Karnal : लाकडाउन के बीच निजी अस्पताल के डाॅक्टर ने सैलरी के लिए अनूठा तरीका अपनाया, जानें क्यों
करनाल में कोरोना संकट (Corona crisis) के बीच एक अनोखा मामला देखने में आया है। यहां एक डॉक्टर (doctor) जिस निजी अस्पताल में काम करता था उसे आज उसी अस्पताल के सामने सैलरी न मिलने के कारण अपनी नवविवाहित पत्नी के साथ ठेले पर चाय बनाकर बेचने को मजबूर होना पड़ा। वहीं उनके विरोध के इस अनूठे तरीके को देखकर लोग भी हैरान है।;
करनाल। एक निजी अस्पताल प्रशासन द्वारा एक डाक्टर को 2 महीने की सैलरी व 4 माह का ओवरटाइम न देने के चलते परेशान डाक्टर द्वारा रोष स्वरूप अपनी पत्नी के साथ मिल कर चाय का ठेला लगाने का मामला सामने आया है। डाक्टर गौरव ने बताया कि वह पिछले करीब 2 वर्ष से सेक्टर-13 स्थित एक निजी अस्पताल में आर.एम.ओ के पद पर तैनात था। उसने बड़ी ईमानदारी व जिम्मेदारी के साथ अपनी ड्यूटी निभाई, मगर अस्पताल प्रशासन द्वारा जानबूझकर उसका गाजियाबाद ट्रांसफर कर दिया। मगर, लॉकडाउन के चलते वह सारा सामान लेकर गाजियाबाद कैसे जा सकता है। जिस कारण डाक्टर ने गाजियाबाद जाने से मना कर दिया और अस्पताल प्रशासन से अपनी 2 माह की सैलरी व 4 माह का ओवरटाइम मांगा, लेकिन अस्पताल प्रशासन उसे टालता रहा, जिससे परेशान डाक्टर ने सीएम विंडो पर शिकायत डाल दी और प्रशासन से सैलरी दिलवाने की मांग की।
सीएम विंडो पर डाली गई शिकायत अस्पताल प्रशासन का रास नहीं आई और अस्पताल से एक प्रतिनिधि मंडल डाक्टर से बातचीत के लिए गया, जहां अस्पताल की एक सीनियर डाक्टर ने डा. गौरव से जाकर बातचीत की। डाक्टर गौरव का आरोप है कि बातचीत करने आई महिला ने उसको बेइज्जत करने का प्रयास किया और उसे कहा कि तू चाय बेचने के लायक ही था। यहां तू बिल्कुल सही है। यह कहकर सीनियर महिला डाक्टर वहां से चली गई।
डाक्टर मुफ्त में पिला रहे चाय
डाक्टर गौरव ने बताया कि वह प्रशासन की आंखें खोलने के लिए अस्पताल के बाहर ही चाय का ठेला लगा कर अपनी पत्नी के साथ चाय बना कर अस्पताल में ही मुफ्त में पिला रहा है। यदि जल्द उसकी समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो वह भूख हड़ताल पर बैठेंगे। इतना ही नहीं डाक्टर ने कहा कि उन्हें अस्पताल प्रशासन से खतरा भी है, क्योंकि वह किसी से उनके उपर हमला भी करवा सकते हैं। वहीं विरोध के इस अनूठे तरीके को लेकर लोग हैरान रह गए।
यह कहते हैं अस्पताल प्रशासन
अस्पताल के यूनिट हैड राकेश का कहना है कि इस डाक्टर द्वारा ट्रांसफर रुकवाने के लिए पॉलिटक्ल प्रैशर बनाया जा रहा था। इतना ही नहीं डाक्टर द्वारा सीनियर डाक्टर के साथ बदतमीजी की गई। डाक्टर द्वारा अपने मसले को लेकर बातचीत करने की बजाए सीएम. विंडो में शिकायत की है। उन्हें अस्पताल में आकर बातचीत करनी चाहिए थी।