उदास मन से धर्मेंद्र ने शेयर किया दिलीप कुमार की फिल्म का सीन, वीडियो देखकर आप हो जाएंगे शौक

हाल ही में सीनियर एक्टर धर्मेंद्र ने दिलीप कुमार की फिल्म फुटपाथ का एक सीन शेयर किया है। इस सीन को आप बहुत आसानी के साथ आज की स्थिती के साथ को-रिलेट कर पाएंगें;

Update: 2021-05-14 14:24 GMT

हमारा देश आज बेहद कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा है। कोरोना महामारी ने चारो ओर त्राही मचा दी है। इस महामारी ने इंसानो को सांसों मोहताज बना दिया है। जिधर नजर जाती है उधर ही दवा, अस्पताल में बेड और ऑक्सीजन के लिए मारामारी ही दिखाई देती है। इतना ही नहीं कालाबाजारियों ने लोगो की बेबसी का फायदा भी खूब उठाया है। दवा और ऑक्सीजन तो छोड़ ही दो कुछ बेशर्म लोग तो क़फन के दामों से भी मुनाफा कमाने का मौका छोड़ नहीं रहे हैं।

ऐसे हालातो से हर कोई परेशान है। हाल ही में वेटरन एक्टर धर्मेंद्र(Dharmendra) ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक वीडियो शेयर किया है। वीडियों में दिलीप कुमार(Dilip Kumar) की कई दशक पहले आयी फ़िल्म फुटपाथ का सीन है। इस वीडियो को शेयर करते हुए धर्मेंद्र ने लिखा- 1952 में जो रहा था। आज भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। फुटपाथ में दिलीप साहब। फुटपाथ फिल्म के इस सीन को आप आज के हालात से को-रिलेट कर पाएंगे।

9 अक्टूबर 1953 को रिलीज़ हुई फिल्म फुटपाथ में दिलीप कुमार, मीना कुमारी और अनवर हुसैन ने अहम भूमिकाएं निभायी थीं। दिलीप साहब इस सीन मे डायलाग बोलते नजर आ रहे है। दिलीप साहब कहते है- ''जब शहर में बीमारी फैली। हमने दवाइयां छुपा लीं और उनके दाम बढ़ा दिये। जब हमें पता चला कि पुलिस हम पर छापा मारने वाली है तो हमने वही दवाइयां गंदे नालों में फिकवा दीं। मगर, आदमी की अमानत को आदमी के काम नहीं आने दिया। मुझे अपने बदन से सड़ी हुई लाशों की बू आती है। अपनी हर सांस में मुझे दम तोड़ते बच्चों की सिसकियां सुनाई देती हैं। हम जैसे ज़लील-कुत्तों के लिए आपके क़ानून में शायद कोई मुनासिब सज़ा नहीं होगी। हम इस धरती पर सांस लेने के लायक़ नहीं हैं। हम इंसान कहलाने के लायक़ नहीं हैं। इंसानों में रहने के लायक़ नहीं हैं। हमारे गले घोंट दो और हमें दहकती हुई आगों में जलाओ। हमारी बदबूदार लाशों को शहर की गलियों में फिकवा दो। ताकि वो मजबूर, वो ग़रीब, जिनका हमने अधिकार छीना है, जिनके घरों में हम तबाही लाये हैं, वो हमारी लाशों पर थूकें।"

आपको बता दें कि धर्मेंद्र ने दिलीप कुमार को हमेशा अपना आदर्श माना हैं। उन्होंने कई इंटरव्यूज़ में यह बताया है कि दिलीप कुमार की शहीद देखने के बाद वो फ़िल्मों में आने के लिए प्रेरित हुए थे।

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