आखिर क्यों लता मंगेशकर ने कभी नहीं की शादी?, जानें देश की कोकिला से जुड़े कई अनसुने किस्से

भारत की स्वर कोकिला और सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar ) के निधन से देश सदमे में हैं। भारत की मेलोडी क्वीन ने अपने जीवनकाल में ऐसी उपलब्धियां हासिल की जिसने देश को गौरवान्वित किया। लेकिन एक ऐसा समय था जब उन्हें म्यूजिक इंडस्ट्री में रिजेक्शन का सामना करना पड़ा था। तो आइये जानते हैं सुर साम्राज्ञी से जुड़ें कुछ अनसुने किस्से;

Update: 2022-02-06 06:56 GMT

भारत की स्वर कोकिला और सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar ) के निधन से पुरे देश सदमे में हैं। भारत की मेलोडी क्वीन ने अपने जीवनकाल में ऐसी उपलब्धियां हासिल की जिसने देश को गौरवान्वित किया। लता मंगेशकर भारत और फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से सम्मानित हुईं थी। सुर साम्राज्ञी आज ऐसे मुकाम पर थी जब लोगों के बीच वह अमर हो चुकी हैं। सुर कोकिला के जाने से एक युग का अंत हो गया है लेकिन वह हमारी यादों में हमेशा रहेंगी । लता मंगेशकर की आवाज का जादू आज देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है। लेकिन एक ऐसा समय था जब उन्हें म्यूजिक इंडस्ट्री में रिजेक्शन का सामना करना पड़ा था। तो आइये जानते हैं सुर साम्राज्ञी से जुड़ें कुछ अनसुने किस्से

इस वजह से कभी नहीं की थी शादी

महज13 साल की उम्र में उनके पिता का साया लता के सिर से उठ गया था। लता मंगेशकर ने अपने रेस्पॉन्सिबिली को सबसे ऊपर रखा है शायद यही वजह रही कि उन्होंने कभी शादी नहीं की। वह अपने भाई-बहन में सबसे बड़ी थी। उनकी बहनें पाश्र्व गायिका और संगीतकार मीना खादिलकर, लोकप्रिय गायिका और लेखिका आशा भोसले, गायिका उषा मंगेशकर और भाई संगीत निर्देशक हृदयनाथ मंगेशकर है। खुद लता मंगेशकर ने कहा था कि छोटी उम्र में ही मेरे पर कई जिम्मेदारी आ गयी। सोचा था भाई-बहन को सेटल करके शादी करूंगी और परिवार बसाउंगी लेकिन फिर बहन की शादी हो गई और उनके बच्चे संभालने लगीरिपोर्ट्स की माने तो 1996 से 1999 तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व क्रिकेटर और अध्यक्ष स्वर्गीय राज सिंह डूंगरपुर के करीब थीं और दोनों के बीच रिलेशनशिप के भी अटकलें लगाए जा रहे थे।

एक समय में किशोए कुमार और रफी के साथ गाना गाने से लता ने कर दिया था मना

रिपोर्ट्स की माने तो लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी के बीच किसी बात को लेकर लगभग चार साल तक अनबन थी। इस दौरान दोनों ने साथ में गाना गाने से भी मन कर दिया था। रिपोर्ट्स की माने तो एक समय ऐसा भी था जब लता किशोर कुमार के साथ गाने से भी मना कर दिया था। रिपोर्ट्स की माने किशोर लता को खूब जोक्स सुनाते थे जिसे सुनकर वो लगातार हंसती थी और उनकी आवाज ख़राब हो जाती थी। जिसके बाद उन्होंने उनके साथ गाने से मना कर दिया।

कई पुरस्कारों से सम्मानित थी लता मंगेशकर

भारत की सबसे पसंदीदा आवाजों में से एक लता मंगेशकर ने गायन के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना ली थी। पार्श्व गायिका को तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, सात फिल्मफेयर पुरस्कार और 1989 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था। इसके अलावा लता जी को 2001 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

शुरूआती दौर में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा

आज म्यूजिक इंडस्ट्री पर राज करने वाली लता मंगेशकर को शुरूआती दौर में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। अपने मेहनत और लगन के दम पर आज लता एक ऐसा मुकाम हासिल कर ली जिसे भूल पाना नामुमकिन है । उन्होंने 1942 में एक फिल्म के लिए पहला गाना रिकॉर्ड किया था 'किती हसाल'। लेकिन इस गाने को जिसे फिल्म में जगह नहीं मिली और इस गाने को हटा दिया गया था।

