झज्जर में होगी कांटे की टक्कर, चारों सीट जीतने के लिए भाजपा ने लगाया पूरा जोर
हरियाणा विधानसभा चुनावों (Haryana Assembly Election 2019) में कांग्रेस के गढ़ (Congress Stronghold) झज्जर में भाजपा कड़ी मेहनत कर रही है। झज्जर की ग्राउंड रिपोर्ट (Jhajjar District Ground Report) कहती है कि भाजपा और कांग्रेस के बीच इस बार कांटे की टक्कर होगी। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस जिले की तीन सीटों विधानसभा पर आगे रही थी। जबकि विधानसभा 2014 (Haryana Assembly Election 2014) चुनावों में दोनों पार्टियां चार में से दो-दो सीटें जीती थीं।;
Haryana Assembly Election 2019: हरियाणा विधानसभा चुनावों में पलड़ा भले किसी भी पार्टी का भारी रहे। लेकिन झज्जर की ग्राउंड रिपोर्ट (Jhajjar district ground report) इशारा करती है कि कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर होगी। दोनों पार्टियों के बीच पिछले विधानसभा चुनावों में भी मुकाबला बराबरी पर छूटा था। इस बार भी दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के बीच कड़ा मुकाबला देखने की उम्मीद है। झज्जर के राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए भाजपा चारों विधानसभा सीटें जीतने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रही है। जबकि कांग्रेस को यहां बढ़त दिलाना पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के लिए भी चुनौती बनी हुई है।
लोकसभा में कांग्रेस का पलड़ा भारी
चार माह पूर्व हुए लोकसभा चुनाव में झज्जर जिले में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा था। जिले की चार विधानसभा सीटों में से तीन पर कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र हुड्डा ने बढ़त बनाई थी। जबकि बहादुरगढ़ विधानसभा से भाजपा उम्मीदवार अरविंद शर्मा आगे रहे थे। ऐसे में भाजपा ने चारों विधानसभाओं को जीतने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। जबकि कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल महज औपचारिकता निभाते नजर आ रहे हैं।
विकास और दल बदल डालेगा असर
झज्जर जिले की चारों सीटों पर विकास और दल बदल का बड़ा असर पड़ेगा। इसमें सबसे ज्यादा असर बहादुरगढ़ तक मेट्रो के शुरू होने का असर पड़ेगा। इससे दिल्ली से रोजाना काम कर हजारों लोग वापस घरों को जाते हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बहादुरगढ़ को करीब 82 करोड़ के विकास कार्यों की भी सौगत दी है। इससे कई परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा झज्जर से पूर्व विधायक रमेश बाल्मीकि ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इनेलो के जिलाध्यक्ष कर्मबीर राठी ने पार्टी छोड़ दी। उनका रुझान कांग्रेस की तरफ है लेकिन शामिल होने की घोषणा अभी तक नहीं की है। जिला परिषद के पूर्व चेयरमैन सतीश छिकारा ने भी कांग्रेस छोड़ दी। ऐसे में दल बदला और विकास का बड़ा असर पड़ेगा।
ये लड़ सकते हैं चुनाव
झज्जर से कांग्रेस की उम्मीदवार विधायक गीता भुक्कल, भाजपा से कांता देवी, सुनीता चौहान, रमेश बाल्मीकि, डॉक्टर राकेश व धर्मेंद्र बब्लू, महेश कुमार, इंजी. कृष्ण कुमार व प्यारे लाल कटारिया प्रत्याशी हो सकते हैं। जजपा से श्रीराम दहिया या सतबीर और इनेलो से जोगेंद्र झामरी या ओमबीर दहिया चुनाव लड़ सकते हैं। बहादुरगढ़ से विधायक नरेश कौशिक, बिजेंद्र दलाल, परमजीत सोनू, नवीन बंटी व युद्धवीर भारद्वाज को टिकट मिल सकती है। कांग्रेस से नरेश कौशिक, पार्षद नीना राठी, राजेश जून व राजपाल आर्य उम्मीदवार हो सकते हैं। इनेलो से नफे सिंह राठी, रमेश दलाल, राजबीर परनाला तथा जजपा से संजय दलाल, प्रवीण राठी या नरेश जून को टिकट मिज सकती है। आप ने अनीता छिकारा को टिकट दे दी है। बेरी से भाजपा से विक्रम कादियान, शिव कुमार रंगीला, प्रदीप अहलावत व संदीप दावेदार हैं। कांग्रेस से विधायक रघुबीर कादियान का दावा सर्वाधिक सशक्त है। बादली विस में कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ के अलावा योगेंद्र सिलानी, रणबीर गुलिया आदि भाजपा की टिकट पर दावा जता रहे हैं। कांग्रेस से पूर्व विधायक नरेश शर्मा या कुलदीप वत्स ही मजबूत दावेदार हैं।
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