'ये रेशमी जुल्फें' से लेकर 'ए फूल की रानी' तक, दिल को छू रहे रफी साहब के ये सदाबहार गानें

मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 में अमृतसर के गांव कोटला सुल्तानपुर में हुआ था। सूफी फकीरों को सुनते-सुनते रफी को गाने की प्रेरणा मिली। रफी जितने अच्छे फनकार थे, उतने ही अच्छे इंसान भी थे। आप भी सुनिए रफी साहब के सदाबहार गाने-;

Update: 2020-12-24 06:54 GMT

अपनी आवाज के जरिए दिवंगत बॉलीवुड सिंगर मोहम्मद रफी आज भी हमारे दिल में बसते है। मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 में अमृतसर के गांव कोटला सुल्तानपुर में हुआ था। बताया जाता है कि उनके गांव में एक सूफी फकीर आया करते थे, जो गीत गाते थे। इन्हीं सूफी फकीरों को सुनते-सुनते रफी को गाने की प्रेरणा मिली। रफी का बचपन लाहौर में बीता। लाहौर में एक कॉन्सर्ट में मशहूर सिंगर केएल सहगल आए हुए थे। इस कॉन्सर्ट की लाइट चली गई थी। जिसकी वजह से केएल सहगल ने गाने से मना कर दिया था। ऐसे में गुस्साई भीड़ को संभालने के लिए मोहम्मद रफी ने गाना गाया। रफी जितने अच्छे फनकार थे, उतने ही अच्छे इंसान भी थे। आप भी सुनिए रफी साहब के सदाबहार गाने-

'ए फूल की रानी'

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'मैंने पूछा चाँद से कि देखा है कहीं मेरे यार सा हसीं'

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'ये रेशमी जुल्फें'

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'कौन है जो सपनों में आया'

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'बहारों फूल बरसाओ'

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