पांच साल की उम्र में कला क्षेत्र से जुड़ी लता

28 सितंबर, 1929 को इंदौर की तत्कालीन रियासत में जन्मी लता मंगेशकर का नाम मूल रूप से उनके माता-पिता ने हेमा रखा था लेकिन बाद में उन्होंने लता कर लिया। उन्होंने प्रदर्शन कला के साथ जुड़ाव पांच साल की उम्र में हुई थीं। इस समय वह अपने पिता के संगीत नाटकों में दिखाई देने लगीं थी और यह सिलसिला 1942 में उनके पिता की अकाल मृत्यु के बाद भी जारी रहा था।

1948 में लता दी को मिला पहला ब्रेक

रिपोर्ट्स की माने तो उनके करीबी दोस्त मास्टर विनायक लता मंगेशकर को मुंबई ले गए थे। यहां पहुंचकर उनका करियर शुरू भी नहीं हुआ था कि 1948 में मास्टर विनायक की अचानक मौत हो गयी। जिसके सहारे वह मायानगरी पहुंची थीं उनकी मृत्यु के बाद लता जी सदमें में थी । इस बीच संगीतकार गुलाम हैदर ने फिल्म 'मजबूर' (1948) के 'दिल मेरा तोड़, मुझे कहीं का ना छोड़ा' गीत के साथ पहला बड़ा ब्रेक दिया था।

कई हिट सांग्स दे चुकी हैं लता

हैदर अपनी फिल्म 'शहीद' के लिए फिल्मिस्तान के बॉस शशाधर मुखर्जी के पास ले गए लेकिन उन्होंने लता मंगेशकर को ठुकरा दिया क्योंकि उन्हें उनकी आवाज पसंद नहीं आयी थी और उन्हें उनकी आवाज को बहुत पतली लगी थी। लगातार मेहनत के जरिए लता मंगेशकर ने उन सभी को गलत साबित कर दिया जिन्होंने उनकी आवाज को ठुकराया था। कमाल अमरोही के निर्देशन में बनी पहली फिल्म 'महल' (1949) में उनका गाना 'आयेगा आने वाला' हिट हो गया।

कई लोगों को गलत साबित कर चुकी हैं लता मंगेशकर

इस गाने के बाद खुद मुखर्जी ने लता को अपनी पोती काजोल और शाहरुख खान की फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' फिल्म के सभी गाने का ऑफर दिया और वह हिट रही। उन्होंने अपने करियर में अनिल बिस्वास से लेकर एस.डी. बर्मन, नौशाद , मदन मोहन, शंकर-जयकिशन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और कल्याणजी-आनंदजी के साथ कई हिट गाने गाए। रिपोर्ट्स की माने अपने करियर में उन्होंने 13 राज्यों के संगीत निर्देशकों के साथ काम किया और हर फिल्म निर्माता और संगीतकार के लिए पाश्र्व गायिका बन गईं। लता मंगेशकर ने 'अल्लाह तेरो नाम', 'रंगीला रे', 'सत्यम शिवम सुंदरम', 'रंग दे बसंती' को अपनी आवाज दी।

सुर कोकिला के जाने से हुआ एक युग का अंत

1974 में गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्डस ने लता मंगेशकर को मानव इतिहास में सबसे अधिक गाने गाने के लिए नाम दर्ज किया। इस रिकॉर्ड के मुताबिक उन्होंने 1948 और 1974 के बीच 20 भारतीय भाषाओं में कम से कम 25,000 एकल, युगल और कोरस समर्थित गाने रिकॉर्ड किए थे अलावा, बंगाली, तमिल, कन्नड़, मलयालम और सिंहल में भी गाने गाए। उन्होंने मराठी में गीतों के अलावा, बंगाली, तमिल, कन्नड़, मलयालम और सिंहल में भी गाने गाए। लता मंगेशकर लता मंगेशकर ने 1948 से 1987 तक 30,000 के करीब गाने गाए हैं। उनके सफर को देखते हुए यह कहना कोई गलत नहीं होगा कि भारत देश को उनकी आवाज में भगवान का आशीर्वाद दिखाई देता है। यह देश धन्य हैं कि लता मंगेशकर की आवाज हमेशा हमारे साथ रहेंगी।

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