Knowledge News: चिंपैंजी घावों पर कीड़ों को मरहम की तरह क्यों लगाते हैं, स्टडी में हुआ बड़ा खुलासा
यह देखकर मस्कारो और उसके साथी चौंक गए। इसके बाद उन्होंने चिम्पैंजियों के समूह के व्यवहार की निगरानी करनी शुरू दी। अगले एक साल तीन महीनों में उन्होंने इस व्यवहार को 76 बार होते हुए देखा और उसका दस्तावेजीकरण किया।;
Knowledge News: मनुष्य में सोचने समझने की क्षमता उन्हें जानवरों से अलग करती है। मनुष्य ही एकमात्र ऐसी प्रजाति है जिसमें परोपकार की भावना जैसे गुण होने से वह जानवरों से भी ऊंचा बनाता है। लेकिन नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने जंगली चिम्पैंजियों के व्यवहार के ऐसे अनोखे गुण को बड़े ही अजीब तरीके से देखा है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि चिंपैंजी अपने और अपने साथियों के घावों में कीड़ों को इंजेक्ट करते हैं। यह व्यवहार उनके लिए एक तरह का प्राथमिक उपचार है। उनका यह भी मानना है कि इन गैर-मानव जानवरों में परोपकारी व्यवहार का यह एक और उदाहरण है।
इस तरह का व्यवहार सबसे पहले साल 2019 में जानवरों और चिम्पैंजियों में सामने आया था। इसे सबसे पहले गैबॉन ओजौगा चिंपैंजी प्रोजेक्ट के स्वयंसेवक एलेसेंड्रा मस्कारो ने देखा था। मस्कारो ने सूजी नाम की एक मादा चिंपैंजी को उसकी बच्ची सिया (यानी चिंपैंजी का नाम) के पैर में लगे घाव को देखते हुए उसे रिकॉर्ड किया था। इसके बाद सूजी ने एक उड़ते हुए कीड़े को पकड़कर मुंह में चबा लिया। इसके बाद उसे बाहर निकालकर सीया के घाव पर लेप की तरह लगा दिया।
चिम्पैंजियों के समूह के व्यवहार की निगरानी करनी शुरू दी
यह देखकर मस्कारो और उसके साथी चौंक गए। इसके बाद उन्होंने चिम्पैंजियों के समूह के व्यवहार की निगरानी करनी शुरू दी। अगले एक साल तीन महीनों में उन्होंने इस व्यवहार को 76 बार होते हुए देखा और उसका दस्तावेजीकरण किया। इन दिनों उन्होंने देखा कि इस दौरान एक अलावा दूसरें चिम्पैंजियों को भी ऐसा करते देखा गया। टीम की जांच करेंट बायोलॉजी में प्रकाशित हुई है। सूज़ी और उसके मेल सिया का असली वीडियो भी शामिल है।
जानवरों को आमतौर पर प्राकृतिक वातावरण में अपना इलाज करते देखा जाता है। जिसमें जानवर अपने घावों को चाटते हुए दिखाई देते हैं। माना जाता है कि कई जानवर, जैसे भालू, वानर और हिरण औषधीय पौधों को खाते हैं और ऐसा देखा भी गया। घावों पर कीड़ों को लगाने के संबंध में शोधकर्ताओं का मानना है कि यह घावों के इलाज के लिए दवा लगाने की एक विधि होने की अधिक संभावना है। अगर ऐसा है तो यह पहला केस होगा जब जंगलों की दुनिया में कीड़ों के साथ घावों का उपचार देखा गया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि खुद के घावों पर कीड़ों या कीड़ों के अंगों को लगाने का मामला पहले कभी नहीं देखा गया।
चिंपैंजी एक दूसरे के घाव भरने में भी एक दूसरे की मदद करते हैं
यह बहुत हैरान करने वाला है कि चिंपैंजी कीड़ों से कुछ उपचार लाभों के बारे में जानते हैं जो हम मनुष्य अभी तक नहीं जानते हैं। अब तक मनुष्य घावों का उपचार लीज और मैगॉट्स की सहायता से करता है। वहीं, कुछ कीड़ों में रोगाणुरोधी गुण भी पाए जाते हैं। यह भी संभव है कि उनका कुछ एनाल्जेसिक (दर्दनिवारक) प्रभाव हो। इस अध्ययन में पता चलता है कि चिम्पैंजियों में भी कुछ स्तर की दया होती है। ज्यादातर मामलों में शोधकर्ताओं ने देखा कि एक चिंपैंजी ने अपने इलाज में कीड़ों का इस्तेमाल किया था, लेकिन कई बार उन्होंने यह भी देखा कि सूजी अपने लड़के के साथ क्या कर रही थी। यानी चिंपैंजी एक दूसरे के घाव भरने में भी एक दूसरे की मदद करते हैं।
यह विशेष सामाजिक व्यवहार का प्रत्यक्ष उदाहरण है। जिसमें बिना किसी के अपने फायदे के लिए कुछ किया जाता है। जर्मनी में ओस्नोब्रुक विश्वविद्यालय में अध्ययन की लेखिका और ऑस्नोब्रूक यूनिवर्सिटी की कॉग्नेटिव जीवविज्ञानी सिमोन पीका ने कहा कि यह एक बड़ी बात है क्योंकि बहुत से लोग संदेह करते हैं कि अन्य जानवर इस तरह के सामाजिक व्यवहार में सक्षम होंगे। लेकिन अचानक हमें एक ऐसी प्रजाति दिखाई देती है जहां ऐसे जीव एक-दूसरे की देखभाल कर रहे होते हैं।