हरियाणाः हजारों साल पुराने फार्मूले से गांव को कोरोना के खतरे से बचा रहे ग्रामीण

किसी भी खतरे को भांपते हुए गांवों में हजारों साल से बंदी की परंपरा चल रही है, यानी ना कोई बाहर जाएगा और ना कोई गांव में आएगा। यमुनानगर जिले के एक गांव में यही प्रयोग फिर से किया जा रहा है।;

Update: 2020-04-04 08:48 GMT

भगवान सिंह राणा. यमुनानगर

हरियाणा की उत्तर सीमा से सटे यमुनानगर जिले के ग्रामीण कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए अपने ही गांव में पहरेदार बनकर चौबिसो घंटे ठीकरी पहरा दे रहे हैं। पहरा देने के दौरान ग्रामीण गांव में प्रवेश करने वाले अजबनियों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। इस दौरान गांवों में किसी फेरीवाले या फिर किसी अजनबी को घुसने नहीं दिया जा रहा है। खास बात यह है कि बेरीकेट्स लगाकर गांव में आने-जाने वालों पर नजर रखी जा रही है। हजारों सालों से गांवों में ये परंपरा रही है कि किसी भी प्रकार के खतरे को भांपते हुए पूरे गांव को सील कर दिया जाता है ताकि गांव सुरक्षित रहे। हरियाणा के कई गांवों ने इसी तरह से खुद को अब कोराना वायरस के संकमण से बचाने के लिए आइसोलेट किया हुआ है। 

अजनबी न बन जाएं खतरा

यमुनानगर जिला की सीमा यूपी व हिमाचल की सीमा से सटी हुई है। खास बात यह है कि जिले के पूर्वी छोर पर यूपी और यमुनानगर की सीमा पर यमुना नदी बहती है। जिसका क्षेत्र हथनीकुंड बैराज से लेकर गुमथला राव तक करीब 30-35 किलोमीटर तक बनता है। इस क्षेत्र से नदी पार करके लोगों का जिले में प्रवेश करना मुश्किल नहीं है। वहीं, साढ़ौरा क्षेत्र में जिले की सीमा हिमाचल के साथ सटी हुई है। इस सीमा से अजबनियों के जिले में प्रवेश करने की काफी गुंजाइस रहती है। ऐसे में ग्रामीण सतर्क हैं कि कहीं कोई अजनबी जिले में अथवा उनके गांव में पहुंचकर ग्रामीणों के लिए खतरा नहीं बन जाए। इसके लिए ग्रामीणों ने अपने-अपने गांव में आठ-आठ घंटे की ड्यूटियां लगाकर ठीकरी पहरा देना शुरु किया है।

कोरोना से बचाव के लिए दे रहे पहरा

जठलाना क्षेत्र के गांव नाचरौन में पहरा दे रहे महिला सरपंच के पति एडवोकेट कर्म सिंह, मास्टर साहब सिंह, शिवदयाल सिंह, सुरेंद्र सिंह व सुरेंद्र राणा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश की जनता को कोरोना से बचाने के लिए लॉकडाउन किया हुआ है। लोगों को अपने घरों में रहने के लिए कहा गया है। मगर कुछ लोग लॉकडाउन के नियमों की उल्घंना करके बाहर घूम रहे हैं। जिनमें कोरोना के लक्षणहो सकते हैं। ऐसे लोग कहीं गांवों में घुसकर ग्रामीणों के लिए खतरा नहीं बन जाएं, इसके लिए ग्रामीण खुद ही पहरेदार बनकर पहरा देकर अपने गांव की सुरक्षा करने में लगे हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना की दहशत के चलते किसी  अवांछित व्यक्ति की घुसपैठ रोकने को उन्होंने रास्तों पर ठीकरी पहरा बिठा रखा है। ग्रामीणों की आठ-आठ घंटे की शिफ्टवार ड्यूटियां लगाई गई हैं।

-सोशल डिस्टेंस का रख रहे ख्याल

ठीकरी पहरा दे रहे ग्रामीणों का कहना है कि वह खुद भी डिस्टेंस व लॉकडाउन के नियमों की पालना कर रहे हैं और अन्य ग्रामीणों को भी कर रहे हैं। ताकि कोरोना वायरस संक्रमण का उनके गांव में प्रवेश न हो सके।

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