Yogini Ekadashi 2019 : योगिनी एकादशी व्रत विधि और व्रत कथा

Yogini Ekadashi 2019 : योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha) में बतया गया है कि जो भी व्यक्ति योगिनी एकादशी व्रत विधि (Yogini ekadashi Vrat Vidhi) के अनुसार रखता है उसे कई हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है। योगिनी एकादशी व्रत 2019 में (Yogini Ekadashi Vrat 2019) 28 जून को रखा जाएगा, जिससे रोगी काया भी निरोगी हो जाती है। अगर आप भी योगिनी एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं और आपको योगिनी एकादशी की व्रत विधि (Yogini Ekadashi Vrat Vidhi ) और योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha) के बारे में नहीं पता है तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे...;

Update: 2019-06-27 08:17 GMT

Yogini Ekadashi 2019 : प्रत्येक साल 24 एकादशियां आती है। विष्णु पुराण के अनुसार सभी एकादशियों का अपना - अपना महत्व और फल है। इन्हीं में से एक एकादशी है योगिनी एकादशी । योगिनी एकादशी को सभी एकादशियों में पाप मोक्षनी एकादशी (Paap Mokshni Ekadashi) के नाम से जाना जाता है। योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha) में बतया गया है कि जो भी व्यक्ति योगिनी एकादशी व्रत विधि (Yogini ekadashi Vrat Vidhi) के अनुसार रखता है उसे कई हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है। योगिनी एकादशी व्रत 2019 में (Yogini Ekadashi Vrat 2019) 28 जून को रखा जाएगा, जिससे रोगी काया भी निरोगी हो जाती है। अगर आप भी योगिनी एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं और आपको योगिनी एकादशी की व्रत विधि (Yogini Ekadashi Vrat Vidhi ) और योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha) के बारे में नहीं पता है तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे...


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योगिनी एकादशी व्रत विधि (Yogini Ekadashi Vrat Vidhi)

1.योगिनी एकादशी पर मिट्टी का लेप करके स्नान करना चाहिए। इसलिए इस दिन पूरे शरीर पर मिट्टी का लेप अवश्य करें

2.स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें और कुंभ की स्थापना करें।

3.कुंभ स्थापना करने के बाद । भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।

4. इसके बाद भगवान विष्णु का लाल फूल , अक्षत, नैवेध आदि से विधिवत पूजन करें। पूजन के बाद भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और अंत में भगवान विष्णु की आरती उतारें।

5.योगिनी एकादशी के व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन करें और सब विधि संपन्न होने के बाद किसी निर्धन व्यक्ति या किसी ब्राह्मण को अन्न दान अवश्य करें।


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योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha)

विष्णु पुराण के अनुसार स्वर्गलोक के अलकापुरी नगरी में कुबेर नाम के राजा का राज हुआ करता था। राजा कुबेर हमेशा शिव भक्ति में लीन रहता था । वह भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था । कुबेर भगवान शिव का विधिवत और श्रद्धा के साथ पूजन किया करता था। राजा के यहां एक हेम नाम का माली था। जो राजा के पूजा के लिए पुष्प लाकर दिया करता था।

हेम का विवाह एक अत्यंत ही सुंदर स्त्री से हुआ जिसका नाम विशालाक्षी था। दोनों एक -दूसरे के प्रति पूरी तरह से समर्पित थे। रोज की तरह ही हेम राजा के लिए पुष्प लेने बागीचें में गया । जहां उसकी पत्नी भी थी । हेम अपनी पत्नी की सुंदरता में इतना खो गया कि उसे समय का पता ही नहीं चला और पूजा का समय बीत गया।

जब पूजा में अत्याधिक देरी हो गई तो राजा को हेम पर अत्याधिक क्रोध आया । राजा ने हेम को खोजने के लिए अपने सैनिकों को आदेश दिया। जब सैनिक बागीचें में पहुंचे और माली को लेकर जब राजा के पास पहुंचे । जब राजा ने उससे समय पर न पहुंचने का कारण जाना तो राजा को अत्याधिक गुस्सा आया और उसने हेम को श्राप दे दिया।

श्राप के कारण हेम ने पृथ्वीं लोक पर एक कोढ़ी के रूप में जन्म लिया। लेकिन हेम को अपने पूर्व जन्म की सभी घटनाएं याद थी। रोगी काया और अपनी पत्नी से बिछड़ने के कारण हेम अत्याधिक दुखी था। एक दिन हेम चलते -चलते अपने स्थान से काफी दूर निकल गया । जहां मार्कंडेय ऋषि का आश्रम था। उसकी इस दयनीय दशा देखकर ऋषि ने उसकी दशा का कारण पूछा ।

तब हेम ने अपनी सभी आपबीती ऋषि को सुना दी। इसके बाद मार्कंडेय ऋषि ने हेम को योगिनी एकादशी व्रत के बारे में बताया । हेम ने योगिनी एकादशी का व्रत रखा । जिसके बाद उसकी रोगी काया निरोगी हो गई । उसकी पत्नी भी उसे पुन: हो गई जिसके बाद वह प्रत्येक साल योगिनी एकादशी का व्रत रखने लगा।

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