चीन से आए सामान को नहीं उतार रहे मजदूर, समुद्र किनारे फंसा हरियाणा का माल

अब उद्योगपतियों के सामने नई मुसीबत आ गई बंदरगाहों पर जो मजदूर हैं, उन्होंने चीन से आए सामान को छूने से मना कर दिया है। चीन से आया सामान कंटेनर से नहीं उतार रहे। इस कारण बंदरगाहों पर सामान फंसा पड़ा है।;

Update: 2020-04-19 15:53 GMT

मनोज वर्मा. रोहतक। कोरोना के खौफ से इन दिनों बंदरगाहों पर नई तरह की परेशानी खड़ी हो गई है। यहां अलग-अलग देशों से कच्चा सामान आना शुरू हो गया है। लेकिन मुसीबत ये है कि बंदरगाहों पर जो मजदूर हैं, उन्होंने चीन से आए सामान को छूने से मना कर दिया है। चीन से आया सामान कंटेनर से नहीं उतार रहे। शनिवार को फुटवीयर की एक कंपनी का कच्चा सामान तो बंदरगाह पर पहुंच गया, लेकिन मजदूरों ने उसे कंटेनर से उतारा नही। वहीं चीन के अलावा दूसरे देशों से जो सामान आ रहा है, उसे मजदूर उतार रहे हैं। चीन से आया माल बंदगाहों पर फंस गया है, इसलिए एक्सपोर्टर्स और उद्योगपति परेशान हैं। सामान नहीं उतरने का असर देश की सभी बड़ी इंडस्ट्री पर होगा। इससे रोहतक भी अछूता नहीं, क्योंकि यहां भी कई उद्योग ऐसे हैं, जिन्हें सामान तैयार करने के लिए कच्चा माल चीन से मंगवाना पड़ता है।

सेनिटाइज कर देंगे

हमारा एक्सपोर्ट का काम है। शनिवार को नई परेशानी ये हुई कि मजदूरों ने चीन से आए सामान को उतारने से मना कर दिया। मजदूरों को डरने की जरूरत नहीं। चीन से जो सामान आया है, उसे सेनिटाइज करके ही मजदूरों से उतरवाया जाए तो बेहतर है। - सुमित भयाना, डायरेक्टर, वेल ट्रांस लॉजिस्टिक इंडिया

किस तरह माल कंपनी तक पहुंचेगा

हमारी कंपनी का कच्चा माल आया था। शनिवार को मजदूरों ने उतारने से मना कर दिया। अब समझ नहीं आ रहा किस तरह माल कंपनी तक पहुंचेगा। सामान को सेनिटाइज करवाना ही एक रास्ता नजर आ रहा है।- सतीश शुक्ता, फुट वीयर कंपनी के सीनियर मैनेजर

तीन सप्ताह में चीन से पहुंचता है सामान

मजदूरों को डरने की जरूरत नहीं है। किसी भी सामान पर कोरोना का वायरस तीन दिन से ज्यादा नहीं रहता और चीन से सामान आने में 3 सप्ताह का समय लगता है। फिलहाल तो यूरोप और अमेरिका में कोरोना वायरस का ज्यादा असर है। अमेरिका से भी कोई सामान आ रहा है तो उसे आने करीब 42 दिन लगते हैं। यूरोप से 20 दिन में सामान आता है। इसके बाद मुंबई फिर दिल्ली पांच-सात दिन वैसे ही लग जाते हैं। मैटल पर कोरोना वायरस ज्यादा दिन टिकता ही नहीं। फिर भी मजदूरों को डर लगता है तो सामान को सेनिटाइज करके इसे एक दिन और वहीं रख दिया जाए, इसके बाद उतरवाया जाए। - राजेश जैन, एलपीएस बोसार्ड। 

रोहतक भी आता है सामान

रोहतक में भी जींस का कपड़ा चीन से आता है। इसके अलावा और भी कई उद्योगपति हैं, जिन्हें अपनी कंपनी में सामान तैयार करने के लिए चीन से कच्चा माल मंगवाना पड़ता है। अगर कच्चा माल कंपनी तक नहीं पहुंचेगा तो और ज्यादा नुकसान होगा।

चीन के इन शहरों से ज्यादा सामान आता है

शंघाई, निंगबो, क्विनदाओ, शेनझेन और तियानजीन आदि जगहों से ज्यादा सामान भारत आता है। इसके अलावा भी कई देशों से सामान आता है, लेकिन मजदूर सिर्फ चीन का सामान उतारने से मना कर रहे हैं।

सभी तरह के आईटम

जूतें और जूतों से जुड़ा कच्चा माल, फैब्रिक्स, फर्नीचर, स्वास्थ्य सेवाएं से जुड़े उपकरण, पीपीई किट, किचन का सामान, हार्डवेयर, स्टील, ब्लैंकेट्स, खिलौने, लाइट्स, जींस का कपड़ा आदि समेत कई तरह के कैमिकल और अलग-अलग तरह की इंडस्ट्रीज में प्रयोग होने वाला कच्चा माल चीन से ही आता है।

कुल 12 बंदरगाह हैं

नौ तटीय राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल भारत के सभी बड़े और छोटे बंदरगाहों के लिए घर हैं। भारत मे कुल 12 प्रमुख समुद्री बंदरगाह हैं और कृष्णापट्टनम पोर्ट, एन्नोर पोर्ट और मुंद्रा कुछ निजी समुद्री बंदरगाह भी हैं।

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