekadashi 2019 Date And Time : हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में 12 एकादशी होती हैं, आषाड़ मास की एकादश तिथि को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। आज हम आपको योगिनी एकादशी कब है, योगिनी एकादशी का महत्व, योगिनी एकादशी पूजन विधि, योगिनी एकादशी व्रत कथा और योगिनी एकादशी आरती के बारे में बताएँगे।;

Update: 2019-06-24 13:06 GMT

Yogini Ekadashi 2019 Date And Time : हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) के अनुसार एक वर्ष में 12 एकादशी (Ekadashi 2019) होती हैं, आषाड़ मास की एकादश तिथि को योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) के नाम से जाना जाता है। आज हम आपको योगिनी एकादशी कब है 2019 में (When Is Yogini Ekadashi In 2019), योगिनी एकादशी का महत्व (Yogini Ekadashi Importance), योगिनी एकादशी पूजन विधि (Yogini Ekadashi Vrat Vidhi), योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha) और योगिनी एकादशी आरती (Yogini Ekadashi Aarti) के बारे में बताएँगे।

योगिनी एकादशी 2019 तिथि और समय (Yogini Ekadashi 2019 Date And Time)

योगिनी एकादशी 2019 तिथि : 29 जून 2019 शनिवार

योगिनी एकादशी 2019 पारण (व्रत तोड़ने का) समय : 30 जून 2019 प्रातः 05:31 से 06:11 तक

योगिनी एकादशी 2019 तिथि : 28 जून 2019 को सुबह 06:36

योगिनी एकादशी 2019 तिथि समाप्त : 29 जून 2019 को सुबह 06:45


योगिनी एकादशी का महत्व (Yogini Ekadashi Importance and Yogini Ekadashi significance)

देवशयनी एकादशी से पहले योगिनी एकादशी आती है। हिंदू धर्म शास्त्रों में योगिनी एकादशी का महत्व विस्तार से बतया गया है। योगिनी एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु के योगिनी रूप की पूजा करने से 84 लाख योनियों में नहीं भटकना पड़ता। तीनों लोकों में प्रसिद्ध योगिनी एकादशी का व्रत रखने से 28000 ब्राह्मण को भोजन कराने फल मिलता है।

योगिनी एकादशी के लाभ (Yogini Ekadashi Benefits)

योगिनी एकादशी व्रत रखने वाले भक्तों के सारे पाप मिट जाते हैं। जो व्यक्ति सच्चे मन से योगनी एकादशी का व्रत रखता है उसे सुख, समृद्धि और आनंद प्राप्त होता है। इतना ही नहीं यदि संकल्प लेकर इस योगिनी एकादशी व्रत को किया जाए तो अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। तीनों लोकों में प्रसिद्ध योगिनी एकादशी का व्रत रखने से 28000 ब्राह्मण को भोजन कराने फल मिलता है।


योगिनी एकादशी पूजन विधि (Yogini Ekadashi Vrat Vidhi)

योगिनी एकादशी व्रत की पूजा दशम तिथि रात्रि से शुरू होकर द्वादशी तिथि के प्रात: काल तक होती है।

सबसे पहले स्नान आदि करें और स्वच्छ कपडे पहनें और फिर योगिनी एकादशी व्रत का संकल्प लें।

योगिनी एकादशी व्रत का संकल्प लेने के बाद विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा करें।

योगिनी एकादशी व्रत पूजन सामग्री में धूप-दीप, इत्र, पीले फूल, गंगाजल, गुगल धूप, फल, अक्षत आदि रखें।

एक दिन पहले तामसिक भोजन का त्याग करें और व्रत वाले दिन नमक का प्रयोग ना करें।

योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha)

एक समय की बात है अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से कहा की प्रभु मैं आपके मुख से योगिनी एकादशी की कथा सुनना चाहता हूँ तो भगवान श्री कृष्ण ने अत्यंत प्रेम से कहा कि हे पाण्डु पुत्र योगिनी एकादशी आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन आती है। यह व्रत आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है, योगिनी एकादशी तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। योगिनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ध्यानपूर्वक योगिनी एकादशी की कथा का श्रवण करो -

एक समय की बात है अलकापुरी नाम की नगरी में कुबेर नाम का राजा राज करता था। कुबेर भगवान शिव का भक्त था। उनका एक सेवक भी था जिसका नाम था हेममाली, जो उनके लिए पूजा के फूल लाता था। हेममाली की स्त्री विशालाक्षी अति सुंदर थीं। जब वह राजा के लिए फूल ला रहा था तो कामासक्त होने के कारण वह पत्नी के साथ रमण करने लगा। उसके बहुत देर हो गई तो राजा ने अपने दूतों को आज्ञा दी कि हेममाली को ढूंढकर लाओ वह अभी तक पुष्प लेकर क्यों नहीं आया। राजा के दूत उसे ढूंढ़ते-ढूंढ़ते मानसरोवर के पास पहुंचे तो उन्होंने राजा को बताया कि 'हे राजन! हेममाली अपनी स्त्री के साथ रमण कर रहा है।

हेममाली जब राजा कुबेर के सामने आया तो वह कांपने लगा। राजा ने क्रोध में आकर उसे शाप (श्राप) दिया कि तू स्त्री के वियोग में तड़पेगा और मृत्युलोक में कोढ़ी का जीवन व्यतीत करेगा। राजा के श्राप से वह स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरा, उसकी पत्नी बिछड़ गई और वह कोढ़ी बन गया। हेममाली ने मृत्युलोक में अनेक कष्ट भोगे लेकिन भगवान शिव की कृपा से उसकी बुद्धि मलिन न हुई और वह हिमालय की तरफ जाने लगा वह ऋषि मार्कण्डेय के आश्रम में पहुंच गया उसने ऋषि चरणों में दंडवत प्रणाम किया। तब मार्कण्डेय ऋषि ने पूछा किस कर्म के कारण तू कोढ़ी हुआ है और ये कष्ट भोग रहा है।

हेममाली ने महर्षि को पूरी घटना के बारे में बताया तो हेममाली के सत्य वचन सुन मार्कण्डेय ऋषि ने उन्हें सभी पाप नष्ट करने वाले आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। महर्षि के वचन सुन हेममाली ने विधानपूर्वक योगिनी एकादशी व्रत किया और सभी कष्टों से मुक्ति पाकर वापस अपने स्वरूप में आया और सुखपूर्वक अपनी स्त्री के साथ रहने लगा। जो भी भक्त योगिनी एकादशी की कथा का श्रवण करता है उसे 28000 ब्राह्मणों को भोजन कराने का फल मिलता है। तो हे अर्जुन भगवान की सेवा के दौरान आपको कोई भी अनुचित कार्य नहीं करना चाहिए।

एकादशी माता की आरती (Yogini Ekadashi Aarti)



 


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