जावेद अख्तर के बयान पर मचा हंगामा, RSS के सपोर्ट में उतरी शिवसेना

बॉलीवुड के मशहूर लेखक जावेद अख्तर अपनी बयानबाज़ी को लेकर के हमेशा चर्चा में बने रहते हैं। हाल ही में उनका राष्ट्र स्वंयसेवक संघ और विश्व हिंदु परिषद को लेकर के दिये गये बयान से काफी सनसनी फैली हुई है। जावेद अख्तर ने आरएसएस और वीएचपी की तुलना तालिबानी संगठन से कर दी थी। जावेद के इस बयान के बाद जहां बीजेपी के नेता राम कदम ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर उनसे माफी मांगने के लिए कहा था, वहीं शिवसेना भी अब आरएसएस के सपोर्ट में मैदान में उतर आयी है।;

Update: 2021-09-06 09:14 GMT

बॉलीवुड के मशहूर लेखक जावेद अख्तर (Javed Akhtar) अपनी बयानबाज़ी को लेकर के हमेशा चर्चा में बनें रहते हैं। हाल ही में उनका राष्ट्र स्वंयसेवक संघ (RSS) और विश्व हिंदु परिषद (VHP) को लेकर के दिये गये बयान से काफी सनसनी फैली हुई है। जावेद अख्तर ने आरएसएस और वीएचपी की तुलना तालिबानी संगठन से कर दी थी। जिसके बाद से जावेद अख्तर के इस बयान को लेकर के गहमागहमी छायी हुई है। जावेद के इस बयान के बाद जहां बीजेपी (BJP) के नेता राम कदम (Ram Kadam) ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर उनसे माफी मांगने के लिए कहा था, वहीं शिवसेना (Shiv Sena) भी अब आरएसएस के सपोर्ट में मैदान में उतर आयी है।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना (Saamna) के संपादकीय पेज पर इस बारें में लेख छापा है। शिव सेना का कहना है कि आरएसएस और तालिबान (Taliban) की तुलना करने में जावेद अख्तर पूरी तरह से गलत थे। सेना ने बताया कि आरएसएस ने, उदाहरण के लिए, 'बीफ' मुद्दे के साथ धार्मिक उन्माद का समर्थन नहीं किया था, और अंडरलाइन किया कि "हिंदुत्व के नाम पर कोई उन्माद यहां स्वीकार नहीं किया जाता है ... न ही शिवसेना और न ही आरएसएस उसका समर्थन करते हैं।" पार्टी ने कहा, "हम हिंदुत्व के नाम पर पागलपन को स्वीकार नहीं करेंगे। आप कैसे कह सकते हैं कि जो लोग 'हिंदू राष्ट्र' की अवधारणा का समर्थन करते हैं, वे तालिबान मानसिकता के हैं? हम इससे सहमत नहीं हैं।"

शिवसेना के इस संपादकीय मे लिखा है, "पाकिस्तान और चीन जैसे देशों ने तालिबानी शासन का समर्थन किया है क्योंकि वहां मानवाधिकार, लोकतंत्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का कोई मूल्य नहीं है। हिंदुस्तान की मानसिकता वैसी नहीं दिखती है। हम हर तरह से काफी सहिष्णु हैं।" आगे सामना में लिखा था, "लोकतंत्र की आड़ में कुछ लोग तानाशाही लाने की कोशिश कर रहे होंगे... फिर भी उनकी एक सीमा होती है। इसलिए, आरएसएस की तालिबान से तुलना करना उचित नहीं है। हर मौके पर... जब भी देश में कट्टर और देशद्रोही विकृतियां फूटी हैं, जावेद अख्तर ने उन कट्टरपंथियों के मुखौटे फाड़े हैं। उन्होंने कट्टरपंथियों की धमकियों के बावजूद 'वंदे मातरम' गाया है। लेकिन हम तालिबान के साथ इस तुलना को स्वीकार नहीं करते हैं। आगे अपने संपादकीय में शिवसेना ने पूछा "हिंदू-बहुसंख्यक होने के बावजूद ... यह राष्ट्र अभी भी धर्मनिरपेक्षता का झंडा लहराता है। यह उचित अपेक्षा है कि बहुसंख्यक हिंदुओं को लगातार दबाया नहीं जाना चाहिए ... जावेद अख्तर, हम जो कह रहे हैं वह सही है, नहीं?"

आपको बता दें कि जावेद अख्तर नें अपने दिए गए हाल ही के एक इंटरव्यू में कह था, 'जैसे तालिबान एक इस्‍लामिक स्‍टेट चाहता, उसी तरह कुछ लोग हैं जो हिंदू राष्‍ट्र चाहते हैं। ये लोग भी उसी माइंडसेट के हैं, फिर चाहे वे मुस्‍लिम हों, ईसाई हों, यहूदी हों या फिर हिंदू।' जावेद के इस बयान पर बीजेपी के नेता राम कदम ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर लेखक से इस बात के लिए हाथ जोड़कर माफी मांगने को कहा था और साथ ही ऐसा न करनें पर माभारती की भूमि पर एक भी फिल्म नहीं चलेगी।  

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