Rao Inderjit Singh: हरियाणा में यादवों का सबसे का प्रभावशाली नेता जिसने राष्ट्रमंडल खेलों में दिलाया भारत को पदक

भारत सरकार में राव इंद्रजीत सिंह ( Rao Inderjit Singh) केंद्रीय राज्य मंत्री (Centrel Minister) हैं। उन्हें योजना मंत्रालय के राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है। हरियाणा की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहने वाले राव 2014 लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा (BJP) में शामिल हुए।;

Update: 2019-09-25 13:31 GMT

भारत सरकार के केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ( Rao Inderjit Singh) हरियाणा में यादव समुदाय के एक प्रभावशाली नेता हैं। केंद्र की मोदी सरकार में उन्हें योजना मंत्रालय के राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है। हरियाणा की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहने वाले राव इंद्रजीत सिंह 2014 लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा में शामिल हुए। इससे पहले वह लंबे समय तक काग्रेस पार्टी को अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्होंने जनता से जुड़ने और उनके मुद्दों को सुलझाने के लिए 'इंसाफ मंच' शुरू किया।

प्रारंभिक जीवन


राव इंद्रजीत सिंह का जन्म 11 फरवरी 1950 को रेवाड़ी हरियाणा में हुआ था इनके पिता राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं। इन्होंने हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएट किया और दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। वह 1990 से 2003 तक भारतीय शूटिंग टीम के सदस्य थे। उन्होंने राष्ट्रमंडल शूटिंग चैम्पियनशिप में देश के लिए कांस्य पदक भी जीता। इसके साथ ही समाज सेवा और राजनीति के क्षेत्र में अपनी गहरी दिलचस्पी होने पर पूर्णकालिक राजनीतिज्ञ बन गए। इनका विवाह मनीता सिंह से हुआ है।

राव इंद्रजीत सिंह का राजनीतिक सफर


राव इंद्रजीत सिंह के राजनैतिक जीवन की शुरूआत सन् 1977 से हुई जब उन्होंने पहली बार हरियाणा की महेंद्रगढ़ सीट से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की। इस सीट जीत के सिलसिले को उन्होंने लगातार चार बार बरकरार रखा। सन् 1982 में वह हरियाणा सरकार के खाद्य और नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री बने। अपने राजनीतिक जीवन में एक कदम आगे बढ़ते हुए इंद्रजीत सिंह ने पहली बार 1988 में लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बन गए। वह लगातार 2000, 2004, 2009 तक कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतते रहे। इस दौरान उन्हें मनमोहन सरकार में राज्य मंत्री नियुक्त किया गया।

लोकसभा चुनाव 2014 से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी से त्याग पत्र दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए और वह गुड़गांव निर्वाचन क्षेत्र से 2014 का आम चुनाव जीते और मोदी मंत्रिमंडल में स्थान प्राप्त किया। इस दौरान उन पर अवसरवादी होने के आरोप भी लगे। लेकिन उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ने का कारण पार्टी की आंतरिक राजनीति बताया।  इससे पहले वह लगभग 35 वर्षों तक कांग्रेस पार्टी के सदस्य रहे। हरियाणा की राजनीति में वह यादव समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में मोदी सरकार बनने के बाद एक बार फिर से उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया और योजना मंत्रालय के राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है।

हुड़्डा से रहा विवाद


दक्षिण हरियाणा के रहने वाले राव इंद्रजीत सिंह का राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड़्डा से गहरा विवाद भी रहा है। इसी को उनकी कांग्रेस पार्टी छोड़ने का बड़ा कारण माना जाता है। उन्होंने कांग्रेस में रहते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर विभिन्न जिलों के विकास के लिए धन आबंटन में पक्षपात का आरोप लगाया था।

इंद्रजीत सिंह ने आरोप लगाया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री हुड्डा राज्य के अन्य हिस्सों की कीमत पर अपना निर्वाचन क्षेत्र रोहतक विकसित कर रहे हैं। आरोप का समर्थन में आरटीआई के आंकड़ों को प्रस्तुत किया। इसके बाद 23 सितंबर 2013 को उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। मीडिया के साथ आगामी विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए राव ने कहा कि वर्तमान में भाजपा की सबसे बड़ी प्राथमिकता हरियाणा में चुनाव जीतना है। मेरी समझ में, इसके लिए रणनीति पहले ही बनाई जा चुकी है। वह हरियाणा के लोगों के कल्याण के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में उचित शैक्षिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इसके अलाव कई स्कूलों और विश्वविद्यालयों की स्थापना की।

इंद्रजीत सिंह राजनीति से अलग


राजनीति से अलग राव इंद्रजीत सिंह की पहचान एक ऊर्जावान व्यक्ति और एक उत्साही खिलाड़ी की है। वह 1990 से 2003 तक भारतीय शूटिंग टीम के सदस्य थे। उन्होंने राष्ट्रमंडल शूटिंग चैम्पियनशिप में देश के लिए कांस्य पदक भी जीता। लगातार तीन वर्षों तक राव स्किट में नेशनल चैंपियन बने। उन्होंने एसएएफ(सैफ) खेलों में तीन स्वर्ण पदक भी प्राप्त किए। जब राजनीतिक कार्यों से हटकर समय मिलता हैं तो इन क्षेत्रों में सक्रिय रहते हैं।

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