पानीपत के टेक्सटाइल उद्योग पर कोरोना का कहर
दुनिया में कोरोना वायरस के कहर और लॉक डाउन के चलते उत्तरी अमेरिका महाद्वीप व यूरोप के देशों ने पानीपत के टेक्सटाइल एक्सपोर्टरों को दिए गए आर्डर रद करने शुरू कर दिए है।;
पानीपत। आखिर वही हुआ जिस का डर था, दुनिया में Corona virus के कहर और लॉक डाउन के चलते उत्तरी अमेरिका महाद्वीप व यूरोप के देशों ने पानीपत के टेक्सटाइल एक्सपोर्टरों को दिए गए आर्डर रद करने शुरू कर दिए है। पानीपत एक्सपोर्ट एसोसिएशन के अनुसार उत्तरी अमेरिका व यूरोप के देशों के टेक्सटाइल बॉयरों ने कोरोना के प्रकोप के चलते पानीपत के विभिन्न एक्सपोर्टरों को दिए गए करीब 3000 करोड रुपये कीमत के टेक्सटाइल उत्पादों के आर्डर रद कर दिए है।
पानीपत के बडे ग्राहक है अमेरिका व यूरोप
अमेरिका व यूरोप की बदौलत ही पानीपत विश्व का सबसे बडा टेक्सटाइल हब बना है। स्मरणीय है कि पानीपत में सदियों से टेक्सटाइल का काम होता आ रहा है, देश के बंटवारे के बाद पानीपत के टेक्सटाइल मुस्लिम कारोबारी पाकिस्तान चले गए थे और वहां से आए कारोबारी पानीपत में बस गए थे। सन् 1975 में राजेश्वरनाथ ने पानीपत से टेक्सटाइल उत्पादों का निर्यात ब्रिटेन में शुरू किया था और अब पानीपत से पूरी दुनिया में करीब 1200 हजार करोड रूपये कीमत के टेक्सटाइल उत्पादन निर्यात होते है। वहीं अकेले अमेरिका से करीब पांच हजार करोड रूपये कीमत के टेक्सटाइल उत्पादों के आर्डर पानीपत के एक्सपोर्टरों को मिलते है। जबकि यूरोप महाद्वीप के देश भी पानीपत के टेक्सटाइल कारोबार के अच्छे खासे ग्राहक है।
अमेरिका ने 19 साल बाद रद किए आर्डर
सन् 2001 के बाद यह पहला अवसर है जब अमेरिका ने इतने बडे पैमाने पर टेक्टसटाइल उत्पादों के पानीपत के एक्सपोर्टरों को दिए गए आर्डर रद कर दिए है। स्मरणीय है कि 11 सितंबर सन् 2001 में अमेरिका के विभिन्न क्षेत्रों में ओसामा बिल लादेन के आतंकी संगठन ने हमले किए थे, इन हमलों में हजारों लोग मारे गए थे और अमेरिका का वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की इमारत ढह गई थी। अमेरिका ने जवाबी कार्रवाई करते हुए लादेन के खिलाफ अफगानिस्तान में युद्ध छेड दिया था। इस घटनाक्रम के चलते अमेरिका ने सन् 2001 से लेकर 2002 तक पानीपत के एक्सपोर्टरों को दिए गए 1500 करोड रूपये के टेक्सटाइल उत्पादों के आर्डर रद कर दिए थे। वहीं इस घटनाक्रम के चलते यूरोप महाद्वीप के देशों ने भी पानीपत के एक्सपोर्टरों को दिए गए आर्डर रद किए थे और पानीपत के एक्सपोर्टरों को भारी नुकसान का सामना करना पडा था, नुकसान से उभरने में पानीपत टेक्सटाइल उद्योग को कई साल लग गए थे।
जर्मन फेयरों में मिले थे ये आर्डर
जनवरी माह में जर्मनी के हेनओवर व फ्रेंकफर्ट में वर्ल्ड टेक्सटाइल व हैंडीक्राफ्ट मेलों का आयोजन हुआ था, इस मेलों में पानीपत के करीब 250 एक्सपोर्टरों ने भाग लिया था, वहीं दोनों मेलों में दुनिया के अधिकतर देशों के टेक्सटाइल व हैंडीक्राफ्ट उत्पादों के बॉयर भाग लेते है और मेलों में प्रदर्शित उत्पादों के डिजाइन व गुणवत्ता को देख कर आर्डर देते है। फ्रेंकफर्ट व हेनओवर में आयोजित मेलों में अधिकतर विदेशी बॉयर गर्मी के मौसम को ध्यान में रख कर अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर माह के लिए आर्डर देते है। यह अवधि पूरी होने के बाद विदेशी बॉयर विशेषकर ईसाई बाहुल देशों से क्रिसमस पर्व व ईसाई नव वर्ष के लिए आर्डर मिलते है।
आर्डर रद होन का खतरा लगातार बढ रहा है
पानीपत एक्सपोर्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित गोयल ने बताया कि दुनिया भर में कोरोना का कहर जारी है, वहीं अमेरिका में कोरोना का प्रकोप दिन प्रति दिन बढता जा रहा है और यूरोप महाद्वीप के प्रमुख देशों का हालत किसी से छिपा नहीं है। भारत हो या उत्तरी अमेरिका व यूरोप महाद्वीप के देश यहां के निवासी स्वयं को कोरोना से बचाने में जुटे हुए है। ऐसे विकट हालात में दुनिया भर में टेक्सटाइल कारोबार पर जबरदस्त दुष्प्रभाव पडा है, पानीपत का टेक्सटाइल कारोबार भी इससे अछूता नहीं रहा, अभी तक अमेरिका व यूरोप से मिले करीब 3000 हजार करोड रूपये के टेक्सटाइल उत्पादों के आर्डर बॉयरों (विदेशी टेक्सटाइल व्यापारी) ने रद कर दिए है, इन आर्डरों की फिर वापसी होगी या नहीं यह हालात पर निर्भर करता है।
टेक्सटाइल इंडस्टी चलाने की अनुमति मिलनी चाहिए
पानीपत एक्सपोर्टर एसोसिएशन के सचिव विभु पालीवाल ने केंद्र व प्रदेश सरकार से पानीपत में एक्सपोर्ट हाउसों में कामकाज शुरू करने की अनुमति देने की मांग करते हुए कहा कि यदि निर्धारित समय पर विदेशों में बॉयरों को टेक्सटाइल उत्पादों के आर्डर नहीं मिले तो मई, जून और इससे आगे के महिनों के लिए मिले टेक्सटाइल उत्पादों के आर्डर रद हो सकते है।